{"_id":"692eeae6ca45045ba6040ac9","slug":"delhi-high-court-strict-on-defamation-petition-of-deputy-chief-minister-of-jammu-and-kashmir-delhi-ncr-news-c-340-1-del1011-114746-2025-12-02","type":"story","status":"publish","title_hn":"Delhi NCR News: जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री की मानहानि याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट सख्त","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Delhi NCR News: जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री की मानहानि याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट सख्त
विज्ञापन
विज्ञापन
याचिका में आपत्तिजनक सामग्री लिखे न होने पर जताई नाराजगी, अगली सुनवाई 13 जनवरी को
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी द्वारा दायर मानहानि मामले में मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। न्यायमूर्ति अमित बंसल की एकल पीठ ने याचिका में आपत्तिजनक सामग्री के ट्रांसक्रिप्ट (लिखित रूप) और सटीक सामग्री न होने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने पूछा कि बिना ट्रांसक्रिप्ट के वह कैसे तय कर सकता है कि सामग्री मानहानिकारक है या नहीं। मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 को होगी।
चौधरी ने याचिका में आरोप लगाया है कि फेसबुक पेजों और यूट्यूब चैनलों सहित विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उनके खिलाफ यौन संकेतों वाली आपत्तिजनक और मानहानिकारक सामग्री पोस्ट की गई है। उन्होंने स्थायी निषेधाज्ञा और अनिवार्य निषेधाज्ञा की मांग की है।
कोर्ट ने टिप्पणी की, “याचिका पढ़ते समय मैं हैरान था। इसमें न तो वीडियो का ट्रांसक्रिप्ट है और न ही रिकॉर्डिंग का। बिना इसके कोर्ट यह कैसे तय करेगा कि सामग्री मानहानिकारक है या नहीं? सोशल मीडिया मध्यस्थों के वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिका में गलत संस्थाओं को पक्षकार बनाया गया है। सही पक्षकार मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक होना चाहिए। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को सही पक्षकारों को जोड़ने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने मेटा प्लेटफॉर्म्स और गूगल इंक को आदेश दिया कि वे विवादास्पद सामग्री अपलोड करने वालों का विवरण याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराएं।
Trending Videos
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी द्वारा दायर मानहानि मामले में मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। न्यायमूर्ति अमित बंसल की एकल पीठ ने याचिका में आपत्तिजनक सामग्री के ट्रांसक्रिप्ट (लिखित रूप) और सटीक सामग्री न होने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने पूछा कि बिना ट्रांसक्रिप्ट के वह कैसे तय कर सकता है कि सामग्री मानहानिकारक है या नहीं। मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 को होगी।
चौधरी ने याचिका में आरोप लगाया है कि फेसबुक पेजों और यूट्यूब चैनलों सहित विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उनके खिलाफ यौन संकेतों वाली आपत्तिजनक और मानहानिकारक सामग्री पोस्ट की गई है। उन्होंने स्थायी निषेधाज्ञा और अनिवार्य निषेधाज्ञा की मांग की है।
विज्ञापन
विज्ञापन
कोर्ट ने टिप्पणी की, “याचिका पढ़ते समय मैं हैरान था। इसमें न तो वीडियो का ट्रांसक्रिप्ट है और न ही रिकॉर्डिंग का। बिना इसके कोर्ट यह कैसे तय करेगा कि सामग्री मानहानिकारक है या नहीं? सोशल मीडिया मध्यस्थों के वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिका में गलत संस्थाओं को पक्षकार बनाया गया है। सही पक्षकार मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक होना चाहिए। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को सही पक्षकारों को जोड़ने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने मेटा प्लेटफॉर्म्स और गूगल इंक को आदेश दिया कि वे विवादास्पद सामग्री अपलोड करने वालों का विवरण याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराएं।