भाजपा से निष्कासित किए गए पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत पिछले चार दिनों से राज्य की सियासत के केंद्र में छाए हुए हैं। चार दिन बीत जाने के बाद भी उन्हें नया ठौर नहीं मिल पाया है। हरक सिंह रावत कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए जोड़तोड़ में लगे हैं, लेकिन अभी तक पार्टी हाईकमान उन पर कोई निर्णय नहीं ले पाया है। बताया जा रहा है कि पूर्व सीएम हरीश रावत को मनाते हुए हरक सिंह रावत को कुछ शर्तों के साथ पार्टी में शामिल किया जा सकता है।
हरक सिंह रावत को एक सीट में बांधना चाहती है कांग्रेस
पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस हरक सिंह रावत को एक सीट में बांधना चाहती है। संभव है पार्टी में एक परिवार एक टिकट के फार्मूले को देखते हुए लैंसडौन से उनकी पुत्रवधु अनुकृति गुसाईं को टिकट दे दिया जाए। जबकि डॉ. हरक को चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार में उतारा जाए। हालांकि हरक सिंह रावत खुद के लिए भी टिकट की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस संगठन चाहेगा तो वह चौबट्टाखाल सीट या डोईवाला सीट से चुनाव लड़ने को तैयार हैं। डॉ. हरक का कहना है कि उनकी इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के साथ बातचीत हुई है। हरीश रावत के करीबियों से भी बात हो गई है। पार्टी के सभी नेता चाहते हैं कि वह कांग्रेस में शामिल होकर पार्टी के लिए काम करें।
उत्तराखंड चुनाव 2022: रुद्रप्रयाग में हरक सिंह का विरोध, कांग्रेस जिला महामंत्री ने दिया इस्तीफा
बुधवार को चौथे दिन भी डॉ. हरक सिंह रावत दिल्ली में मौजूद रहे। इस दौरान उनकी कभी राहुल गांधी तो कभी सोनिया गांधी से मुलाकात की खबरें उड़ती रहीं। लेकिन इस खबरों की कहीं से भी कोई पुष्टि नहीं हुई। इधर, पार्टी सूत्रों का कहना है कि डॉ. हरक को पार्टी में शामिल करने का फार्मूला तैयार कर लिया गया, लेकिन अभी इस पर मंथन जारी है। फार्मूले के अनुसार, उनकी पुत्रवधु को लैंसडोन से टिकट और डॉ. हरक को भाजपा के खिलाफ अलग-अलग सीटों पर प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत और उनकी पुत्रवधु अनुकृति गुसाईं ने अभी कांग्रेस पार्टी ज्वाइन नहीं की है, लेकिन पार्टी में कई सीटों पर उनके विरोध की खबरें आनी शुरू हो गई हैं। इस संबंध में पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने तो बकायदा कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर डॉ. हरक और उनकी पुत्रवधु को पार्टी में नहीं लिए जाने की बात कही है।
राहुल गांधी को लिखे पत्र में धीरेंद्र प्रताप ने लिखा है कि डॉ. हरक सिंह रावत की पुत्रवधु को कांग्रेस पार्टी में शामिल किए जाने और लैंसडौन से टिकट दिए जाने की खबरें सियासी फिजाओं में तैर रही हैं। उनका आरोप है कि हरक की पुत्रवधु का समाजसेवा और राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन अपने ससुर डॉ. हरक को वह आगे कर कांग्रेस पार्टी के टिकट की जुगत में लगी हैं। ऐसे में पहले से इस सीट पर तैयारी कर रहे कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं को दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए।
आपको बता दें कि पिछले चुनाव में लैंसडौन सीट पर पार्टी ने टीपीएस रावत को मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
हरक सिंह रावत अपनी पुत्रवधू अनुकृति गुसाई को लैंसडौन से टिकट दिलाने के लिए एडी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं। भाजपा और प्रदेश मंत्रिमंडल से बर्खास्त होने के बाद अब कांग्रेस के दरवाजे पर खड़े होकर भी वह अपनी एक सूत्री मांग (अनुकृति के लिए लैंसडौन से टिकट) पर अड़े बताए जा रहे हैं। इधर, लैंसडौन सीट पर कांग्रेस टिकट के दावेदारों में भी बेचैनी है और वहां घमासान छिड़ गया है।
