Rupee: डॉलर की बढ़त अस्थायी; रुपये की मजबूती के संकेत, विशेषज्ञ बोले- सबसे बुरा दौर बीत चुका
ब्रोकरेज फर्म के अनुसार डॉलर में अस्थायी उछाल के बाद रुपया स्थिर होने की संभावना है। भारतीय रुपये के लिए सबसे बुरा दौर बीत चुका है।फर्म का अनुमान है कि अगले 12 महीनों तक यह 90 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर के आसपास बना रहेगा।
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बाजार विशेषज्ञों और ब्रोकरेज फर्म का अनुमान है कि डॉलर के मुकाबले रुपया आने वाले दिनों में बेहतर प्रदर्शन करेगा। वहीं कई रिपोर्ट दावा कर रही हैं कि डॉलर में हालिया तेजी एक अल्पकालिक घटना है। यह टैरिफ को लेकर वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिकी ब्याज दरों के असपष्ट संकेतों की वजह से बनी हुई है।
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रुपये के लिए सबसे बुरा दौर बीत चुका है
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की एमके वेल्थ मैनेजमेंट लिमिटेड ने अपनी एक नई नेविगेटर रिपोर्ट में कहा है कि डॉलर में अस्थायी उछाल के बाद रुपया स्थिर होने की संभावना है। वहीं अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने अपने भारत रणनीति नोट में कहा है कि भारतीय रुपये के लिए सबसे बुरा दौर बीत चुका है। क्योंकि कैलेंडर वर्ष में यह प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बनी रही। फर्म का अनुमान है कि अगले 12 महीनों तक यह 90 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर के आसपास बना रहेगा। छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत का आंकलन करने वाला डॉलर इंडेक्स कमजोर रहेगा और 100 अंक से नीचे जाने का अनुमान है, जो कि भारतीय रुपये के लिए सकरात्मक संकेत हैं।
डॉलर के कमजोर होने की वजह
एमके वेल्थ मैनेजमेंट रिपोर्ट के अनुसार पिछले महीने डॉलर में लगभग 1 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद, पिछले एक साल में प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले इसमें 4.8 प्रतिशत की गिरावट आई है। अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड सहित बेंचमार्क यील्ड 4 प्रतिशत से नीचे गिर गई है। यह दर्शाता है कि बाजार पहले ही संभावित ब्याज दरों में कटौती का आकलन कर चुके हैं।
रुपया मजबूत होने की संभावना
भारत में रुपया अक्तूबर 2025 की शुरुआत में डॉलर के मुकाबले 88.80 रुपये के अपने उच्च स्तर को छू गया था, और तीसरे सप्ताह तक यह 87.70 रुपये तक गिर गया। 2024 के अंत से मुद्रा की कमजोरी का मुख्य कारण बढ़ता व्यापार घाटा और घरेलू शेयरों से लगातार विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का बहिर्वाह है। हालांकि, हाल के हफ्तों में सकारात्मक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का प्रवाह फिर से शुरू हुआ है, जिससे निकट भविष्य में स्थिरता की उम्मीद जगी है।