Dmitry Peskov: 'मॉस्को-नई दिल्ली भारत का निर्यात बढ़ाने के लिए काम कर रहे', अमेरिकी टैरिफ पर रूस की दो टूक
Dmitry Peskov: क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि मॉस्को यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है कि अमेरिकी प्रतिबंधों की परछाई भारत के साथ होने वाले तेल व्यापार पर न पड़े। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।
विस्तार
पश्चिम देशों के कड़े आर्थिक प्रतिबंधों और अमेरिका की ओर से टैरिफ वॉर चलाने के बीच रूस ने भारत के साथ अपने संबंधों पर बयान दिया है। रूस ने साफ किया है कि नई दिल्ली के साथ उसका रिश्ता किसी 'तीसरे पक्ष' के दबाव में खत्म नहीं होने वाला। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने एक अहम बयान में न केवल तेल व्यापार को सुरक्षित रखने का संकल्प लिया है, बल्कि भारत के लिए सिरदर्द बन चुके 'व्यापार घाटे' को सुलझाने का रोडमैप भी पेश किया। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और यूरोपीय देश रूस की अर्थव्यवस्था को अलग-थलग करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
तेल की धार नहीं होगी कम, रूसी प्रवक्ता पेस्कोव का आश्वासन
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि मॉस्को यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है कि अमेरिकी प्रतिबंधों की परछाई भारत के साथ होने वाले तेल व्यापार पर न पड़े। पेस्कोव ने कहा, "हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि व्यापार की मात्रा में, विशेषकर तेल के क्षेत्र में, कोई कमी न आए।" रूसी अधिकारी का यह बयाान भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले दो वर्षों में रूस भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है। पश्चिमी देशों ने 'प्राइस कैप' और टैंकरों पर प्रतिबंध लगाकर इस सप्लाई चेन को तोड़ने की कोशिश की है, लेकिन रूस का यह आश्वासन बताता है कि 'शैडो फ्लीट' और वैकल्पिक भुगतान तंत्र के जरिए यह प्रवाह जारी रहेगा।
बाहरी दबाव से बचने के लिए सुरक्षा कवच तैयार करना होगा
पेस्कोव ने कूटनीतिक रूप से अमेरिका का नाम लिए बिना साफ संदेश दिया कि दोनों देशों को अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए एक 'सुरक्षा कवच' तैयार करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा, "भारत और रूस को अपने द्विपक्षीय व्यापार को बाहरी दबाव और तीसरे देशों के हस्तक्षेप से सुरक्षित रखना होगा।" विश्लेषकों का मानना है कि यह इशारा सीधे तौर पर स्विफ्ट (SWIFT) बैंकिंग सिस्टम से अलग, एक स्वतंत्र भुगतान प्रणाली (जैसे रुपये-रूबल व्यापार या डिजिटल करेंसी) को और मजबूत करने की ओर है।
भारत के व्यापार घाटे की चिंता पर रूस गंभीर
भारत-रूस संबंधों में वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती 'एकतरफा व्यापार' है। भारत रूस से तेल और हथियार तो खूब खरीद रहा है, लेकिन रूस को भारतीय निर्यात कम है, जिससे एक बड़ा व्यापार घाटा पैदा हो गया है और रूस के पास भारतीय रुपये का जमावड़ा लग गया है। पेस्कोव ने कहा, "रूस भारत की चिंताओं और व्यापार घाटे की समस्या से पूरी तरह अवगत है। हम भारत से आयात बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।" यह नई दिल्ली के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। इसका सीधा अर्थ है कि आने वाले दिनों में रूस भारतीय मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि उत्पादों और ऑटो कंपोनेंट्स के लिए अपने बाजार के दरवाजे और चौड़े कर सकता है।
'मेक इन इंडिया' को मिल सकता है बल
पेस्कोव ने यह भी जानकारी दी कि मॉस्को और नई दिल्ली भारतीय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। यह कदम न केवल व्यापार संतुलन को सुधारेगा बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के 'मेक इन इंडिया' अभियान को भी रूस के रूप में एक बड़ा और स्थाई बाजार दिला सकता है।