देश की अर्थव्यवस्था में इस समय दो परस्पर विरोधी तस्वीरें साफ़ दिखाई पड़ रही हैं। सेंसेक्स रिकॉर्ड ऊंचाई 60,400 अंकों तक पहुंच गया है तो निफ्टी 18 हजार के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया है। यह इस बात का संकेत है कि देश की चुनिंदा बड़ी कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। वहीं, दूसरी तरफ आलू, प्याज, टमाटर, पेट्रोल और घरेलू गैस की महंगाई से माध्यम वर्ग का घर चलाना भी मुश्किल हो गया है। देश में बेरोजगारी दर इस समय भी 7.1 फीसदी के ऊंचे दर पर बनी हुई है। त्योहारी सीजन होने के बाद भी शहरों में बेरोजगारी दर 7.9 फीसदी तो बुवाई का सीजन होने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 6.7 फीसदी है। जानकारों का कहना है कि सेंसेक्स की ऊंचाई अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर पेश नहीं करती है।
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ डॉ. नागेन्द्र कुमार शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि सेंसेक्स केवल 30 बड़ी कंपनियों का ‘खेल’ माना जाता है। विदेशी निवेशक तेजी की लालच में पैसा लगाते हैं, तो सेंसेक्स ऊंचा खेलने लगता है तो किसी आशंका से विदेशी निवेशकों के द्वारा पैसा खींचने पर इसमें अचानक तेज गिरावट आ जाती है। इसमें सबसे बड़ा नुकसान छोटे निवेशकों का होता है जो कमाई की लालच में शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं, लेकिन सही समय पर सही कदम न उठा पाने पर अपनी पूरी पूंजी गंवा बैठते हैं। देश ने हर्षद मेहता जैसे घोटाले देख लिए हैं, इसलिए किसी बड़ी अनहोनी के पहले सरकार को शेयरों की खरीद-बिक्री पर एक नियामक तय करना चाहिए।
डॉ. शर्मा के मुताबिक़ हमारे देश की अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा माध्यम, लघु और निम्न स्तर की इकाईयों के बल पर चलता है। सरकार को इसी सेक्टर को मजबूत करना चाहिए, जिससे अर्थव्यवस्था की असली तस्वीर सुधरेगी, बेरोजगारी में कमी आएगी और बाज़ार में आवश्यक चीजों की मांग बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सेंसेक्स अर्थव्यस्था के एक अंग के बेहतर होने की जानकारी अवश्य देता है, लेकिन 135 करोड़ की आबादी वाले देश में केवल 30-50 कंपनियों की सेहत के आधार पर पूरी अर्थव्यवस्था का विश्लेषण नहीं किया जा सकता।
अर्थव्यवस्था में बेहतरी विश्व के भरोसे का प्रतीक
हालांकि, कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि अर्थव्यवस्था के बेहतर होने का स्पष्ट संकेत सेंसेक्स और निफ्टी के शेयर बाजार में देखने को मिल रहा है। अर्थव्यवस्था की बेहतरी का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि कोर सेक्टर के उद्योगों में तेजी आ रही है। स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, टाटा स्टील, बजाज फिनसर्व, टेक महिंद्रा और डॉक्टर रेड्डीज के शेयरों में तेज उछाल आया है। स्टील-सीमेंट सेक्टर की कंपनियों के उछाल से यह बात भी साबित होती है कि निचले स्तर पर निर्माण कार्यों में तेजी आई है, जो अपने साथ 50 अन्य क्षेत्रों में भी उछाल पैदा करते हैं।
इसी प्रकार बजाज और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कामकाज में उछाल यह साबित करता है कि मध्यवर्ग का उपभोक्ता घर, इलेक्ट्रॉनिक सामान और वाहनों की भारी खरीद कर रहा है, जिसके कारण कर्ज देने वाली इन कंपनियों का कामकाज बढ़ रहा है। कोरोना काल के बाद यह अर्थव्यवस्था की बेहतरी का प्रमाणिक संकेत माना जा सकता है।
केंद्र सरकार के ठोस कदमों का असर
आर्थिक मामलों के जानकार और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता कृष्णगोपाल अग्रवाल ने अमर उजाला से कहा कि सेंसेक्स का नई ऊंचाई पर पहुंचना इस बात का प्रमाण है कि केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था को सुधारने की दिशा में बेहतर कदम उठा रही है और विश्व बिरादरी का भारतीय अर्थव्यवस्था में भरोसा बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, सेंसेक्स पूरी अर्थव्यवस्था की तस्वीर भले ही पेश नहीं करता, लेकिन यह समग्र अर्थव्यवस्था की दिशा का सूचक अवश्य है। यदि अर्थव्यवस्था के अन्य पैमाने बेहतर काम कर रहे होते हैं, तभी इसकी सकारात्मक छाया सेंसेक्स पर दिखाई पड़ती है। यदि अर्थव्यस्था के अन्य महत्वपूर्ण भाग अच्छा प्रदर्शन न करें, तो इसका नकारात्मक असर सेंसेक्स पर दिखाई पड़ता है और सेंसेक्स गिर जाता है।
