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CG: सागौन के 230 पेड़ों की अवैध कटाई, एमआरएस मिनरल्स के संचालक पर आरोप, राजस्व विभाग की भूमिका पर उठे सवाल

अमर उजाला नेटवर्क, सक्ती Published by: अमन कोशले Updated Fri, 26 Sep 2025 12:55 PM IST
सार

डोलोमाइट खदान क्षेत्र में लगभग 230 पेड़ बिना अनुमति काट दिए गए। वन विभाग को जब इसकी जानकारी मिली तो टीम मौके पर पहुंची और लकड़ी की गिनती शुरू की। अब तक 215 पेड़ों की गिनती की जा चुकी है, जबकि कुल कटे हुए पेड़ों की संख्या करीब 230 बताई जा रही है।

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Illegal felling of 230 teak trees, allegations against the director of MRS Minerals in Chhattisgarh
सागौन के 230 पेड़ों की अवैध कटाई - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में इमारती लकड़ी सागौन के सैकड़ों पेड़ों की अवैध कटाई का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि डूमरपारा के पास डोलोमाइट खदान क्षेत्र में लगभग 230 पेड़ बिना अनुमति काट दिए गए। वन विभाग को जब इसकी जानकारी मिली तो टीम मौके पर पहुंची और लकड़ी की गिनती शुरू की। अब तक 215 पेड़ों की गिनती की जा चुकी है, जबकि कुल कटे हुए पेड़ों की संख्या करीब 230 बताई जा रही है। वन विभाग ने इन सभी पेड़ों को जब्त कर लिया है और पीओआर दर्ज करने की बात कही है।
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इस घटना को लेकर एमआरएस मिनरल्स के संचालक पर आरोप लगे हैं। माना जा रहा है कि डोलोमाइट खनन की तैयारी के लिए क्षेत्र में लगे सागौन के पेड़ों की अवैध रूप से कटाई की गई। वहीं, राजस्व विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अधिकारियों की मिलीभगत से इतने बड़े पैमाने पर सागौन जैसे बेशकीमती पेड़ों को रातों-रात काटा गया।
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वन विभाग के डीएफओ हिमांशु डोंगरे ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस जगह यह पेड़ काटे गए हैं, वह विवादित भूमि है और वन विभाग की बाउंड्री में आती है। उन्होंने पुष्टि की कि एमआरएस मिनरल्स के संचालक द्वारा लगभग 200 से अधिक सागौन के पेड़ काटे गए थे और वही छोड़ दिए गए थे। विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए पीओआर जारी किया और सभी पेड़ों को राजसात कर लिया है।

डीएफओ डोंगरे ने आगे बताया कि भूमि विवाद को लेकर कलेक्टर से संयुक्त टीम गठित कर सीमांकन कराने का आग्रह किया गया है। सीमांकन के बाद यह स्पष्ट होगा कि जमीन किस विभाग के अधिकार क्षेत्र में आती है। फिलहाल जांच जारी है और जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

यह पूरा मामला कई गंभीर सवाल खड़े करता है। एक ओर सरकार इमारती पेड़ों की सुरक्षा और संरक्षण पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर इतने बड़े पैमाने पर दिनदहाड़े पेड़ों की कटाई हो जाना वन विभाग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। खासकर इस तथ्य ने लोगों को और भी चौंकाया है कि क्षेत्र में वन विभाग का कोई गश्त दल मौजूद नहीं रहता, जिसके चलते रातों-रात पेड़ों की अवैध कटाई कर ली गई।

डूमरपारा के आसपास बड़ी संख्या में सागौन के पेड़ लगे हुए हैं और डोलोमाइट की खदान भी वहीं स्थित है। स्थानीय लोगों का कहना है कि खनन के लिए रास्ता साफ करने की नीयत से पेड़ों की कटाई की गई है। अब देखना होगा कि विभाग इस मामले में दोषियों के खिलाफ कितनी सख्ती दिखाता है और क्या बड़े पैमाने पर हुए इस नुकसान की भरपाई हो पाएगी।
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