तपोवन टनल से बुधवार को पूरे दिन पंप से पानी निकालने का काम चलता रहा। बैराज साइट भी पंप लगाकर पानी और मलबे को निकालने का काम शुरू कर दिया गया है। बुधवार को सुरंग, बैराज और रैणी साइट कोई शव बरामद नहीं हुआ। हालांकि चमोली के बराली गांव के पास एक मानव अंग (हाथ) बरामद हुआ है।
ऋषिगंगा की आपदा के 11 दिन बाद भी 146 लोग लापता चल रहे हैं। अभी तक 58 शव और 25 मानव अंग बरामद हुए हैं। वहीं तपोवन सुरंग से मंगलवार से पानी निकलने लग गया था, जिसके बाद मलबा हटाने का काम रोक दिया गया और पंप लगाकर पानी निकालने का प्रयास किया गया। बुधवार पूरे दिन टनल से पानी निकाला जाता रहा। वहीं बैराज साइट से भी पानी और मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया गया है।
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि टनल से काफी पानी निकल रहा है। जल्द से जल्द पानी निकाला जा सके। इसके लिए पंप लगाए गए हैं। बैराज साइट में जहां सूखा मिल रहा है, वहां जेसीबी ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। इससे सर्च अभियान तेज किया जा सके। रैणी के पास भी एनडीआरएफ और जेसीबी लगाकर शवों की तलाश की जा रही है।
आपदा प्रभावित रैणी और तपोवन क्षेत्र में सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि रैणी में ऋषि गंगा के दूसरी तरफ रैणी चक लाता गांव के नीचे मशीन से मलबा साफ कर लापता लोगों की तलाश की जा रही है। साथ ही ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट के बैराज व सुरंग के ऊपरी क्षेत्र में फैले मलबे से भी लापता लोगों की खोजबीन की जा रही है। नदी के तटीय क्षेत्रों में एनडीआरएफ की टीम के माध्यम से तलाश की जा रही है।
डीएम व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान लगातार आपदा प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण कर रेस्क्यू कार्यों का निरीक्षण कर रहे हैं। डीएम ने बताया कि आपदा में लापता 206 लोगों में से अभी तक 58 लोगों के शव विभिन्न स्थानों से बरामद हुए हैं। अब 146 लोग लापता चल रहे हैं, जिनकी तलाश जारी है।
अभी तक 31 लोगों की शिनाख्त हो चुकी है। अब तक कुल 26 मानव अंग भी बरामद हुए हैं। जिला प्रशासन द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राशन किट, मेडिकल और अन्य रोजमर्रा की जरूरतों के साथ मूलभूत सुविधाएं भी बहाल की जा चुकी हैं। प्रभावित परिवारों में अब तक 548 राशन किट, 45 सोलर लाइट बांटे गए हैं। अब तक कुल 1797 लोगों का मेडिकल टीम की ओर से उपचार किया जा चुका है।
झील तक पहुंचा आईटीबीपी का दल
आईटीबीपी का एक दल ऋषिगंगा के मुहाने पर बनी झील तक पहुंच गया है। यह दल अध्ययन को पहुंचने वाले वैज्ञानिकों की मदद करेगा। साथ ही पैंग गांव के पास हेलीपैड भी बनाया जाएगा। आपदा के बाद ऋषिगंगा का पानी रुका हुआ है, जिससे वहां झील बनी हुई है। आईटीबीपी प्रथम वाहिनी सुनील के सीओ वेणुधर नायक का कहना है कि आईटीबीपी के जवान वैज्ञानिकों को सहयोग के लिए गए हैं।
डीएम ने की रेस्क्यू कार्यों की समीक्षा
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बुधवार को तपोवन क्षेत्र में आपदा कार्यों में लगे नोडल अधिकारियों के साथ रेस्क्यू कार्यों की समीक्षा की। डीएम ने आपदा क्षेत्रों में सभी अधिकारियों को तालमेल बनाकर कार्य करने के निर्देश दिए। डीएम ने आपदाग्रस्त क्षेत्रों में सैनेटाइजेशन पर फोकस करते शुद्ध पेयजल के लिए क्लोरिनेशन करने और जहां भी मृत पशु दफनाए गए हैं उन स्थानों पर ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराने के निर्देश दिए। बैठक में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान, एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट आदित्य प्रताप सिंह, एसडीआरएफ के अधिकारी अजय भट्ट, लेफ्टिनेंट कर्नल विवेक सिंह, एनटीपीसी के एजीएम आरएन सहाय, डीजीएम उमेश कुमार, सीएमओ डा. जीएस राणा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी शरद भंडारी, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी आदि मौजूद थे।
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तपोवन टनल से बुधवार को पूरे दिन पंप से पानी निकालने का काम चलता रहा। बैराज साइट भी पंप लगाकर पानी और मलबे को निकालने का काम शुरू कर दिया गया है। बुधवार को सुरंग, बैराज और रैणी साइट कोई शव बरामद नहीं हुआ। हालांकि चमोली के बराली गांव के पास एक मानव अंग (हाथ) बरामद हुआ है।
ऋषिगंगा की आपदा के 11 दिन बाद भी 146 लोग लापता चल रहे हैं। अभी तक 58 शव और 25 मानव अंग बरामद हुए हैं। वहीं तपोवन सुरंग से मंगलवार से पानी निकलने लग गया था, जिसके बाद मलबा हटाने का काम रोक दिया गया और पंप लगाकर पानी निकालने का प्रयास किया गया। बुधवार पूरे दिन टनल से पानी निकाला जाता रहा। वहीं बैराज साइट से भी पानी और मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया गया है।
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि टनल से काफी पानी निकल रहा है। जल्द से जल्द पानी निकाला जा सके। इसके लिए पंप लगाए गए हैं। बैराज साइट में जहां सूखा मिल रहा है, वहां जेसीबी ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। इससे सर्च अभियान तेज किया जा सके। रैणी के पास भी एनडीआरएफ और जेसीबी लगाकर शवों की तलाश की जा रही है।