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FII: The effect of the situation in America, on the domestic market, the equity market's maths deteriorated
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FIIs: अमेरिका के हालात का असर घरेलू बाजार पर, एफआईआई की बिकवाली से इक्विटी मार्केट का गणित बिगड़ा
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विवेक दास
Updated Sat, 24 Sep 2022 04:34 PM IST
FIIs: बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के साथ अमेरिकी बाजार के मौजूदा रुझान से संकेत मिलता है कि एफपीआई आने वाले कुछ समय तक आक्रामक तरीके से निवेश करना बंद कर सकते हैं। यह स्थिति तब तक बनी रह सकती है जब तक ग्लोबल मार्केट में हालात ना सुधर जाए।
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- फोटो : पिक्साबे
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विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से अगस्त महीने में भारतीय शेयर बाजार में 50,000 कराेड़ रुपये की खरीदारी की गई थी पर सितंबर महीने में वे एक बार फिर बाजार से पैसे निकालने लगे हैं। 23 सितंबर तक इंडियन इक्विटी मार्केट में नकद में वे 2445.82 करोड़ रुपये की बिकवाली के साथ फिर नेट सेलर बन गए हैं। पिछले तीन दिनों से वे नेट सेलर रहते बिकवाली कर रहे हैं। स्टाॅक एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार एफआईआई की ओर से 21 सितंबरको 461.04 करोड़, 22 सितंबर को 2509 करोड़ जबकि हफ्ते के आखिरी कराेबारी दिन 23 सितंबर (शुक्रवार) को अप्रत्याशित रूप से 2899 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के साथ अमेरिकी बाजार के मौजूदा रुझान से संकेत मिलता है कि एफपीआई आने वाले कुछ समय तक आक्रामक तरीके से निवेश करना बंद कर सकते हैं। यह स्थिति तब तक बनी रह सकती है जब तक ग्लोबल मार्केट में हालात ना सुधर जाए।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार के अनुसार 23 सितंबर तक एफपीआई ने स्टॉक एक्सचेंजों (स्रोत: एनएसडीएल) के माध्यम से 8945 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी है। उन्होंंने हालांकि यह भी कहा कि खरीद और बिक्री के वैकल्पिक मुकाबलों के साथ एफपीआई गतिविधि बहुत वोलाटाइल हो गई है।
इस महीने 23 सितंबर तक कैश मार्केट में एफपीआई ने आठ दिनों में खरीदारी की है और आठ दिनों तक नकद बाजार में बिकवाली की है। एफपीआई की बिक्री में वृद्धि हाल के दिनों में मजबूत होते डॉलर और अमेरिका में बॉन्ड यील्ड्स के बढ़ने के कारण हुई है। डॉलर इंडेक्स 111 से ऊपर पहुंच चुका है और यूएस में दस वर्षीय बॉन्ड यील्ड 3.7% से ऊपर पहुंच चुका है। ऐसे में एफपीआई के आक्रामक रूप से आगे बढ़ने की संभावना नहीं है। हालांकि आने वाले समय में हालात बदल सकते हैं अगर डॉलर इंडेक्स और यूएस बॉन्ड्स यील्ड्स में कमजोरी आए।
सितंबर के महीने में एफपीआई ने वित्तीय सेवाओं, ऑटो और कैपिटल गुड्स से जुड़े शेयरों में खरीदारी दिखाई है वहीं आईटी क्षेत्र के शेयरों में उन्होंंने बिकवाली की है। अगर एफपीआई फिर से खरीदार बन जाते हैं तो बाजार की वित्तीय स्थिति फिर से मजबूत हो जाएगी और इसे एक मजबूत फंडामेंटल सपोर्ट मिलेगा।
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