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संशाधित:::: दोषमुक्त होने के बाद खुला जेल का दरवाज़ा, सुरेंद्र कोली जेल से रिहा
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निठारी कांड-- -- -फोटो:-- -- -- -- -- -- -- -- -- --
दोषमुक्त होने के बाद सुरेंद्र कोली लुक्सर जेल से रिहा
-गौतमबुद्ध नगर की लुक्सर जेल प्रशासन ने अधिवक्ताओं को सौंपा, शाम 7:15 बजे जेल के बाहर रखा कदम
-चार अधिवक्ताओं के साथ कोली ने मीडिया से नहीं की बात, कार में सवार होकर दिल्ली की तरफ हुए रवाना
माई सिटी रिपोर्टर
ग्रेटर नोएडा। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने और सीबीआई कोर्ट का परवाना मिलने के बाद गौतमबुद्ध नगर की लुक्सर जेल से निठारी हत्याकांड में दोषमुक्त सरेंद्र कोली को रिहा कर दिया गया है। शाम 7:15 बजे कोली ने जेल के बाहर कदम रखा। जेल प्रशासन ने सुरेंद्र कोली को उनके अधिवक्ताओं की टीम को सौंपा। जिसके बाद सभी कार में सवार होकर दिल्ली रवाना हो गए।
काले रंग के कोट-पेंट पहनकर जेल से बाहर आते समय कोली ने चेहरे पर मास्क पहना हुआ था। दिसंबर, 2006 में नोएडा के निठारी गांव स्थित मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से बच्चों के कंकाल मिले थे। इन हत्या के आरोप में पुलिस ने पंढेर और उसके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार कर लिया था। दस दिन बाद केस सीबीआई को सौंप दिया गया था। दोनों पर 13 मुकदमे दर्ज किए गए। इस मामले में हाईकोर्ट ने अक्तूबर, 2023 में मोनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया था। जुलाई, 2025 में पंधेर को कोर्ट से 13वें केस में भी बरी कर दिया गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को भी 13वें मुकदमे में बरी कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट से रिहाई का आदेश मंगलवार रात 8 बजे जिला कारागार प्रशासन को बुधवार शाम 5:30 बजे ऑनलाइन माध्यम से मिला। परवाने का सत्यापन कराने और अन्य कागजी कार्रवाई करने के बाद शाम 7:15 बजे सुरेंद्र कोली को जेल से रिहा कर दिया गया। परिजनों की जगह उनके अधिवक्ता व दो अन्य सुरेंद्र कोली को लेने पहुंचे।
8 सितंबर, 2024 को लुक्सर जेल में आया था कोली :
निठारी के जघन्य हत्याकांड के आरोपों से बरी होने वाले सुरेंद्र कोली डासना जेल में बंद था, लेकिन क्षमता से अधिक कैदी होने के कारण उनको और मोनिंदर सिंह पंढेर को गौतमबुद्ध नगर की लुक्सर जेल में शिफ्ट कर दिया गया। 8 सितंबर, 2024 को सुरेंद्र कोली को लुक्सर जेल लाया गया था। तभी से जेल की बैरक नंबर वन-ई में रहता था। उसके साथ 30 से 35 कैदी भी उस बैरक में थे।
घर की जगह जेल का सामान करता था प्रयोग : जिला कारागार के अफसरों ने बताया कि सुरेंद्र कोली घर से जरूरी सामान नहीं मंगवाता था। वह जेल से मिलने वाले साबुन, टूथब्रश समेत अन्य सभी वस्तुओं का उपयोग करता था। उसके पास कपड़े भी ज्यादा नहीं थे। वो जेल में सामान्य जीवन जी रहा था।
तीन से चार बार मिलने पहुंचे पत्नी व बेटा : गौतमबुद्ध नगर जिला कारागार में कोली 14 माह रहा। इस दौरान उनकी पत्नी, बेटा, भाई और अधिवक्ता मिलने पहुंचे। पत्नी, बेटा और भाई इन 14 माह में तीन से चार बार जेल आए, लेकिन अधिवक्ताओं का केस के मामले में अक्सर आना-जाना रहता था।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद बदला रवैया : जेल प्रशासन के अफसरों का कहना है कि सजा होने के बाद कोली जेल में परेशान रहता था। वह गुमशुम रहता था, लेकिन हाईकोर्ट से 12 केस में बरी होने के बाद उसका रवैया बदला गया। वह खुश रहने लगा। लुक्सर जेल में आने के बाद वो सामान्य रहता था। अन्य कैदियों के साथ काफी बातचीत करता था। जेल में उससे केवल साफ सफाई का काम कराया जाता था।
निठारी कांड पर नहीं की किसी से बात : जेल प्रशासन का कहना है कि निठारी कांड पर कई बार सुरेंद्र कोली से बात की गई, लेकिन वो कभी कुछ नहीं बोला। निठारी कांड पर उसने कभी अन्य कैदियों से भी बात नहीं की। वो सामान्य रूप से बात करता था। डिस्कवरी चैनल ने भी इंटरव्यू करने का ऑफर दिया था, लेकिन उसने इंटरव्यू देने से भी इंकार कर दिया था।
परवाना मिलने के बाद सुरेंद्र कोली को जेल से रिहा कर दिया गया है। कारागार से दो अधिवक्ताओं के साथ भेजा गया है। वह 8 सितंबर, 2024 को गौतमबुद्ध नगर जेल में आया था। -बृजेश कुमार, अधीक्षक जिला कारागार गौतमबुद्ध नगर
