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Road Safety: भारतीय ट्रक और बसों में जल्द अनिवार्य होगा ADAS, सड़कों पर सुरक्षा बढ़ाने की बड़ी पहल
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Mon, 01 Dec 2025 09:45 PM IST
सार
भारत में भारी वाहन, जिनमें ट्रक और बसें शामिल हैं, अब प्रीमियम कारों जैसी एडवांस्ड सुरक्षा तकनीक से लैस होने जा रहे हैं।
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- फोटो : संवाद
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विस्तार
भारत में भारी वाहन, जिनमें ट्रक और बसें शामिल हैं, अब प्रीमियम कारों जैसी एडवांस्ड सुरक्षा तकनीक से लैस होने जा रहे हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने 21 नवंबर 2025 को जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया कि अगले दो से तीन वर्षों में देश के सभी M2, M3, N2 और N3 श्रेणी के वाहनों में एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (ADAS) अनिवार्य होंगे। इनमें मिनी बसों से लेकर बड़े कोच और मध्यम से भारी मालवाहक वाहन शामिल हैं।
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जनवरी 2027 से VSF और AEBS अनिवार्य
नए नियमों के अनुसार, 1 जनवरी 2027 से इन श्रेणियों के सभी नए मॉडल में व्हीकल स्टेबिलिटी फंक्शन (VSF) और एडवांस्ड इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम (AEBS) लगाना अनिवार्य होगा। पहले से निर्मित हो रहे मॉडल 1 अक्टूबर 2027 तक अनुपालन में लाए जाएंगे। VSF वाहन को स्किड होने या पलटने से बचाने के लिए स्वतः ब्रेक और इंजन कंट्रोल करता है, वहीं AEBS टक्कर का खतरा पहचानकर ब्रेक लगाता है, खासकर तब जब चालक समय पर प्रतिक्रिया न दे पाए।
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नए नियमों के अनुसार, 1 जनवरी 2027 से इन श्रेणियों के सभी नए मॉडल में व्हीकल स्टेबिलिटी फंक्शन (VSF) और एडवांस्ड इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम (AEBS) लगाना अनिवार्य होगा। पहले से निर्मित हो रहे मॉडल 1 अक्टूबर 2027 तक अनुपालन में लाए जाएंगे। VSF वाहन को स्किड होने या पलटने से बचाने के लिए स्वतः ब्रेक और इंजन कंट्रोल करता है, वहीं AEBS टक्कर का खतरा पहचानकर ब्रेक लगाता है, खासकर तब जब चालक समय पर प्रतिक्रिया न दे पाए।
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लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम भी बनेगा जरूरी
लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम (LDWS) 1 अक्तूबर 2027 से नए मॉडलों में और 1 जनवरी 2028 से मौजूदा मॉडलों में अनिवार्य हो जाएगा। यह तकनीक वाहन के अनजाने में लेन से भटकने पर आवाज, विजुअल या वाइब्रेशन के जरिए चालक को सचेत करती है।
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लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम (LDWS) 1 अक्तूबर 2027 से नए मॉडलों में और 1 जनवरी 2028 से मौजूदा मॉडलों में अनिवार्य हो जाएगा। यह तकनीक वाहन के अनजाने में लेन से भटकने पर आवाज, विजुअल या वाइब्रेशन के जरिए चालक को सचेत करती है।
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ड्राइवर मॉनिटरिंग और ब्लाइंड-स्पॉट तकनीक पर जोर
नए नियम ड्राइवर की थकान, ध्यान और आसपास की स्थिति को मॉनिटर करने वाली तकनीकों को भी अनिवार्य करते हैं। इसमें ड्राइवर ड्रोसिनेस एवं अटेंशन वॉर्निंग सिस्टम, ब्लाइंड स्पॉट इंफॉर्मेशन सिस्टम (BSIS) और मूविंग ऑफ इंफॉर्मेशन सिस्टम (MOIS) शामिल हैं।
ये सभी फीचर अक्तूबर 2027 से नए वाहनों और जनवरी 2028 से मौजूदा वाहनों में लगाना अनिवार्य होगा। लंबे समय तक ड्राइविंग करने वाले ट्रक और बस चालकों के लिए ये तकनीकें जीवनरक्षक साबित हो सकती हैं।
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ये सभी फीचर अक्तूबर 2027 से नए वाहनों और जनवरी 2028 से मौजूदा वाहनों में लगाना अनिवार्य होगा। लंबे समय तक ड्राइविंग करने वाले ट्रक और बस चालकों के लिए ये तकनीकें जीवनरक्षक साबित हो सकती हैं।
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सेंसर लगाने में सहूलियत के लिए वाहन चौड़ाई नियमों में बदलाव
ADAS सेंसर, कैमरा और रडार यूनिट लगाने में दिक्कत न हो, इसके लिए मंत्रालय ने वाहन की चौड़ाई मापने के नियमों में संशोधन किया है। अब बाहर लगे रियर-व्यू मिरर, गार्ड रेल, इंडिकेटर, साइ़ड स्टेप, सीमित रबर बीडिंग और ADAS सेंसर चौड़ाई का हिस्सा नहीं माने जाएंगे। इससे निर्माता इन उपकरणों को आसानी से जोड़ सकेंगे।
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उद्योग और सड़कों पर इसका प्रभाव
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक यह कदम भारत को यूरोपीय मानकों के करीब ले जाएगा, जहां भारी वाहनों में स्थिरता नियंत्रण और ऑटो ब्रेकिंग पहले से सामान्य है। ट्रकों और बसों के कारण होने वाली दुर्घटनाएं प्रायः गंभीर होती हैं, ऐसे में ADAS तकनीक चालक को टक्कर, पलटने और ब्लाइंड-स्पॉट जैसी स्थितियों से बचाने में अहम भूमिका निभाएगी।
निर्माताओं को अपने वाहन प्लेटफॉर्म और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम अपग्रेड करने होंगे, जिससे संभवतः वाहनों की कीमतों में थोड़ा इज़ाफ़ा होगा। लेकिन समग्र रूप से देखा जाए तो यह बदलाव भारतीय सड़कों को अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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