सेंसेक्स में देश की टॉप 50 कंपनियों की भागीदारी ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। सेंसेक्स के उछलने का सबसे ज्यादा लाभ इन्हीं कंपनियों और इनके निवेशकों को मिलता है। लेकिन यदि अर्थव्यवस्था के बाकी पैमाने बेहतर न कर रहे हों तो ये कंपनियां चाहकर भी अपने शेयर मूल्य नहीं बढ़ा सकतीं।
जब अर्थव्यस्था के निचले स्तर पर मांग बढ़ती है, तब छोटी-छोटी कंपनियों के कामकाज में तेजी आती है। निचले स्तर की कंपनियों के बेहतर प्रदर्शन का असर बड़ी कंपनियों में दिखाई पड़ता है क्योंकि ज्यादातर मामलों में निचले स्तर की अर्थव्यवस्था के उद्योग बड़ी कंपनियों के लिए मांग पैदा करते हैं। इसलिए सेंसेक्स के ऊंचे बढ़ने को अर्थव्यवस्था के समग्र रूप से बेहतर करने की तरह देखा जाना चाहिए।
जहां तक विदेशी निवेशकों द्वारा अपना पैसा वापस खींचने पर सेंसेक्स के गिरने की आशंका से होने वाले नुकसान की बात है, विदेशी निवेशक ऐसा तभी करते हैं जब उन्हें भविष्य में अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट या सरकार की नीतियों में बड़े बदलाव की आशंका होती है। लेकिन चूंकि वर्तमान सरकार प्रो-इंडस्ट्री कदम उठा रही है और निर्माण क्षेत्र को विशेष बढ़ावा दे रही है, आने वाले दिनों में विदेशी निवेशकों के बाजार से भागने का कोई खतरा नहीं है।
विस्तार
देश की अर्थव्यवस्था में इस समय दो परस्पर विरोधी तस्वीरें साफ़ दिखाई पड़ रही हैं। सेंसेक्स रिकॉर्ड ऊंचाई 60,400 अंकों तक पहुंच गया है तो निफ्टी 18 हजार के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया है। यह इस बात का संकेत है कि देश की चुनिंदा बड़ी कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। वहीं, दूसरी तरफ आलू, प्याज, टमाटर, पेट्रोल और घरेलू गैस की महंगाई से माध्यम वर्ग का घर चलाना भी मुश्किल हो गया है। देश में बेरोजगारी दर इस समय भी 7.1 फीसदी के ऊंचे दर पर बनी हुई है। त्योहारी सीजन होने के बाद भी शहरों में बेरोजगारी दर 7.9 फीसदी तो बुवाई का सीजन होने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 6.7 फीसदी है। जानकारों का कहना है कि सेंसेक्स की ऊंचाई अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर पेश नहीं करती है।
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ डॉ. नागेन्द्र कुमार शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि सेंसेक्स केवल 30 बड़ी कंपनियों का ‘खेल’ माना जाता है। विदेशी निवेशक तेजी की लालच में पैसा लगाते हैं, तो सेंसेक्स ऊंचा खेलने लगता है तो किसी आशंका से विदेशी निवेशकों के द्वारा पैसा खींचने पर इसमें अचानक तेज गिरावट आ जाती है। इसमें सबसे बड़ा नुकसान छोटे निवेशकों का होता है जो कमाई की लालच में शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं, लेकिन सही समय पर सही कदम न उठा पाने पर अपनी पूरी पूंजी गंवा बैठते हैं। देश ने हर्षद मेहता जैसे घोटाले देख लिए हैं, इसलिए किसी बड़ी अनहोनी के पहले सरकार को शेयरों की खरीद-बिक्री पर एक नियामक तय करना चाहिए।
डॉ. शर्मा के मुताबिक़ हमारे देश की अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा माध्यम, लघु और निम्न स्तर की इकाईयों के बल पर चलता है। सरकार को इसी सेक्टर को मजबूत करना चाहिए, जिससे अर्थव्यवस्था की असली तस्वीर सुधरेगी, बेरोजगारी में कमी आएगी और बाज़ार में आवश्यक चीजों की मांग बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सेंसेक्स अर्थव्यस्था के एक अंग के बेहतर होने की जानकारी अवश्य देता है, लेकिन 135 करोड़ की आबादी वाले देश में केवल 30-50 कंपनियों की सेहत के आधार पर पूरी अर्थव्यवस्था का विश्लेषण नहीं किया जा सकता।