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Dehradun News: तीन साल से नहीं हैं चिकित्सक, फार्मासिस्ट के भरोसे अस्पताल
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I- पीएचसी पजिटीलानी में मामूली मर्ज की दवाईयां देकर भेज दिया जाता है घर
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I- 15 किलोमीटर दूरी सीएचसी में उपचार के लिए जाते हैं लोगI
कालसी तहसील क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पजिटीलानी में तीन साल से चिकित्सक नहीं हैं। अस्पताल में केवल एक फार्मासिस्ट और सफाईकर्मी तैनात हैं। मरीजों को केवल सर्दी, जुकाम, बुखार दस्त आदि की ही दवाएं मिल पाती हैं। जब फार्मासिस्ट छुट्टी पर होते हैं तो अस्पताल सफाईकर्मी के भरोसे चलता है। बदहाल चिकित्सा व्यवस्था के चलते ग्रामीणों को उपचार के लिए 15 किलोमीटर दूर सीएचसी साहिया जाना पड़ता है।
वर्ष 2005 में पजिटीलानी में पीएचसी की स्वीकृति मिली थी। वित्त वर्ष 2012-13 में अस्पताल बनकर तैयार हुआ। वित्त वर्ष 2016-17 में एक चिकित्सक, फार्मासिस्ट और सफाईकर्मी की तैनाती की गई थी। पिछले तीन सालों से यह अस्पताल महज एक फार्मासिस्ट और एक सफाईकर्मी के भरोसे छोड़ दिया गया है। मरीजों को बिना जांच के केवल मर्ज पूछकर दवाइयां थमा दी जाती हैं।
स्थानीय निवासी जीत राम शर्मा, बिरेंद्र शर्मा, टीकम सिंह चौहान, राजेश तोमर, जालम सिंह चौहान, दिवान सिंह तोमर, दर्शन सिंह नेगी आदि ने बताया कि अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे चल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग ग्रामीणों की सुध नहीं ले रहे हैं। ग्रामीणों ने अस्पताल में चिकित्सकों की तैनाती की मांग की है।
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Iपीएचसी पर निर्भर है 40 गांवI
- पजिटीलानी, सुरेऊ, भंजरा, पंचरा, टिपोऊ, चंदोऊ, फेडूलानी, जामुवा, अस्टी, आरा, खोई, सुपोऊ, सेंज अठगांव, खमरोली, चिबोऊ, सलगा सहित 40 से अधिक गांवों के लोग पीएचसी में उपचार के लिए आते हैं।
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Iपेयजल आपूर्ति भी ठपI
केंद्र में लंबे समय से पेयजल आपूर्ति ठप पड़ी हुई है। अगर मरीज को प्यास लग गई तो कोई व्यवस्था नहीं है। मरीजों को पानी की बोतल अपने साथ लेकर आनी पड़ती है।
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Iबिना चिकित्सक के अस्पताल किसी काम का नहीं है। सबसे अधिक परेशानी रात को होती है। अगर किसी ग्रामीण कि तबीयत खराब हो जाए तो मरीज को सीधा सीएचसी साहिया लेकर दौड़ना पड़ता है। अस्पताल में चिकित्सक की तैनाती बहुत जरूरी है।
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I- दाता राम शर्मा, निवासी जिसोऊ
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Iअस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था को लेकर स्वास्थ्य विभाग बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। छह माह पहले एक चिकित्सक की तैनाती की गई थी, लेकिन उनको दूसरे अस्पताल में भेज दिया गया। विभाग को ग्रामीणों की परेशानी समझनी चाहिए।
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I- कांती राणा, क्षेत्र पंचायत सदस्य, सुरेऊI
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I- 15 किलोमीटर दूरी सीएचसी में उपचार के लिए जाते हैं लोगI
कालसी तहसील क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पजिटीलानी में तीन साल से चिकित्सक नहीं हैं। अस्पताल में केवल एक फार्मासिस्ट और सफाईकर्मी तैनात हैं। मरीजों को केवल सर्दी, जुकाम, बुखार दस्त आदि की ही दवाएं मिल पाती हैं। जब फार्मासिस्ट छुट्टी पर होते हैं तो अस्पताल सफाईकर्मी के भरोसे चलता है। बदहाल चिकित्सा व्यवस्था के चलते ग्रामीणों को उपचार के लिए 15 किलोमीटर दूर सीएचसी साहिया जाना पड़ता है।
वर्ष 2005 में पजिटीलानी में पीएचसी की स्वीकृति मिली थी। वित्त वर्ष 2012-13 में अस्पताल बनकर तैयार हुआ। वित्त वर्ष 2016-17 में एक चिकित्सक, फार्मासिस्ट और सफाईकर्मी की तैनाती की गई थी। पिछले तीन सालों से यह अस्पताल महज एक फार्मासिस्ट और एक सफाईकर्मी के भरोसे छोड़ दिया गया है। मरीजों को बिना जांच के केवल मर्ज पूछकर दवाइयां थमा दी जाती हैं।
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स्थानीय निवासी जीत राम शर्मा, बिरेंद्र शर्मा, टीकम सिंह चौहान, राजेश तोमर, जालम सिंह चौहान, दिवान सिंह तोमर, दर्शन सिंह नेगी आदि ने बताया कि अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे चल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग ग्रामीणों की सुध नहीं ले रहे हैं। ग्रामीणों ने अस्पताल में चिकित्सकों की तैनाती की मांग की है।
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Iपीएचसी पर निर्भर है 40 गांवI
- पजिटीलानी, सुरेऊ, भंजरा, पंचरा, टिपोऊ, चंदोऊ, फेडूलानी, जामुवा, अस्टी, आरा, खोई, सुपोऊ, सेंज अठगांव, खमरोली, चिबोऊ, सलगा सहित 40 से अधिक गांवों के लोग पीएचसी में उपचार के लिए आते हैं।
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Iपेयजल आपूर्ति भी ठपI
केंद्र में लंबे समय से पेयजल आपूर्ति ठप पड़ी हुई है। अगर मरीज को प्यास लग गई तो कोई व्यवस्था नहीं है। मरीजों को पानी की बोतल अपने साथ लेकर आनी पड़ती है।
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Iबिना चिकित्सक के अस्पताल किसी काम का नहीं है। सबसे अधिक परेशानी रात को होती है। अगर किसी ग्रामीण कि तबीयत खराब हो जाए तो मरीज को सीधा सीएचसी साहिया लेकर दौड़ना पड़ता है। अस्पताल में चिकित्सक की तैनाती बहुत जरूरी है।
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I- दाता राम शर्मा, निवासी जिसोऊ
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Iअस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था को लेकर स्वास्थ्य विभाग बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। छह माह पहले एक चिकित्सक की तैनाती की गई थी, लेकिन उनको दूसरे अस्पताल में भेज दिया गया। विभाग को ग्रामीणों की परेशानी समझनी चाहिए।
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I- कांती राणा, क्षेत्र पंचायत सदस्य, सुरेऊI