उत्तर बिहार की स्थिति को लेकर शुक्रवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में 'उपेक्षा और पिछड़ेपन का दंश झेलते उत्तर बिहार का संकल्प' नामक किताब का विमोचन किया। किताब के लेखक और बिहार विधानपरिषद् के पूर्व सदस्य डॉ. शंभु शरण श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज बिहार से जो लोग पलायन कर रहे है, उसमें सबसे ज्यादा लोग उत्तर बिहार से ताल्लुक रखते हैं। जब तक उत्तर भारत विकसित नहीं होगा तब बिहार आगे नहीं बढ़ पाएगा। आज उत्तर भारत के पिछड़ने के साथ बिहार, पूर्वी भारत और संपूर्ण भारत तरक्की नहीं कर पा रहा है। आज उत्तर भारत के विकास का मसला भारत के विकास के साथ जुड़ा हुआ है। उत्तर बिहार को अब न्याय मिलना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि उपेक्षा और सौतेले व्यवहार का दंश झेल रहे उत्तर बिहार में राज्य की राजधानी को पटना से स्थानांतरित करना चाहिए। वहीं हाईकोर्ट की एक बेंच के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक हवाई अड्डा भी बनाया जाना चाहिए। श्रीवास्तव ने मांग करते हुए कहा कि सीएम, मंत्री समेत सभी बड़े अफसरों के घर अब उत्तर बिहार में होने चाहिए ताकि वे सीधे जनता से जुड़े रहे सकें। श्रीवास्तव ने अपनी किताब में प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना, कृषि, मत्स्यपालन और पशुपालन के लिए विकसित राज्यों की तर्ज पर वैज्ञानिक व्यवस्था को भी अपनाए जाने और पलायन होते श्रमिक और बाढ़ से बचाव की स्थाई व्यवस्था करने की बात कही है।
देश के नक्शे में सर्वाधिक गरीब उत्तर बिहार के जिलों से
दिल्ली की मीडिया प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस किताब में डॉ. श्रीवास्तव ने देश और राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि उत्तर बिहार के तीन प्रमुख जिले मधेपुरा, सुपौल और शिवहर देश के नक्शे में सर्वाधिक गरीब व आर्थिक तौर पर कमजोर हैं। राज्य सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में भी बिहार में मौजूद क्षेत्रीय असमानता की बात को स्वीकार किया गया है। किताब में उत्तर बिहार में बंद पड़ी चीनी मिलों, परिवहन व्यवस्था को दुरस्त करने और हर वर्ष आने वाले बाढ़ से निपटने के लिए स्थाई उपाय तलाशने के भी सुझाव दिए गए हैं।
श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य के कुल 27 विश्वविद्यालयों में से अधिकांश 18 विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार के जिलों में है। सबसे ज्यादा आबादी वाले उत्तर बिहार को महज नौ विश्वविद्यालय ही नसीब हुए हैं। मेडिकल कॉलेजों को लेकर भी ऐसा ही अन्याय उत्तर बिहार के साथ हुआ है। राज्य के कुल 10 मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ तीन ही राज्य में सर्वाधिक आबादी वाले इस क्षेत्र को दिए गए हैं। वहीं राज्य की 243 विधानसभा में सर्वाधिक 153 विधायक उत्तर बिहार का प्रतिनिधित्व करते हैं। जबकि 40 में से 25 सांसद उत्तर बिहार से आते हैं।
किताब विमोचन के कार्यक्रम के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव, पूर्व सांसद सदीप दीक्षित, अरुण कुमार समेत राजनीतिक और समाजिक सरोकारों से संबंध रखने वाले कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
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उत्तर बिहार की स्थिति को लेकर शुक्रवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में 'उपेक्षा और पिछड़ेपन का दंश झेलते उत्तर बिहार का संकल्प' नामक किताब का विमोचन किया। किताब के लेखक और बिहार विधानपरिषद् के पूर्व सदस्य डॉ. शंभु शरण श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज बिहार से जो लोग पलायन कर रहे है, उसमें सबसे ज्यादा लोग उत्तर बिहार से ताल्लुक रखते हैं। जब तक उत्तर भारत विकसित नहीं होगा तब बिहार आगे नहीं बढ़ पाएगा। आज उत्तर भारत के पिछड़ने के साथ बिहार, पूर्वी भारत और संपूर्ण भारत तरक्की नहीं कर पा रहा है। आज उत्तर भारत के विकास का मसला भारत के विकास के साथ जुड़ा हुआ है। उत्तर बिहार को अब न्याय मिलना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि उपेक्षा और सौतेले व्यवहार का दंश झेल रहे उत्तर बिहार में राज्य की राजधानी को पटना से स्थानांतरित करना चाहिए। वहीं हाईकोर्ट की एक बेंच के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक हवाई अड्डा भी बनाया जाना चाहिए। श्रीवास्तव ने मांग करते हुए कहा कि सीएम, मंत्री समेत सभी बड़े अफसरों के घर अब उत्तर बिहार में होने चाहिए ताकि वे सीधे जनता से जुड़े रहे सकें। श्रीवास्तव ने अपनी किताब में प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना, कृषि, मत्स्यपालन और पशुपालन के लिए विकसित राज्यों की तर्ज पर वैज्ञानिक व्यवस्था को भी अपनाए जाने और पलायन होते श्रमिक और बाढ़ से बचाव की स्थाई व्यवस्था करने की बात कही है।