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Delhi Blast: आतंकियों के कदमों के निशां का पीछा कर उत्तराखंड भी पहुंचती रहीं एजेंसियां, पकड़े गए संदिग्ध आतंकी

माई सिटी रिपोर्टर, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Wed, 12 Nov 2025 10:13 AM IST
सार

आतंकियों के कदमों के निशां का पीछा कर एजेंसियां उत्तराखंड भी पहुंचती रहीं हैं। 90 के दशक से लेकर अब तक कई बार खालिस्तानियों का नेटवर्क ध्वस्त किया जा चुका है।

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Delhi blast: Agencies also reaching Uttarakhand following terrorists footsteps Since 1990 Khalistan network
दिल्ली में हुए धमाके में जले वाहन - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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आतंकी घटनाओं से कभी सीधे तौर पर उत्तराखंड का जुड़ाव नहीं रहा लेकिन आतंकियों के कदमों के निशानों का पीछा करते हुए देश की सुरक्षा एजेसियां यहां पहुंचती रहीं हैं। कोई यहां से नेटवर्क चलाने की फिराक में था तो कोई घटना के बाद यहां पनाह लिए हुए था। उत्तराखंड पुलिस ने सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर कई आतंकियों और इनके समर्थकों को ढूंढ निकाला।

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अब भी उत्तराखंड पुलिस ऐसे किसी देश विरोधी शख्स के लिए उत्तराखंड को शरणस्थली नहीं बनने देना चाहती है। लिहाजा सभी एजेंसियों के साथ मिलकर खुफिया जानकारियां लगातार इकट्ठा की जा रही हैं। 1980 के दशक में खालिस्तान आतंकवादियों से ऊधमसिंह नगर जिला भी प्रभावित था। उस वक्त यहां भी आतंकवादियों की सक्रियता हुआ करती थी। एक दशक से भी ज्यादा के समय तक पुलिस और आतंकियों में कई मुठभेड़ हुईं। कभी पंजाब पुलिस ने भी स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर कई ऑपरेशन चलाए।
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मास्टरमाइंड परमिंदर उर्फ पेंदा और उसके साथी को 2015 में था पकड़ा 
इसके बाद 1990 के दशक में यहां से सक्रिय आतंकियों के नेटवर्क को तो ध्वस्त कर दिया गया मगर इन्होंने इस क्षेत्र को अपनी पनाहगाह समझ लिया। सीधे तौर पर सक्रियता तो खत्म हो गई मगर घटना करने के बाद यहां कई बार छिपे। इनमें नाभा जेल ब्रेक के आरोपियों ने तो देहरादून में भी शरण ली थी। मास्टरमाइंड परमिंदर उर्फ पेंदा और उसके साथी को 2015 में देहरादून पुलिस ने पकड़ा था।

इधर गढ़वाल में हरिद्वार और रुड़की क्षेत्र में कई बार ऐसे मौके आए जब केंद्रीय एजेंसियां आतंकियों और उनके साथियों का पीछा करते आईं थीं। इनमें लश्कर-ए-तैयबा, आईएसआई को सूचना देने वाले, गजवा-ए-हिंद मॉड्यूल शामिल हैं। वर्ष 2016 में तो हरिद्वार से चार आईएसआईएस के चार संदिग्ध आतंकवादियों को एनआईए और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर पकड़ा था। ये आतंकी उस वक्त हरिद्वार में चल रहे अर्द्धकुंभ में बड़ी घटना को अंजाम देने वाले थे।

कब कब पकड़े गए संदिग्ध आतंकी

06 फरवरी 2018-लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क से जुड़े अब्दुल समद नाम के संदिग्ध आतंकी को पकड़ा। यह हवाला के जरिये धन इकट्ठा कर रहा था।

20 अप्रैल 2018-यूपी एटीएस ने डीडीहाट से रमेश सिंह कन्याल नाम के संदिग्ध आतंकी को पकड़ा। इस पर आईएसआई को सूचना देने का आरोप था।

10 सितंबर 2018-खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े दो संदिग्ध लोगों को ऊधमसिंह नगर पुलिस ने पकड़ा। सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार कर रहे थे।

17 सितंबर 2018-धारचूला से एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया। उस वक्त आरोप था कि वह तत्कालीन रक्षामंत्री की हत्या की साजिश रच रहा था।

06 जून 2019-ऊधमसिंह नगर से बब्बर खालसा इंटरनेशनल के लिए हथियार जुटाने और सप्लाई करने वाले हरचरण सिंह को गिरफ्तार किया गया।

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21 जुलाई 2019-नैनीताल पुलिस ने हल्द्वानी के 52 लोगों के खिलाफ जांच शुरू की। ये सब सोशल मीडिया से खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े थे।

01 फरवरी 2020-यूपी एटीएस ने रुड़की से खालिस्तानी लिबरेशन फोर्स के सदस्य आशीष सिंह को गिरफ्तार किया।

03 नवंबर 2022-यूपी एटीएस ने उत्तराखंड एसटीएफ के साथ मिलकर गजवा-ए-हिंद मॉड्यूल से जुड़े संदिग्ध को ज्वालापुर से गिरफ्तार किया।


 

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