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Uttarakhand: गांव-गांव की पेयजल योजना की होगी डिजिटल निगरानी, शिकायत भी दर्ज करा सकेंगे उपभोक्ता

अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Fri, 17 Oct 2025 04:00 AM IST
सार

राष्ट्रीय जल जीवन मिशन की हाल ही में दिल्ली में आयोजित बैठक में आरपीडब्ल्यूएसएस आईडी मॉड्यूल के बारे में जानकारी दी गई।

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Uttarakhand Village-to-village drinking water schemes will be now digitally monitored
जल जीवन मिशन - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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प्रदेश में जल जीवन मिशन की योजनाओं की निगरानी अब ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना (आरपीडब्ल्यूएसएस) आईडी मॉड्यूल से होगी। खास बात ये है कि इससे न केवल रखरखाव हो सकेगा बल्कि ग्रामीण उपभोक्ताओं को अपनी शिकायत करने का मौका भी मिलेगा।

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राष्ट्रीय जल जीवन मिशन की हाल ही में दिल्ली में आयोजित बैठक में आरपीडब्ल्यूएसएस आईडी मॉड्यूल के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि ग्रामीण जल प्रशासन को मजबूत करने में डिजिटल परिवर्तन किया जा रहा है। आरपीडब्ल्यूएसएस आईडी मॉड्यूल, जल जीवन मिशन के डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का एक अहम अंग है, जो हर पेयजल योजना की डिजिटल मैपिंग करेगा और एक डिजिटल पहचान देगा। वास्तविक समय पर नजर रखी जा सकेगी। पूर्वानुमानित रख-रखाव एवं पारदर्शी निगरानी संभव हो सकेगी।
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उत्तराखंड के करीब 16 हजार गांवों में जल जीवन मिशन से पेयजल आपूर्ति की योजनाएं बनाई गई है। ज्यादातर योजनाएं बन चुकी हैं। कुछ ही काम अब बचा है। इस मॉड्यूल के लागू होने के बाद इन योजनाओं की निगरानी के साथ ही हर गांव की एक-एक पेयजल योजना की डिजिटल मैपिंग हो जाएगी। भविष्य में योजनाओं के लिए भी केंद्र सरकार इस मॉड्यूल के माध्यम से बजट जारी करेगी। इससे पता रहेगा कि कौन से प्रोजेक्ट में बजट की जरूरत है। उसी हिसाब से पैसा जारी होगा।

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पारदर्शिता और जवाबदेही तय होगी
इस योजना से यह सुनिश्चित होगा कि निर्माण, मरम्मत हो या शिकायत निवारण, सबकुछ रिकॉर्ड में रहेगा। स्थानीय निवासी भी नागरिक संवाद वाले प्लेटफॉर्म पर जाकर अपनी जलापूर्ति की गुणवत्ता, पाइपलाइन की स्थिति और शिकायत रजिस्टर कर सकेंगे। केंद्र सरकार जल्द ही इस डिजिटल पहल को लागू करने के लिए राज्यों को विशेष बजट जारी करेगी और तकनीकी सहयोग भी प्रदान करेगी।

ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना आईडी मॉड्यूल के संबंध में कुछ जानकारियां केंद्रीय मंत्रालय से मिल गई हैं। जैसे ही विस्तृत जानकारी आएगी, हम इसका प्रशिक्षण और आईडी बनाने का काम शुरू कर देंगे। उत्तराखंड सरकार भी भविष्य में इस डाटा के आधार पर पेयजल योजनाओं की निगरानी, रखरखाव कर सकेगी।
-विशाल मिश्रा, एमडी, जल जीवन मिशन

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