उत्तराखंड में आज मौसम साफ बना हुआ है। पहाड़ से लेकर मैदान चटख धूप खिली है। वहीं, चारधाम यात्रा भी सुचारू है। यमुनोत्री हाईवे पर जानकी चट्टी से पैदल मार्ग पर आवाजाही सुचारू है। आज मंगलवार को सुबह से अभी तक 350 यात्रियो ने मां यमुना के दर्शन किए। यमुना के पुजारी कुलदीप उनियाल व जानकी चट्टी पुलिस चौकी इंचार्ज गंभीर तोमर ने बताया कि दोपहर तक यात्रियों की आवाजाही मे बढ़ोतरी होती है।
हेलंग-उर्गम सड़क पर शुरू हुई आवाजाही
हेलंग-उर्गम मोटर मार्ग पर वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। सड़क खुलने पर स्थानीय ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। हालांकि अब भी किमी पांच जीरो बैंड पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। यहां सड़क के पांच किलोमीटर हिस्से में भूस्खलन हो रहा है। 17 अक्तूबर को भारी बारिश के दौरान उर्गम मोटर मार्ग बाधित हो गया था। 25 अक्तूबर को देर शाम सड़क पर यातायात सुचारु हो गया। ब्लॉक प्रमुख जोशीमठ हरीश परमार, प्रधान संगठन के अध्यक्ष अनूप सिंह, ग्राम प्रधान देवग्राम देवेंद्र रावत, उप प्रधान चंद्रप्रकाश नेगी, उर्गम प्रधान मिंकल देवी, भर्की प्रधान मंजू देवी और जनदेश संस्था के सचिव लक्ष्मण नेगी ने कहा कि दस साल पहले इस सड़क का निर्माण हुआ था। लेकिन आज तक सड़क की स्थिति को सुधारा नहीं गया है। सड़क पर कहीं पुश्ते नहीं हैं तो कहीं नाली नहीं है। उर्गम घाटी में पंचम केदार कल्पेश्वर और पंच बदरी में ध्यानबदरी मंदिर स्थित है, जिससे यहां पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की वर्षभर आवाजाही बनी रहती है। साथ ही इस सड़क से उर्गम घाटी की करीब 15 हजार आबादी जुड़ी हुई है।
बदरीनाथ में अलाव जलाने के आदेश
बदरीनाथ धाम में पड़ रही कड़ाके की ठंड को देखते हुए तहसील प्रशासन ने नगर पंचायत बदरीनाथ को धाम में शाम ढलते ही अलाव जलाने के आदेश दिए हैं। साथ ही निर्धन और असहाय तीर्थयात्रियों के लिए रात्रि निवास और कंबल उपलब्ध कराने को भी कहा गया है। दरअसल लगातार मौसम बदलने से बदरीनाथ की चोटियों पर बर्फबारी का सिलसिला जारी है। जिससे बदरीनाथ धाम में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। एसडीएम जोशीमठ कुमकुम जोशी ने बताया कि ठंड को देखते हुए बदरीनाथ धाम के सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने के लिए कहा गया है।
उत्तराखंड: आपदा प्रभावितों को मिलेगी राहत, सरकार ने बढ़ाई आर्थिक सहायता राशि
निचले क्षेत्रों को लौटने लगे नीती घाटी के ग्रामीण
भारत-तिब्बत (चीन) सीमा क्षेत्र के गांवों के लोग अपने शीतकालीन प्रवास की ओर लौटने लगे हैं। घाटी में भोटिया जनजाति के ग्रामीण निवास करते हैं। ग्रामीण प्रतिवर्ष 20 अक्तूबर से निचले क्षेत्रों की ओर लौटने लग जाते थे लेकिन इस बार हाईवे अवरुद्ध होने के कारण लौट नहीं पा रहे थे। रविवार रात को हाईवे सुचारू होने के बाद सोमवार से ग्रामीणों का शीतकालीन प्रवास की ओर लौटना शुरू हो गया है। नीती गांव के मां भगवती के पुजारी बृजमोहन खाती, वचन सिंह खाती का कहना है कि घाटी का प्रसिद्ध लास्पा मेला संपन्न होने के बाद अब ग्रामीण अपने शीतकालीन प्रवास की ओर लौटना शुरू हो गए हैं। बांपा गांव के धर्मेंद्र पाल, मनोज पाल, धीरेंद्र सिंह गरोड़िया व प्रेम सिंह फोनिया का कहना है कि मलारी हाईवे के बंद होने के चलते वे निचले क्षेत्रों में लौट नहीं पा रहे थे।
भारी बर्फबारी और बारिश के कारण तवाघाट-लिपुलेख और गुंजी-ज्योलीकांग की सड़क कई जगहों पर मलबा व बोल्डर आने से बंद हो गई थी। बीआरओ की 65 और 67 आरसीसी ने युद्ध स्तर पर कार्य कर 10000 से 14500 फु़ट की ऊंचाई पर स्थित इन सड़कों को खोल दिया है। बीआरओ के एडीजी हरेंद्र कुमार ने चीन सीमा की सड़क का निरीक्षण कर विषम परिस्थितियों में कार्य कर रहे अधिकारियों और मजदूरों की हौसलाफजाई की और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सड़क को हर समय सुचारू रखने के निर्देश दिए।
