नई विधानसभा पर ब्रेक: केंद्र का इनकार, पंजाब का विरोध और जमीन के कारण हरियाणा का सपना टूटा
वर्तमान में पंजाब और हरियाणा दोनों चंडीगढ़ स्थित संयुक्त विधानसभा भवन का उपयोग करते हैं। 2016 से इस भवन के यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित होने के कारण यहां किसी भी तरह का निर्माण या बदलाव करने की मनाई है।
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चंडीगढ़ में हरियाणा के लिए अलग से विधानसभा भवन बनाने का सपना टूट गया है। गृह मंत्रालय ने चंडीगढ़ प्रशासन को निर्देशित करते हुए इस पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और यूटी के मुख्य सचिव एच राजेश प्रसाद को इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए मना कर दिया है। हरियाणा कांग्रेस ने हरियाणा सरकार से इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है।
जुलाई 2022 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में जयपुर में हुई नॉर्दन जोनल काउंसिल की बैठक में हरियाणा के लिए अलग विधानसभा भवन बनाने का प्रस्ताव लाया गया था। सूत्रों के अनुसार नवंबर में फरीदाबाद में हुई काउंसिल की बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने नायब सिंह सैनी से इस प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाने के लिए कह दिया। दरअसल, वर्तमान में पंजाब और हरियाणा दोनों चंडीगढ़ स्थित संयुक्त विधानसभा भवन का उपयोग करते हैं। 2016 से इस भवन के यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित होने के कारण यहां किसी भी तरह का निर्माण या बदलाव करने की मनाई है।
ईको सेंसटिव जोन की जमीन के कारण सिरे नहीं चढ़ा प्रस्ताव
हरियाणा सरकार ने नए विधानसभा भवन के लिए गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी। इसके बाद जुलाई 2023 में चंडीगढ़ प्रशासन ने आईटी पार्क के पास रेलवे लाइट प्वाइंट के पास 10 एकड़ जमीन हरियाणा को देने पर सहमति जताई थी। इस जमीन की कीमत करीब 640 करोड़ रुपये आंकी गई थी। हरियाणा सरकार ने जमीन के बदले जमीन देने का प्रस्ताव चंडीगढ़ प्रशासन को दिया था। हरियाणा ने पंचकूला के एमडीसी के सेक्टर-2 के नजदीक 12 एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव दिया था लेकिन यह जमीन ईको सेंसटिव जोन के दायरे में आ रही थी। इस पर चंडीगढ़ प्रशासन ने शर्त रख दी कि जमीन ईको सेंसटिव जोन से बाहर होनी चाहिए क्योंकि ईएसजेड के अंदर की जमीनों पर निर्माण नहीं किया जा सकता।
2029 से पहले नया विधानसभा भवन तैयार करना चाहता है हरियाणा
मौजूदा हरियाणा विधानसभा में विधायकों के पास बैठने की पर्याप्त जगह नहीं है। इसमें 90 विधायक ही बैठ सकते हैं। यहां तक हरियाणा के हिस्से के कई कमरे भी पंजाब विधानसभा के पास हैं। 2028 में हरियाणा में परिसीमन भी संभावित है। यदि ऐसा होता है तो विधानसभा की सीटें 126 या उससे ज्यादा हो सकती हैं। ऐसे में पुरानी विधानसभा में विधायकों के लिए बैठना मुश्किल होगा। इसलिए सरकार 2029 से पहले नया विधानसभा भवन तैयार कर लेना चाहती है।
पंजाब कर रहा विरोध
चंडीगढ़ की जमीन हरियाणा को देने का पंजाब की तरफ से विरोध किया जा रहा है। आम आदमी पार्टी के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने इस संबंध में नवंबर 2024 में प्रशासक गुलाबचंद कटारिया से मुलाकात की थी और हरियाणा को जमीन नहीं देने की मांग की थी। उनका कहना है कि चंडीगढ़, पंजाब की राजधानी है। इसलिए हरियाणा को जमीन नहीं देनी चाहिए।
कांग्रेस ने की सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग
हरियाणा कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर वार करते हुए इस मुद्दे पर तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार न तो नए विधानसभा भवन के लिए जमीन ले पा रही है और न ही हरियाणा को उसके हक का पानी दिला पाई है। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद हरियाणा को एसवाईएल का पानी नहीं मिल रहा। चंडीगढ़ को लेकर भी सरकार की नीति अस्पष्ट है। इससे जनता में भ्रम फैल रहा है। कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने मुख्यमंत्री से मांग की कि तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलाकर हरियाणा की अलग राजधानी के लिए केंद्र से फंड की औपचारिक मांग की जाए।