हरक सिंह को भाजपा से निकाले जाने से पहले लैंसडौन सीट पर सिटिंग विधायक दिलीप रावत के खुलकर विरोध में उतर आए थे। अब भाजपा से उनकी विदाई के बाद विरोध कांग्रेस में शिफ्ट होता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस पार्टी से महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव ज्योति रौतेला, जयहरीखाल के ब्लाक प्रमुख दीपक भंडारी, महिला कांग्रेस की प्रदेश महामंत्री रंजना रावत, पूर्व मंत्री और विधायक ले. जनरल टीपीएस रावत (सेनि) के करीबी रघुवीर बिष्ट, कांग्रेस नेता धीरेंद्र प्रताप व पूर्व मुख्यमंत्री जनरल बीसी खंडूडी के पुत्र मनीष खंडूडी का नाम कांग्रेस पार्टी के दावेदारों में शामिल हैं। अनुकृति गुसाईं का नाम कांग्रेस की ओर से दावेदार के रुप में सामने आने से कांग्रेस में विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। विरोध के इन स्वरों को कांग्रेस कैसे थामती है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
भाजपा से दिलीप रावत लड़ेंगे चुनाव
लैंसडौन सीट पर भाजपा से विधायक दिलीप रावत का चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। रावत 2012 व 2017 में चुनाव जीते। वह तीसरी बार मैदान में उतरने को बेताब है। राज्य निर्माण से पूर्व अविभाजित यूपी के समय इसी सीट से दिलीप रावत के पिता भारत सिंह रावत विभिन्न दलों से पांच बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। तब इस सीट में वर्तमान कोटद्वार, यमकेश्वर और चौबट्टाखाल तक का भूगोल शामिल था।
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भाजपा से निष्कासित किए गए पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत पिछले चार दिनों से राज्य की सियासत के केंद्र में छाए हुए हैं। चार दिन बीत जाने के बाद भी उन्हें नया ठौर नहीं मिल पाया है। हरक सिंह रावत कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए जोड़तोड़ में लगे हैं, लेकिन अभी तक पार्टी हाईकमान उन पर कोई निर्णय नहीं ले पाया है। बताया जा रहा है कि पूर्व सीएम हरीश रावत को मनाते हुए हरक सिंह रावत को कुछ शर्तों के साथ पार्टी में शामिल किया जा सकता है।
हरक सिंह रावत को एक सीट में बांधना चाहती है कांग्रेस
पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस हरक सिंह रावत को एक सीट में बांधना चाहती है। संभव है पार्टी में एक परिवार एक टिकट के फार्मूले को देखते हुए लैंसडौन से उनकी पुत्रवधु अनुकृति गुसाईं को टिकट दे दिया जाए। जबकि डॉ. हरक को चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार में उतारा जाए। हालांकि हरक सिंह रावत खुद के लिए भी टिकट की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस संगठन चाहेगा तो वह चौबट्टाखाल सीट या डोईवाला सीट से चुनाव लड़ने को तैयार हैं। डॉ. हरक का कहना है कि उनकी इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के साथ बातचीत हुई है। हरीश रावत के करीबियों से भी बात हो गई है। पार्टी के सभी नेता चाहते हैं कि वह कांग्रेस में शामिल होकर पार्टी के लिए काम करें।
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बुधवार को चौथे दिन भी डॉ. हरक सिंह रावत दिल्ली में मौजूद रहे। इस दौरान उनकी कभी राहुल गांधी तो कभी सोनिया गांधी से मुलाकात की खबरें उड़ती रहीं। लेकिन इस खबरों की कहीं से भी कोई पुष्टि नहीं हुई। इधर, पार्टी सूत्रों का कहना है कि डॉ. हरक को पार्टी में शामिल करने का फार्मूला तैयार कर लिया गया, लेकिन अभी इस पर मंथन जारी है। फार्मूले के अनुसार, उनकी पुत्रवधु को लैंसडोन से टिकट और डॉ. हरक को भाजपा के खिलाफ अलग-अलग सीटों पर प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।