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Bihar Election Result : ईवीएम बदलना असंभव नहीं! इसके लिए क्या-क्या करना पड़ेगा, समझें ताकि भरोसा हो सके

सार

Election Commission of India : आज चुनाव परिणाम जैसा आए, ईवीएम पर आरोप कहीं-न-कहीं लग ही जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ईवीएम बदलना हो तो क्या-क्या करना पड़ेगा? 'अमर उजाला' ने पीठासीन पदाधिकारी की ड्यूटी कर चुके लोगों से इसे समझा।

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May EVM change during vote counting in bihar election result date election commission of india bihar assembly
EVM, VVPAT - फोटो : ANI (File)
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विस्तार
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बिहार विधानसभा चुनाव के लिए दोनों चरणों का मतदान हुआ तो ईवीएम-वीवीपैट की त्रि-स्तरीय निगरानी की व्यवस्था की गई। कैमरा तो लगा ही रहा। लेकिन, कभी कैमरे पर सवाल उठा तो कभी खाली बक्से को देख हंगामा मचा कि ईवीएम बदलने की साजिश रची जा रही। आज परिणाम आ रहा है। ऐसे में 'अमर उजाला' ने बिहार चुनाव 2025 में तकनीकी रूप से सबसे अहम और सीधी जिम्मेदारी उठाने वाले पीठासीन अधिकारियों से समझा कि क्या ईवीएम को बदलना संभव है? यह संभव तो है, लेकिन इसके लिए क्या-क्या करना पड़ेगा?

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EVM नंबर के साथ ही मिलता है नियुक्ति पत्र
ईवीएम बदलने के लिए सबसे पहले तो पीठासीन अधिकारी और उनके साथ नियुक्त तीनों मतदान अधिकारियों को चुनाव कराने के लिए मिला नियुक्ति पत्र दोबारा बनाना होगा। इस नियुक्ति पत्र में पीठासीन अधिकारी और उनके साथ नियुक्त तीनों मतदान अधिकारियों का फोटो, नाम, उनके वास्तविक सरकारी कार्यालय का नाम व पदनाम छपा रहता है। इस नियुक्ति पत्र में ईवीएम (कंट्रोल यूनिट), बैलेट यूनिट और वीवीपैट का नंबर छपा होता है। यह यूनिक रैंडम नंबर होता है, जिसमें 5-5 रोमन अक्षर और नंबर होते हैं। इस नंबर को मिलाने के बाद ही मतगणना होती है। 16 से ज्यादा प्रत्याशी हों तो दो और 32 से ज्यादा हों तो तीन बैलेट यूनिट हो सकता है। चाहे एक हो या अधिक बैलेट यूनिट, वह एक ही ईवीएम, यानी कंट्रोल यूनिट में जुड़ता है।
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मतलब, अगर ईवीएम बदलना है तो चारों अधिकारियों को मिले नियुक्ति पत्र में ईवीएम (कंट्रोल यूनिट), बैलेट यूनिट और वीवीपैट का नंबर बदलना होगा। क्या यह संभव है?

छह लिफाफे में भरे इन कागजातों पर उसी हैंडराइटिंग में नंबर लिखना होगा
ईवीएम कोई कहीं से ले भी आए तो उसे पहले क्या करना होगा, हमने बता दिया। अब आगे। हर पीठासीन अधिकारी को जहां नियुक्ति पत्र मिलता है, वहीं ईवीएम भी मिलता है और कई लिफाफे भी। यह सब उनके साथ चल रहे अर्द्धसैनिक बल की सुरक्षा में मतदान केंद्र पर चुनाव के एक दिन पहले पहुंचता है। उस केंद्र पर किसी का जाना मना होता है। वहां पीठासीन अधिकारी को या तो खुद या मातहत आए मतदान अधिकारी की मदद से छह लिफाफों में भरे कई कागजातों पर ईवीएम, बैलेट यूनिट और वीवीपैट का नंबर भरना होता है। इन चारों के अलावा किसी अन्य की हैंडराइटिंग में यह नहीं भरा जा सकता है। और, अंतिम तौर पर पीठासीन अधिकारी को सबकुछ मिलाने के बाद हस्ताक्षर करना होता है। एक भी जगह गलत जानकारी लिख दी गई और उसपर पीठासीन अधिकारी का हस्ताक्षर है तो मूल नौकरी से निलंबन-बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। 
मतलब, अगर ईवीएम बदलना है तो सरकारी सेवारत इन चारों अधिकारियों की हैंडराइटिंग से सभी लिफाफे के अंदर रखे कागजातों और लिफाफे के ऊपर नए सिरे से सबकुछ भरना होगा। क्या यह संभव है?

