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उत्तराखंड के लिए व्यापक आपदा प्रबंधन नीति बनाई जाए : असवाल
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एनडीएमए सदस्य ने यूएसडीएमए मुख्यालय का किया निरीक्षण
अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य डॉ. डीके. असवाल ने राज्य की भौगोलिक, पर्यावरणीय व संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए आपदा प्रबंधन नीति तैयार करने के निर्देश दिए। यह निर्देश उन्होंने यूएसडीएमए में आपदा प्रबंधन अधिकारियों के साथ बैठक में दिए।
एनडीएम सदस्य असवाल ने कहा कि राज्य को ऐसी दूरदर्शी नीति की आवश्यकता है जो विकास के साथ-साथ आपदा जोखिम न्यूनीकरण को भी समान रूप से प्राथमिकता दे। कहा कि यूएसडीएमए द्वारा तैयार की जाने वाली नीति में आपदा सुरक्षित उत्तराखंड की परिकल्पना को ठोस और क्रियान्वयन योग्य रूप में प्रस्तुत किया जाए।
यूएसडीएमए को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करें
उन्होंने कहा कि यूएसडीएमए को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है। इसके लिए एनडीएमए हर संभव सहयोग करेगा। यूएसडीएमए को व्यापक डाटा सेंटर विकसित करना चाहिए, जहां विभिन्न विभागों, एजेंसियों, शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान संगठनों से प्राप्त सभी आंकड़े एकीकृत रूप से संग्रहित हों। यह डाटा सेंटर न केवल रीयल-टाइम जानकारी प्रदान करे, बल्कि विभिन्न आपदा जोखिमों का विश्लेषण कर वैज्ञानिक नीति निर्माण में भी सहयोग करे।
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सेंसर की संख्या बढ़ाई जाए
एनडीएमए सदस्य असवाल ने राज्य में स्थापित सेंसरों और सायरनों की संख्या में वृद्धि करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि संवेदनशील भौगोलिक स्थलों पर किसी भी प्रकार के अनियंत्रित निर्माण पर रोक लगाने की आवश्यकता है। कहा कि राज्य सरकार को भवन निर्माण से संबंधित एक दीर्घकालिक नीति तैयार करनी चाहिए।
विशेष आर्थिक पैकेज मांगा
बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने एनडीएमए से राज्य को विशेष आर्थिक सहायता पैकेज, एसडीआरएफ के मानकों में शिथिलीकरण, एसडीएमएफ निधि में वृद्धि की मांग की। साथ ही हिमस्खलन/भूस्खलन पूर्वानुमान मॉडल की स्थापना और ग्लेशियर झीलों की निगरानी में सहयोग मांगा। आपदा से बेघर हुए व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए वन भूमि हस्तांतरण नियम में शिथिलीकरण की भी मांग की।
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अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य डॉ. डीके. असवाल ने राज्य की भौगोलिक, पर्यावरणीय व संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए आपदा प्रबंधन नीति तैयार करने के निर्देश दिए। यह निर्देश उन्होंने यूएसडीएमए में आपदा प्रबंधन अधिकारियों के साथ बैठक में दिए।
एनडीएम सदस्य असवाल ने कहा कि राज्य को ऐसी दूरदर्शी नीति की आवश्यकता है जो विकास के साथ-साथ आपदा जोखिम न्यूनीकरण को भी समान रूप से प्राथमिकता दे। कहा कि यूएसडीएमए द्वारा तैयार की जाने वाली नीति में आपदा सुरक्षित उत्तराखंड की परिकल्पना को ठोस और क्रियान्वयन योग्य रूप में प्रस्तुत किया जाए।
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यूएसडीएमए को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करें
उन्होंने कहा कि यूएसडीएमए को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है। इसके लिए एनडीएमए हर संभव सहयोग करेगा। यूएसडीएमए को व्यापक डाटा सेंटर विकसित करना चाहिए, जहां विभिन्न विभागों, एजेंसियों, शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान संगठनों से प्राप्त सभी आंकड़े एकीकृत रूप से संग्रहित हों। यह डाटा सेंटर न केवल रीयल-टाइम जानकारी प्रदान करे, बल्कि विभिन्न आपदा जोखिमों का विश्लेषण कर वैज्ञानिक नीति निर्माण में भी सहयोग करे।
सेंसर की संख्या बढ़ाई जाए
एनडीएमए सदस्य असवाल ने राज्य में स्थापित सेंसरों और सायरनों की संख्या में वृद्धि करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि संवेदनशील भौगोलिक स्थलों पर किसी भी प्रकार के अनियंत्रित निर्माण पर रोक लगाने की आवश्यकता है। कहा कि राज्य सरकार को भवन निर्माण से संबंधित एक दीर्घकालिक नीति तैयार करनी चाहिए।
विशेष आर्थिक पैकेज मांगा
बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने एनडीएमए से राज्य को विशेष आर्थिक सहायता पैकेज, एसडीआरएफ के मानकों में शिथिलीकरण, एसडीएमएफ निधि में वृद्धि की मांग की। साथ ही हिमस्खलन/भूस्खलन पूर्वानुमान मॉडल की स्थापना और ग्लेशियर झीलों की निगरानी में सहयोग मांगा। आपदा से बेघर हुए व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए वन भूमि हस्तांतरण नियम में शिथिलीकरण की भी मांग की।