Bihar: भवन के अभाव में खुले आसमां के नीचे पढ़ने को मजबूर विद्यार्थी, इस कारण स्कूल नहीं छोड़ रहे बच्चे
Bihar Education: प्रधानाध्यापक प्रेम कुमार ने बताया कि विद्यालय में बच्चों के बैठने के लिए जगह काफी कम है। इस बात की जानकारी कई बार वरीय अधिकारियों को दी गई। लेकिन कोई पहल नहीं हो सकी। यहां तक कि जनप्रतिनिधियों से भी कहने पर कोई पहल नहीं की जाती है। बरसात के दिनों में और ज्यादा धूप होने पर कुछ छात्र-छात्राएं दीवार के सहारे खड़े होकर पठन-पाठन करते हैं तो कुछ बैठकर करते हैं।
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बिहार के बेतिया में भवन के अभाव में छात्र-छात्राएं खुले आसमान के नीचे पठन-पाठन करने को विवश हैं। मामला मैनाटांड़ प्रखंड क्षेत्र के इनारवा बाजार में संचालित राजकीय प्राथमिक उर्दू विद्यालय का है। जहां खुले आसमान के नीचे भवन के अभाव में छात्र-छात्राओं को पेड़ की छांव में बैठाकर पठन-पाठन कराया जा रहा है। इसे देखते हुए गर्मी के दिनों में खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने को छात्र-छात्राएं विवश हैं तो बरसात के दिनों में क्या हालात होते होंगे। बरसात के दिनों में छात्र-छात्राएं पठन-पाठन किस जगह पर बैठकर करते होंगे। विधालय में मात्र दो कमरे, एक कार्यालय और एक रसोइया घर है। छात्र-छात्राओं का नामांकन 355 है और प्रतिदिन की उपस्थिति 300 से 20 विद्यार्थियों के आसपास होती है।
स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल आने पर जश्न मना रहा स्कूल
विद्यालय स्वच्छता सर्वेक्षण में बिहार में नंबर वन है, सोचने वाली बात है। जब एक ओर बिहार में स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल आने पर विद्यालय परिवार जश्न मना रहा है। वहीं, दूसरी ओर परेशानियों की मार भी झेल रहा है। सड़क से विद्यालय की दूरी महज 100 मीटर है। लेकिन विद्यालय में बच्चों के आने-जाने के लिए मात्र तीन फुट का ही रास्ता है। यहां तक कि शिक्षकों की बाइक लगाने के लिए भी विद्यालय में जगह नहीं हैं। विद्यालय में चार शिक्षक और तीन शिक्षा सेवक हैं। विद्यालय वर्ग एक से पांच तक संचालित होता है। बरसात के दिनों में शिक्षक और छात्र-छात्राओं को विद्यालय परिसर और सड़क पर लगे जलजमाव को पार कर आना-जाना पड़ता है।
‘विद्यालय में पढ़ाई अच्छी होती है’
सलमान आलम, जहीर आलम, सुफिया खातून, दिलशाद आलम, इरशाद आलम, ईदु आलम, दीपू कुमार, अलीशा खातून, सोनी कुमारी, पूनम कुमारी आदि विद्यार्थियों ने बताया कि हम लोगों को पठन-पाठन करने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। करीब-करीब क्लास होने के कारण काफी शोरगुल भी होता है। फिर भी हम लोग अपनी पढ़ाई निरंतर जारी रखते हैं, क्योंकि इस विद्यालय की सभी व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त है। पढ़ाई बहुत ही बेहतर होती है और सरकार द्वारा संचालित एमडीएम बिल्कुल मेनू के अनुसार तथा अपने घर की तरह बनाया भोजन मुहैया कराते हैं, जो काफी स्वादिष्ट होता है। इसके कारण हम लोग किसी अन्य विद्यालय में पढ़ने के बारे में भी नहीं सोचते हैं।
‘विद्यालय की स्थिति बिल्कुल दयनीय’
प्रधानाध्यापक प्रेम कुमार ने बताया कि विद्यालय में बच्चों के बैठने के लिए जगह काफी कम है। इस बात की जानकारी कई बार वरीय अधिकारियों को दी गई। लेकिन कोई पहल नहीं हो सकी। यहां तक कि जनप्रतिनिधियों से भी कहने पर कोई पहल नहीं की जाती है। बरसात के दिनों में और ज्यादा धूप होने पर कुछ छात्र-छात्राएं दीवार के सहारे खड़े होकर पठन-पाठन करते हैं तो कुछ बैठकर करते हैं। जगह के अभाव में विद्यालय की स्थिति बिल्कुल दयनीय है।
‘शिक्षा के प्रति काफी समर्पित हैं प्रधानाध्यापक’
ग्रामीण मुगलेआजम, रुस्तम मियां, जहांगीर आलम, मुन्ना कुमार, विन्ध्याचल प्रसाद आदि ने बताया कि प्रधानाध्यापक प्रेम कुमार शिक्षा के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं, क्योंकि वह विद्यालय परिसर में आठ बजे ही पहुंच जाते हैं। खुद से साफ-सफाई भी करते हैं और फिर छुट्टी होने के बाद अपने कक्ष में बैठकर विद्यालय की देखरेख तथा अपना अन्य कार्य निपटाते हुए लगभग रात के आठ बजे ही अपने घर को वापस जाते हैं। यहां तक कि सुबह और शाम निशुल्क में छात्र-छात्राओं को ट्यूशन भी देते हैं। प्रधानाध्यापक के शिक्षा के प्रति समर्पित होना लोगों में चर्चा का विषय बना रहता है।