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Noida News: नाबालिग के अपहरण के मामले में आरोपियों को नहीं मिली राहत
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(अदालत से)
माई सिटी रिपोर्टर
ग्रेटर नोएडा। अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने नाबालिग के अपहरण के संगीन मामले में आरोपी दीपक उर्फ कल्ली व रविंद्र की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोपियों की भूमिका प्रथमदृष्टया गंभीर है। पीड़िता अब तक बरामद नहीं हुई है। ऐसे में उसे रिहा करने का कोई आधार नहीं बनता।
मामले के अनुसार वादी ने 27 सितंबर 2025 को रबूपुरा कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराते हुए बताया था कि उसकी 17 वर्षीय नाबालिग पुत्री मंदिर जाने निकली थी। इसी दौरान सह आरोपी हिमांशु बलेनो कार में आया और उसे अपने साथ ले गया। वादी का आरोप है कि हिमांशु कई दिनों से दीपक उर्फ कल्ली और एक अन्य युवक वंश त्यागी के साथ मिलकर उसकी बेटी की रेकी कर रहा था। आरोपियों के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि एफआईआर में दीपक पर केवल रेकी का आरोप लगाया गया है, अपहरण का नहीं। वह वादी का पड़ोसी है। वहीं रविंद्र के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आरोपी हिमांशु का पिता है। वहीं अभियोजन ने कहा कि दीपक सक्रिय रूप से अपहरण की रेकी में शामिल था। चूंकि पीड़िता अभी तक नहीं मिली है। इसलिए आरोपी को रिहा करना विवेचना और न्याय के लिए प्रतिकूल हो सकता है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जमानत देने से मना कर दिया।
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ग्रेटर नोएडा। अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने नाबालिग के अपहरण के संगीन मामले में आरोपी दीपक उर्फ कल्ली व रविंद्र की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि आरोपियों की भूमिका प्रथमदृष्टया गंभीर है। पीड़िता अब तक बरामद नहीं हुई है। ऐसे में उसे रिहा करने का कोई आधार नहीं बनता।
मामले के अनुसार वादी ने 27 सितंबर 2025 को रबूपुरा कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराते हुए बताया था कि उसकी 17 वर्षीय नाबालिग पुत्री मंदिर जाने निकली थी। इसी दौरान सह आरोपी हिमांशु बलेनो कार में आया और उसे अपने साथ ले गया। वादी का आरोप है कि हिमांशु कई दिनों से दीपक उर्फ कल्ली और एक अन्य युवक वंश त्यागी के साथ मिलकर उसकी बेटी की रेकी कर रहा था। आरोपियों के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि एफआईआर में दीपक पर केवल रेकी का आरोप लगाया गया है, अपहरण का नहीं। वह वादी का पड़ोसी है। वहीं रविंद्र के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आरोपी हिमांशु का पिता है। वहीं अभियोजन ने कहा कि दीपक सक्रिय रूप से अपहरण की रेकी में शामिल था। चूंकि पीड़िता अभी तक नहीं मिली है। इसलिए आरोपी को रिहा करना विवेचना और न्याय के लिए प्रतिकूल हो सकता है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जमानत देने से मना कर दिया।
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