चारों अधिकारियों के साथ प्रत्याशी के एजेंट का हस्ताक्षर फॉर्म 17ग में जरूरी
छह बड़े लिफाफों के अंदर कई छोटे लिफाफे होते हैं। इसमें अलग-अलग प्रारूप होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण फॉर्म 17ग है।  इसमें कंट्रोल यूनिट (EVM), मतदान यूनिट (BU) और वीवीपैट (VVPAT) का सीरियल नंबर लिखा जाता है। सारी जानकारी का मिलान करने के बाद मतदान की सुबह मॉक पोल और वोटिंग के समय मौजूद प्रत्याशियों के मतदान अभिकर्ता (Polling Agent) का हस्ताक्षर कराना पीठासीन अधिकारी के लिए अनिवार्य होता है। पीठासीन पदाधिकारी का भी इसपर हस्ताक्षर होता है।
मतलब, अगर ईवीएम बदलना है तो सरकारी सेवारत के हस्ताक्षर और सभी पोलिंग एजेंट का हस्ताक्षर फॉर्म 17ग में नए सिरे से करना होगा। क्या यह संभव है?

ईवीएम के सील तक पर अधिकारी-एजेंट का हस्ताक्षर
पीठासीन की डायरी, पीठासीन का प्रतिवेदन, एड्रेस टैग, स्पेशल सील पर भी ईवीएम का नंबर हाथ से अंकित करना होता है। जिस ग्रीन पेपर सील से ईवीएम को सील किया जाता है, उसपर भी पीठासीन अधिकारी और प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट का हस्ताक्षर होता है। अंत में चपड़े से जहां सील लगाया जाता है, वहां भी हस्ताक्षर करना होता है।
मतलब, अगर ईवीएम बदलना है तो सरकारी सेवारत अधिकारी और सभी पोलिंग एजेंट का इन सभी जगहों पर और सील पर भी हस्ताक्षर नए सिरे से कराना होगा। क्या यह संभव है?

और अंत में, यह भी जान लेना चाहिए कि ड्यूटी वहीं दोबारा नहीं लगती
मतदान और मतगणना के लिए ड्यूटी अलग-अलग समय लगती है। अमूमन एक अधिकारी की एक ही ड्यूटी लगती है। अगर दोनों बार ड्यूटी लगी भी तो किसी हालत में एक विधानसभा क्षेत्र में ही मतदान और उसी में मतगणना की ड्यूटी नहीं लगती है। जो मतदान के लिए पीठासीन पदाधिकारी या मतदान अधिकारी ड्यूटी करते हैं, वह एक बार ईवीएम जमा कर निकल गए तो दोबारा उसे देख भी नहीं सकते। क्योंकि, इसकी जिम्मेदारी भी दूसरे किसी पर होती है। यह नियम तोड़ने पर भी नौकरी जाने का खतरा होता है। ईवीएम त्रिस्तरीय सुरक्षा-व्यवस्था में होते हैं, इसलिए इतने घेरों को पार कर ईवीएम तक पहुंचना वोट कराने वाले पीठासीन अधिकारी के लिए भी संभव नहीं।

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