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Milk Price Hike: दूध क्यों महंगा हुआ? क्या आने वाले दिनों में कोई राहत मिलने की उम्मीद है?

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विवेक दास Updated Fri, 19 Aug 2022 04:37 PM IST
सार

Milk Price Hike: डेयरी कंपनियों और सहकारी संस्थाओं का तर्क है कि दूध का उत्पादन और दुग्ध व्यवसाय का परिचालन लगातार महंगा होता जा रहा है। पशुचारे की कीमत बीते कुछ महीनों में तेजी से बढ़ी है। मकई, गेहूं और सोयाबीन की कीमतों में बीते एक वर्ष के दौरान 20 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया है।

why did Milk Price Increased? Is there any relief expected in the coming days?
दूध के दाम बढ़े - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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देश में दूध की कीमतें बढ़ती जा रही है। दुनिया के सबसे बड़े दूध के उपभोग वाले देश में दूध के भाव बढ़ने से आम लोगों के घर का बजट बिगड़ना स्वाभाविक है। दूध का उत्पादन और विपणन करने वाली कंपनियां अब अपनी लागत का भार उपभोक्ताओं पर डालना शुरू कर चुके हैं। इसी हफ्ते अमूल और मदर डेयरी दोनों ने दूध की कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी है। इस साल दो बार दूध की कीमतों में इजाफा हो चुका है। इससे पहले साल 2019 में दूध के दाम बढ़े थे। आइए समझते हैं कि देश में दूध की कीमत आखिर क्यों बढ़ रही है? आने वाले दिनों में लोगों को कोई राहत मिल सकती है या नहीं?

दूध महंगा क्यों हो रहा है?

डेयरी कंपनियों और सहकारी संस्थाओं का तर्क है कि दूध का उत्पादन और दुग्ध व्यवसाय का परिचालन लगातार महंगा होता जा रहा है। पशुचारे की कीमत बीते कुछ महीनों में तेजी से बढ़ी है। मकई, गेहूं और सोयाबीन की कीमतों में बीते एक वर्ष के दौरान 20 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया है। महंगाई से निपटने के लिए दुग्ध उत्पादकों के सामने अपनी बढ़ी हुई लागत का भारत उपभोक्ताओं के ऊपर डालने के अलावे कोई चारा नहीं बचा है। इस बारे में दूध का विपणन करने वाली कंपनी अमूल का कहना है कि इनपुट कॉस्ट बढ़ने के कारण जिन सहकारी समितियों से वे दूध ले रहे हैं वे किसानों की दूध की कीमत हर हर साल लगभग आठ से नौ प्रतिशत की दर से बढ़ा देती है। वहीं मदर डेयरी का कहना है कि राॅ मिल्क की कीमत बीते चार से पांच महीनों के दौरान 10 से 11 प्रतिशत तक बढ़ी है। 

क्या दूध की डिमांड बढ़ने का असर भी कीमतों पर पड़ रहा?

देश में कोरोना वैक्सीनेशन की सफलता के बाद बड़े पैमाने पर ऑफिस, स्कूल और अन्य संस्थान दोबारा खुल गए हैं। बंदिशें घटने से होटलों और रेस्त्रांओं में भी दूध की मांग बढ़ी है, क्योंकि अब लोग घर के बाहर निकलकर कोरोना काल के पूर्व तरह खाने-पीने लगे हैं। पिछले दो-तीन क्वार्टर में दूध की मांग में बड़ा इजाफा हुआ है। इसका असर भी दूध की कीमतों पर पड़ा है। जानकारों के मुताबिक वैश्विक बाजारों में भी दूध के महंगा होने का असर घरेलू बाजार पर पड़ रहा है। लोग दूध और उससे बने उत्पादों के निर्यात मेंं दिलचस्पी लेने लगे हैं। इन परिस्थितयों के कारण दूध की कीमतों पर दबाव बढ़ा है। 

क्या थोक महंगाई दर घटने का असर दूध पर नहीं पड़ा?

थोक महंगाई दर जुलाई महीने में घटकर 13.93% हो गई है। वास्तव में बात अगर दूध और उसके उत्पादों की बात करें तो इस मामले में जुलाई महीने में थोक महंगाई दर 5.45% रही जो जून महीने में 6.35% थी। पर ये अब भी फरवरी महीने की तुलना में बहुत अधिक है। वहीं दूसरी ओर कंपनियों ने अपनी लागत का भारत भी उपभोक्ताओं पर डालना शुरू कर दिया है। मांग का बढ़ना भी दूध की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण है। वहीं, दूध की विपणन कंपनी अमूल का कहना है कि दूध की कीमतों में बढ़ोतरी अब भी चार प्रतिशत से कम है, जबकि खाद्य पदार्थों की महंगाई दर लगभग आठ से नौ प्रतिशत पर बनी हुई है।

दूध की बढ़ी कीमतों से राहत कब मिलेगी?

दूध का उत्पादन सिंतबर से फरवरी महीने के बीच बढ़ता है। इसे फ्लश सीजन कहा थाता है। इस महीनों में दूध का उत्पादन अपने उच्चतम स्तर पर होता है। इन महीनों के दौरान पशुओं के लिए हरी खाद्य सामग्री और पानी प्रचूर मात्रा में उपलब्ध होती है। इसका सकारात्मक असर दूध के उत्पादन पर पड़ता है। सितंबर से फरवरी महीने के बीच अगर दुग्ध उत्पादकों के लिहाज से सब कुछ ठीक ठाक रहा तो उपभोक्ताओं को दूध की कीमतों में थोड़ी राहत मिल सकती है। 

दूध महंगा होने का उपभोक्ताओं पर क्या असर पड़ेगा?

दूध की कीमतों में बढ़ोतरी महंगाई से पहले से जूझ रहे आम लोगों के लिए एक नई परेशानी है। जाहिर तौर उन्हें अब दूध पर पहले की तुलना में अधिक खर्च करना पड़ेगा। भारत दूध का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है और यहां जुलाई महीने से अब तक दुग्ध उत्पादक और विपणन कंपनियां दूध की कीमतों में 5% से 8% तक की बढ़ोतरी कर चुकी है। अमूल ने कहा है कि कीमत बढ़ने के शुरुआती कुछ दिनों में इसका असर दूध की खपत पर जरूर पड़ा पर अब धीरे-धीरे चीजें समान्य होने लगीं हैं। बता दें कि दूध की बढ़ी कीमतों का असर उन कंपनियों के संचालन पर भ्ज्ञी पड़ रहा है जो दूध पर आधारित उत्पाद बनाते हैं। जाहिर तौर पर उनकी लागत बढ़ी है। ऐसे में उससे जुड़े उत्पाद जैसे पनीर, दही, मिठाई, बेकरी प्रोडक्ट्स आदि की कीमतें भी बढ़ सकती है।   

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