गुंजी से लिपुलेख और गुंजी से ज्योलीकांग सड़क दो फुट से अधिक बर्फबारी होने के कारण बंद हो गई थी। बीआरओ की 65 आरसीसी कंपनी के अधिकारियों और मजदूरों ने कड़ी मेहनत के बाद सड़क को खोल दिया है। 67 आरसीसी ग्रेफ के अधिकारियों ने सोमवार को लामारी और छियालेख में बंद सड़क को भी खोला। अब तवाघाट-लिपुलेख और गुंजी-ज्योलीकांग सड़क पूरी तरह यातायात के लिए खुल चुकीं हैं। सड़क खुलने से सेना, आईटीबीपी, एसएसबी के साथ-साथ व्यास घाटी के लोगों को आवाजाही में राहत मिल रही है।
गुंजी में आगामी 29 और 30 अक्तूबर को होने वाले आजादी के अमृत महोत्सव और शिवोत्सव की तैयारी में लगे लोगों ने भी राहत की सांस ली है। सुभाष बुदियाल और देवेंद्र सिंह ने बताया कि सड़क खुलने के बाद उच्च हिमालयी क्षेत्रों में फंसे 10 से ज्यादा वाहन धारचूला पहुंच गए हैं। बीआरओ के एडीजी हरेंद्र कुमार के निरीक्षण के दौरान बीआरओ के चीफ इंजीनियर एमएएनवी प्रसाद और कमांडर कर्नल एनके शर्मा ने एडीजी को सड़क निर्माण आदि कार्यों की जानकारी दी।
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उत्तराखंड में आज मौसम साफ बना हुआ है। पहाड़ से लेकर मैदान चटख धूप खिली है। वहीं, चारधाम यात्रा भी सुचारू है। यमुनोत्री हाईवे पर जानकी चट्टी से पैदल मार्ग पर आवाजाही सुचारू है। आज मंगलवार को सुबह से अभी तक 350 यात्रियो ने मां यमुना के दर्शन किए। यमुना के पुजारी कुलदीप उनियाल व जानकी चट्टी पुलिस चौकी इंचार्ज गंभीर तोमर ने बताया कि दोपहर तक यात्रियों की आवाजाही मे बढ़ोतरी होती है।
हेलंग-उर्गम सड़क पर शुरू हुई आवाजाही
हेलंग-उर्गम मोटर मार्ग पर वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। सड़क खुलने पर स्थानीय ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। हालांकि अब भी किमी पांच जीरो बैंड पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। यहां सड़क के पांच किलोमीटर हिस्से में भूस्खलन हो रहा है। 17 अक्तूबर को भारी बारिश के दौरान उर्गम मोटर मार्ग बाधित हो गया था। 25 अक्तूबर को देर शाम सड़क पर यातायात सुचारु हो गया। ब्लॉक प्रमुख जोशीमठ हरीश परमार, प्रधान संगठन के अध्यक्ष अनूप सिंह, ग्राम प्रधान देवग्राम देवेंद्र रावत, उप प्रधान चंद्रप्रकाश नेगी, उर्गम प्रधान मिंकल देवी, भर्की प्रधान मंजू देवी और जनदेश संस्था के सचिव लक्ष्मण नेगी ने कहा कि दस साल पहले इस सड़क का निर्माण हुआ था। लेकिन आज तक सड़क की स्थिति को सुधारा नहीं गया है। सड़क पर कहीं पुश्ते नहीं हैं तो कहीं नाली नहीं है। उर्गम घाटी में पंचम केदार कल्पेश्वर और पंच बदरी में ध्यानबदरी मंदिर स्थित है, जिससे यहां पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की वर्षभर आवाजाही बनी रहती है। साथ ही इस सड़क से उर्गम घाटी की करीब 15 हजार आबादी जुड़ी हुई है।
बदरीनाथ में अलाव जलाने के आदेश
बदरीनाथ धाम में पड़ रही कड़ाके की ठंड को देखते हुए तहसील प्रशासन ने नगर पंचायत बदरीनाथ को धाम में शाम ढलते ही अलाव जलाने के आदेश दिए हैं। साथ ही निर्धन और असहाय तीर्थयात्रियों के लिए रात्रि निवास और कंबल उपलब्ध कराने को भी कहा गया है। दरअसल लगातार मौसम बदलने से बदरीनाथ की चोटियों पर बर्फबारी का सिलसिला जारी है। जिससे बदरीनाथ धाम में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। एसडीएम जोशीमठ कुमकुम जोशी ने बताया कि ठंड को देखते हुए बदरीनाथ धाम के सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने के लिए कहा गया है।
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निचले क्षेत्रों को लौटने लगे नीती घाटी के ग्रामीण
भारत-तिब्बत (चीन) सीमा क्षेत्र के गांवों के लोग अपने शीतकालीन प्रवास की ओर लौटने लगे हैं। घाटी में भोटिया जनजाति के ग्रामीण निवास करते हैं। ग्रामीण प्रतिवर्ष 20 अक्तूबर से निचले क्षेत्रों की ओर लौटने लग जाते थे लेकिन इस बार हाईवे अवरुद्ध होने के कारण लौट नहीं पा रहे थे। रविवार रात को हाईवे सुचारू होने के बाद सोमवार से ग्रामीणों का शीतकालीन प्रवास की ओर लौटना शुरू हो गया है। नीती गांव के मां भगवती के पुजारी बृजमोहन खाती, वचन सिंह खाती का कहना है कि घाटी का प्रसिद्ध लास्पा मेला संपन्न होने के बाद अब ग्रामीण अपने शीतकालीन प्रवास की ओर लौटना शुरू हो गए हैं। बांपा गांव के धर्मेंद्र पाल, मनोज पाल, धीरेंद्र सिंह गरोड़िया व प्रेम सिंह फोनिया का कहना है कि मलारी हाईवे के बंद होने के चलते वे निचले क्षेत्रों में लौट नहीं पा रहे थे।