कांवड़ यात्रा पर फिलहाल प्रतिबंध है। ऐसे में जो भी कांवड़ लेकर हरिद्वार आएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। उस पर मुकदमा दर्ज करने के साथ 14 दिन के लिए क्वारंटीन भी किया जा सकता है। यह बात डीजीपी अशोक कुमार ने मंगलवार को आठ राज्यों के पुलिस अधिकारियों की बैठक के बाद कही।
पुलिस मुख्यालय में कांवड़ यात्रा (23 जुलाई से छह अगस्त) पर चर्चा के लिए मंगलवार को अंतरराज्यीय समन्वय बैठक बुलाई गई थी। इसमें सात राज्यों (उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब) के 36 पुलिस व इंटेलीजेंस अधिकारियों ने ऑनलाइन व ऑफलाइन भाग लिया। इस दौरान डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि उत्तराखंड शासन ने कांवड़ मेले को पूर्णतया प्रतिबंधित किया है।
सभी राज्य थाना स्तर पर सभी कांवड़ समितियों के साथ बैठक कर इस प्रतिबंध के बारे में उन्हें बताएं। आईजी कानून व्यवस्था वी मुरुगेशन ने कहा कि जो यात्री हरिद्वार की सीमा में प्रवेश करेगा। उनसे कोविड महामारी की गाइडलाइनों का सख्ती से पालन कराया जाएगा। बैठक के अंत में डीजीपी ने कहा कि कांवड़ मेले पर प्रतिबंध के निर्णय को मीडिया, सोशल मीडिया के माध्यम से सर्कुलेट करना है। यदि शासन के आदेश में कोई फेरबदल होता है तो उसके लिए सभी अधिकारियों का एक व्हाट्एसएप ग्रुप बनाया गया है। इस पर सभी को समय से अवगत करा दिया जाएगा।
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पिछले साल 15 मार्च को प्रदेश में कोरोना संक्रमण का पहला मामला मिला था। संक्रमण के खतरे को देखते हुए सरकार ने कांवड़ यात्रा को स्थगित करने का निर्णय लिया था। साथ ही सरकार ने यह भी फैसला लिया था कि शिव भक्तों को गंगा जल उन्हीं के राज्यों में उपलब्ध कराया जाएगा।
डीजीपी ने बताया कि हरिद्वार की सीमाओं पर यात्रा अवधि में अतिरिक्त चौकसी बरती जाएगी। पिछले साल उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों की जनता ने सहयोग किया था। इसके लिए कुछ दिनों तक ही सख्ती बरती गई थी। इसके बाद ढिलाई भी हुई, लेकिन फिर भी जनता नहीं आई थी। अब इस साल भी सभी बॉर्डरों पर अतिरिक्त
पुलिस बल को लगाया जाएगा।
केवल 1.6 प्रतिशत होते हैं स्थानीय श्रद्धालु
कांवड़ मेले में जल लेने के लिए स्थानीय लोगों की संख्या बेहद कम रहती है। वर्ष 2019 में कांवड़ मेले में करीब तीन करोड़ श्रद्धालु आए थे। इनमें से स्थानीय यात्रियों की संख्या महज 1.6 प्रतिशत थी। सबसे अधिक हरिद्वार 32 प्रतिशत और फिर उत्तर प्रदेश 27 फीसदी थी। पिछले साल कांवड़ यात्रा नहीं हुई थी।
उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार ऊहापोह की स्थिति में हैं। प्रदेश सरकार ने कोविड महामारी के चलते यात्रा स्थगित कर दी है, लेकिन रोक के बावजूद हरियाणा, उत्तरप्रदेश, दिल्ली व अन्य प्रदेशों से कांवड़ यात्रियों के आने की खबरें आ रही हैं।
मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान मीडियाकर्मियों ने मुख्यमंत्री से कांवड़ यात्रा के संबंध में प्रश्न पूछा। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कांवड़ यात्रा के संबंध में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की है।
वह हरियाणा के मुख्यमंत्री मोहनलाल खट्टर को भी फोन करेंगे। इधर, पुलिस महानिदेशक ने कांवड़ यात्रा को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए। इस तरह से कांवड़ यात्रा को लेकर अभी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। शासन एक आलाधिकारी ने कहा कि एक-दो दिन में सरकार यात्रा को लेकर स्थिति साफ कर देगी। सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश सरकार कोविड गाइडलाइन के तहत कांवड़ यात्रा का संचालन करना चाहती है।
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कांवड़ यात्रा पर फिलहाल प्रतिबंध है। ऐसे में जो भी कांवड़ लेकर हरिद्वार आएगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। उस पर मुकदमा दर्ज करने के साथ 14 दिन के लिए क्वारंटीन भी किया जा सकता है। यह बात डीजीपी अशोक कुमार ने मंगलवार को आठ राज्यों के पुलिस अधिकारियों की बैठक के बाद कही।
पुलिस मुख्यालय में कांवड़ यात्रा (23 जुलाई से छह अगस्त) पर चर्चा के लिए मंगलवार को अंतरराज्यीय समन्वय बैठक बुलाई गई थी। इसमें सात राज्यों (उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब) के 36 पुलिस व इंटेलीजेंस अधिकारियों ने ऑनलाइन व ऑफलाइन भाग लिया। इस दौरान डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि उत्तराखंड शासन ने कांवड़ मेले को पूर्णतया प्रतिबंधित किया है।
सभी राज्य थाना स्तर पर सभी कांवड़ समितियों के साथ बैठक कर इस प्रतिबंध के बारे में उन्हें बताएं। आईजी कानून व्यवस्था वी मुरुगेशन ने कहा कि जो यात्री हरिद्वार की सीमा में प्रवेश करेगा। उनसे कोविड महामारी की गाइडलाइनों का सख्ती से पालन कराया जाएगा। बैठक के अंत में डीजीपी ने कहा कि कांवड़ मेले पर प्रतिबंध के निर्णय को मीडिया, सोशल मीडिया के माध्यम से सर्कुलेट करना है। यदि शासन के आदेश में कोई फेरबदल होता है तो उसके लिए सभी अधिकारियों का एक व्हाट्एसएप ग्रुप बनाया गया है। इस पर सभी को समय से अवगत करा दिया जाएगा।
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पिछले साल 15 मार्च को प्रदेश में कोरोना संक्रमण का पहला मामला मिला था। संक्रमण के खतरे को देखते हुए सरकार ने कांवड़ यात्रा को स्थगित करने का निर्णय लिया था। साथ ही सरकार ने यह भी फैसला लिया था कि शिव भक्तों को गंगा जल उन्हीं के राज्यों में उपलब्ध कराया जाएगा।