CPI Inflation: अक्तूबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 0.25 प्रतिशत पर, सब्जियों और फलों की कीमतों में नरमी का असर
CPI Inflation: उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में 1.44 प्रतिशत और अक्तूबर 2024 में 6.21 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्तूबर में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर (-) 5.02 प्रतिशत रह गई। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
विस्तार
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अक्तूबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 0.25 प्रतिशत रह गई। यह इसका कई वर्षों का निचला स्तर है। बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, जीएसटी दर में कटौती और सब्जियों और फलों की कीमतों में नरमी के कारण खुदरा मुद्रास्फीति में यह गिरावट आई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में 1.44 प्रतिशत और अक्तूबर 2024 में 6.21 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्तूबर में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर (-) 5.02 प्रतिशत रह गई।
महंगाई दर पर जीएसटी दरों में कटौती का दिखा असर
एनएसओ ने कहा कि अक्तूबर 2025 के दौरान हेडलाइन मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट पर मुख्य रूप से जीएसटी दर में कटौती का असर दिखा। इसके अनुकूल आधार प्रभाव और तेल व वसा, सब्जियों, फलों, अंडे, जूते, अनाज और उत्पादों, परिवहन व संचार की कीमतों में नरमी से बाजार में महंगाई घटी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्तूबर में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर (-)5.02 प्रतिशत रह गई। एनएसओ ने कहा कि अक्तूबर 2025 के दौरान हेडलाइन मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट मुख्य रूप से जीएसटी में गिरावट, अनुकूल आधार प्रभाव और तेल और वसा, सब्जियों, फलों, अंडे, जूते, अनाज और उत्पादों, परिवहन और संचार की मुद्रास्फीति में गिरावट के पूरे महीने के प्रभाव के कारण है।
22 सितंबर से लागू हुईं जीएसटी की घटी हुई दरें
रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। सरकार की ओर से केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) 4 प्रतिशत पर बना रहे और इसे दोनों ओर 2 प्रतिशत के अंतर तक सीमित रखा जाए। वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) की घटी हुई दरें 22 सितंबर से लागू हो गईं।
एनएसओ के आंकड़ों से पता चला कि ग्रामीण क्षेत्र में मुद्रास्फीति नकारात्मक क्षेत्र में 0.25 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 0.88 प्रतिशत थी। सबसे अधिक मुद्रास्फीति केरल (8.56 प्रतिशत) में रही, उसके बाद जम्मू-कश्मीर (2.95 प्रतिशत), कर्नाटक (2.34 प्रतिशत), पंजाब (1.81 प्रतिशत) और तमिलनाडु (1.29 प्रतिशत) का स्थान रहा। असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में मुद्रास्फीति नकारात्मक रही। आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने सीपीआई मुद्रास्फीति अनुमान को 2.6 प्रतिशत से और कम कर सकती है।
उन्होंने कहा, "यह अक्तूबर 2025 के नीति दस्तावेज के नरम रुख के साथ दिसंबर 2025 की नीति समीक्षा में 25-बीपीएस दर में कटौती का समर्थन करेगा, जब तक कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि ऊपर की ओर न हो।" केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि सितंबर के अंत में जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने के बाद इसका सकारात्मक प्रभाव अक्तूबर में मुद्रास्फीति के निम्न स्तर में दिखाई दिया।
एमपीसी की अगली बैठक 3 से 5 दिसंबर के बीच
सिन्हा ने कहा, "मौद्रिक नीति के नज़रिए से, मुद्रास्फीति में नरमी आरबीआई को आर्थिक विकास को सहारा देने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अधिक गुंजाइश देती है, जबकि बाहरी चुनौतियां और अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता को लेकर अनिश्चितताएं जारी हैं। अगर वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में विकास दर कमज़ोर होती है, तो मुद्रास्फीति के ताज़ा आंकड़े ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश पैदा कर सकते हैं।" एमपीसी की अगली बैठक 3 से 5 दिसंबर 2025 के बीच होनी है।
ब्रिकवर्क रेटिंग्स के राजीव शरण ने कहा कि महंगाई सीपीआई शृंखला में सबसे निचले स्तर पर आ गई है। यह जीएसटी कटौती, खाने-पीने के चीजों की कीमतों में कमी और परिवहन सेवाओं के सस्ता होने के कारण है। एनएसओ देश भर के चयनित 1,181 गांवों और 1,114 शहरी बाजारों से सीपीआई के आंकड़े एकत्र करता है।