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Delhi High Court: 'असम राइफल्स को सेना के समान वेतन पेंशन पर फैसला ले केंद्र', हाईकोर्ट ने मांग को सही माना
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: विजय पुंडीर
Updated Tue, 02 Dec 2025 04:19 AM IST
सार
असम राइफल्स भारत का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में आंतरिक सुरक्षा और सीमा सुरक्षा के साथ-साथ भारत-म्यांमार सीमा की रक्षा का दायित्व निभाता है। यह बल प्रशासनिक रूप से गृह मंत्रालय के अधीन आता है, लेकिन परिचालन नियंत्रण सेना के पास रहता है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह असम राइफल्स के जवानों को भारतीय सेना के समकक्ष वेतन, भत्ते और पेंशन देने की लंबित मांग पर तीन माह में उचित फैसला ले। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की खंडपीठ ने यह आदेश 28 नवंबर को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। अदालत ने चेताया कि अगर समयसीमा में फैसला नहीं हुआ तो याचिकाकर्ता फिर कोर्ट आ सकते हैं।
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असम राइफल्स भारत का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में आंतरिक सुरक्षा और सीमा सुरक्षा के साथ-साथ भारत-म्यांमार सीमा की रक्षा का दायित्व निभाता है। यह बल प्रशासनिक रूप से गृह मंत्रालय के अधीन आता है, लेकिन परिचालन नियंत्रण सेना के पास रहता है। बल के जवान लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि उन्हें सेना के जवानों की तरह ही वेतनमान, रिस्क एंड हार्डशिप भत्ते, मिलिट्री सर्विस पे और पेंशन सुविधाएं दी जाएं।
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याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि असम राइफल्स के जवान सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उग्रवाद विरोधी अभियानों में हिस्सा लेते हैं, ऊंचाई वाले इलाकों और जंगलों में तैनात रहते हैं, फिर भी उन्हें सेना के मुकाबले कम वेतन और भत्ते मिलते हैं। याचिका में 2016 से चल रही इस मांग पर विचार करने की प्रक्रिया में हो रही देरी को भी चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा कि आखिर इस मामले में फैसला लेने में इतनी देर क्यों हो रही है।
कोर्ट ने कहा कि यह बल देश की सेवा में दिन-रात लगा रहता है, खासकर पूर्वोत्तर के कठिन हालात में। उनकी मांग जायज लगती है। सरकार को जल्द से जल्द फैसला करना चाहिए। अदालत ने केंद्र को 90 दिन के अंदर नीतिगत फैसला लेने और उसकी प्रति याचिकाकर्ताओं को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।