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Delhi: 'बेसहारा बच्चों की शिक्षा पर आंखें नहीं मूंद सकतीं सरकारें', हाईकोर्ट की दिल्ली सरकार और MCD को फटकार

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: विजय पुंडीर Updated Fri, 14 Nov 2025 11:50 AM IST
सार

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि संविधान और विभिन्न कानूनों के तहत सरकार का यह कर्तव्य है कि वह बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करें।

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Delhi High Court reprimanded Delhi Government and MCD
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी में सड़कों पर भीख मांगने वाले, बेसहारा और प्रवासी बच्चों की शिक्षा की कमी पर दिल्ली सरकार और एमसीडी को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि सरकारें बच्चों की शिक्षा में कमी को नजरअंदाज नहीं कर सकती।

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मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि संविधान और विभिन्न कानूनों के तहत सरकार का यह कर्तव्य है कि वह बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करें। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा, स्टेट कैन नॉट प्ले डंब (सरकार आंखे नहीं मूंद सकती।)
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कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को निर्देश दिया कि वे छह सप्ताह के भीतर एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करें, जिसमें यह बताया जाए कि 14 वर्ष तक की आयु के भिखारी, बेसहारा और प्रवासी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। यह आदेश एक गैर-लाभकारी संगठन, जस्टिस फॉर ऑल, की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया गया। इसमें प्रवासी, बेसहारा और भिखारी बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की मांग की गई थी।

कोर्ट ने मामले पर विचार करते हुए कहा कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 21ए के शामिल होने के बाद शिक्षा का अधिकार अब एक मौलिक अधिकार है। खंडपीठ ने यह भी उल्लेख किया कि संसद और दिल्ली विधानसभा द्वारा बनाए गए कई कानूनों का उपयोग दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है कि प्रत्येक बच्चे को, चाहे उसकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, शिक्षा प्रदान की जाए। कोर्ट ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) को भी मामले में पक्षकार बनाया और उनकी प्रतिक्रिया मांगी।

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