CPI: खाद्य कीमतों में गिरावट और मजबूत अर्थव्यवस्था से राहत, आरबीआई से ब्याज दर कटौती की उम्मीद बढ़ी
खुदार महंगाई निम्न स्तर पर आने की वजह से विशेषज्ञों का कहना है कि वित्त वर्ष 2026 के शेष समय में स्थिति अच्छी रहने की उम्मीद है। बाजार को उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों के कटौती चक्र को दोबारा शुरू कर सकता है।
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खाद्य कीमतों में लगातार गिरावट, जीएसटी दरों में कटौती और खुदरा मुद्रास्फीति अक्तूबर 2025 में 0.25 प्रतिशत के ऐतिहासिक निम्मनत स्तर पर आ गई है। वहीं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) निम्न स्तर पर आने की वजह से विशेषज्ञों का कहना है कि वित्त वर्ष 2026 के शेष समय में स्थिति अच्छी रहने की उम्मीद है। इसकी वजह से बाजार को उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों के कटौती चक्र को दोबारा शुरू कर सकता है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में पिछले महीने की तुलना में अक्तूबर 2025 में (-) 1.21 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। यह लगातार चौथे महीने भी नकारात्मक क्षेत्र में रही।
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मजबूत आर्थिक परिदृश्य के कारण हो सकती है ब्याज दरों में कटौती
रेटिग्ंस एजेंसी क्रिसिल का कहना है, वित्तिय स्थिति सूचकांक ने महीने दर महीने घरेलू वित्तीय स्थितियों में सुधार दर्शाया है। यह अक्तूबर 2025 में -0.3 बढ़ी है। चार महीने बाद विदेशी पोर्टफोलियों निवेशक (एफपीआई) की भारतीय बाजारों में वापसी , जो अक्तूबर में वित्तीय स्थितियों में सुधार का प्रमुख कारण रही है। क्रिसिल के अनुसार एफपीआई में वृद्धि से घरेलू बाजार को फायदा हुआ है। वहीं अक्तूबर में ऋण वृद्धि में सुधार और मोटे तौर पर स्थिर रुपये ने भी वित्तीय स्थिति सूचकांक के मूल्य में वृद्धि में योगदान दिया है। इसलिए हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 के शेष समय के लिए आरामदायक स्थिति रहेगी। यह भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को सीआरआर में कटौती करने और अपने दर कटौती चक्र को फिर से शुरू करने को प्रभावित कर सकती है।
वित्त वर्ष 2026 में मुद्रास्फीति दो प्रतिशत रहने का अनुमान
जियोजित इंवेस्टमेंट्स लिमिटेड के अनुसांधन प्रमुख विनोद नायर कहते हैं कि अक्तूबर में मुद्रास्फीति के रिकॉर्ड नीचले स्तर पर पहुंचने से धातु और रियल्टी जैसे ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील क्षेत्र निवेशकों के लिए आकर्षक हो गए है। हालांकि एफपीआई की निकासी अभी जारी है और रुपये में कमजोर रुझान के बीच बिहार चुनाव परिणामों का भी असर मौजूदा बाजार पर देखने को मिल रहा है। सितंबर 2025 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई मुद्रास्फीति को भी संशोधित किया गया है, जिसमें जीएसटी कटौती को शामिल किया है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अब वित्त वर्ष 2026 में मुद्रास्फीति के लगभग दो प्रतिशत का रहने का अनुमान है, जो आरबीआई के 2.6 प्रतिशत के अनुमान से लगभग 50 आधार कम है। मुद्रास्फीति आरबीआई के चार प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे है। इसलिए आर्थिक परिदृश्य ब्याज दरों में कटौती के लिए संभावना दिखाई देती है।
एमपीसी की अगली बैठक 3 से 5 दिसंबर 2025 को
एनरिच मनी के सीईओ पोनमुडी आर कहते हैं कि आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अगली बैठक, जो कि 3 से 5 दिसंबर 2025 तक निर्धारित है, केंद्रीय बैंक की कार्रवाई करने की इच्छा शक्ति को दिखाएगी। फिलहाल अक्तूबर की नीति में आरबीआई गवर्नर ने नरम रुख अपनाया है, जिसमें रेपो दर को 5.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है और तटस्थ रुख बनाए रखा है। उनका यह निर्णय भारत के विकास में विश्वास को दर्शाता है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने जीडीपी अनुमान को बढ़ाया है और मुद्रास्फीति पर सतर्क आशावाद रूख अपनाया है। वे कहते हैं कि विश्व के अन्य केंद्रीय बैंक, जिसमें अमेरिकी फेडरेल रिजर्व भी शामिल है, वे नरम रुख अपना रहे हैं। इसलिए हमारी उम्मीद है कि दिसंबर तक नहीं तो 2026 की शुरुआत तक 25 आधार अंकों की कटौती देखने को मिल सकती है।