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दोषमुक्त होने के बाद सुरेंद्र कोली लुक्सर जेल से रिहा
-गौतमबुद्ध नगर की लुक्सर जेल प्रशासन ने अधिवक्ताओं को सौंपा, शाम 7:15 बजे जेल के बाहर रखा कदम
-चार अधिवक्ताओं के साथ कोली ने मीडिया से नहीं की बात, कार में सवार होकर दिल्ली की तरफ हुए रवाना
माई सिटी रिपोर्टर
ग्रेटर नोएडा। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने और सीबीआई कोर्ट का परवाना मिलने के बाद गौतमबुद्ध नगर की लुक्सर जेल से निठारी हत्याकांड में दोषमुक्त सरेंद्र कोली को रिहा कर दिया गया है। शाम 7:15 बजे कोली ने जेल के बाहर कदम रखा। जेल प्रशासन ने सुरेंद्र कोली को उनके अधिवक्ताओं की टीम को सौंपा। जिसके बाद सभी कार में सवार होकर दिल्ली रवाना हो गए।
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काले रंग के कोट-पेंट पहनकर जेल से बाहर आते समय कोली ने चेहरे पर मास्क पहना हुआ था। दिसंबर, 2006 में नोएडा के निठारी गांव स्थित मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से बच्चों के कंकाल मिले थे। इन हत्या के आरोप में पुलिस ने पंढेर और उसके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार कर लिया था। दस दिन बाद केस सीबीआई को सौंप दिया गया था। दोनों पर 13 मुकदमे दर्ज किए गए। इस मामले में हाईकोर्ट ने अक्तूबर, 2023 में मोनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया था। जुलाई, 2025 में पंधेर को कोर्ट से 13वें केस में भी बरी कर दिया गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को भी 13वें मुकदमे में बरी कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट से रिहाई का आदेश मंगलवार रात 8 बजे जिला कारागार प्रशासन को बुधवार शाम 5:30 बजे ऑनलाइन माध्यम से मिला। परवाने का सत्यापन कराने और अन्य कागजी कार्रवाई करने के बाद शाम 7:15 बजे सुरेंद्र कोली को जेल से रिहा कर दिया गया। परिजनों की जगह उनके अधिवक्ता व दो अन्य सुरेंद्र कोली को लेने पहुंचे।
8 सितंबर, 2024 को लुक्सर जेल में आया था कोली :
निठारी के जघन्य हत्याकांड के आरोपों से बरी होने वाले सुरेंद्र कोली डासना जेल में बंद था, लेकिन क्षमता से अधिक कैदी होने के कारण उनको और मोनिंदर सिंह पंढेर को गौतमबुद्ध नगर की लुक्सर जेल में शिफ्ट कर दिया गया। 8 सितंबर, 2024 को सुरेंद्र कोली को लुक्सर जेल लाया गया था। तभी से जेल की बैरक नंबर वन-ई में रहता था। उसके साथ 30 से 35 कैदी भी उस बैरक में थे।
घर की जगह जेल का सामान करता था प्रयोग : जिला कारागार के अफसरों ने बताया कि सुरेंद्र कोली घर से जरूरी सामान नहीं मंगवाता था। वह जेल से मिलने वाले साबुन, टूथब्रश समेत अन्य सभी वस्तुओं का उपयोग करता था। उसके पास कपड़े भी ज्यादा नहीं थे। वो जेल में सामान्य जीवन जी रहा था।
तीन से चार बार मिलने पहुंचे पत्नी व बेटा : गौतमबुद्ध नगर जिला कारागार में कोली 14 माह रहा। इस दौरान उनकी पत्नी, बेटा, भाई और अधिवक्ता मिलने पहुंचे। पत्नी, बेटा और भाई इन 14 माह में तीन से चार बार जेल आए, लेकिन अधिवक्ताओं का केस के मामले में अक्सर आना-जाना रहता था।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद बदला रवैया : जेल प्रशासन के अफसरों का कहना है कि सजा होने के बाद कोली जेल में परेशान रहता था। वह गुमशुम रहता था, लेकिन हाईकोर्ट से 12 केस में बरी होने के बाद उसका रवैया बदला गया। वह खुश रहने लगा। लुक्सर जेल में आने के बाद वो सामान्य रहता था। अन्य कैदियों के साथ काफी बातचीत करता था। जेल में उससे केवल साफ सफाई का काम कराया जाता था।
निठारी कांड पर नहीं की किसी से बात : जेल प्रशासन का कहना है कि निठारी कांड पर कई बार सुरेंद्र कोली से बात की गई, लेकिन वो कभी कुछ नहीं बोला। निठारी कांड पर उसने कभी अन्य कैदियों से भी बात नहीं की। वो सामान्य रूप से बात करता था। डिस्कवरी चैनल ने भी इंटरव्यू करने का ऑफर दिया था, लेकिन उसने इंटरव्यू देने से भी इंकार कर दिया था।
परवाना मिलने के बाद सुरेंद्र कोली को जेल से रिहा कर दिया गया है। कारागार से दो अधिवक्ताओं के साथ भेजा गया है। वह 8 सितंबर, 2024 को गौतमबुद्ध नगर जेल में आया था। -बृजेश कुमार, अधीक्षक जिला कारागार गौतमबुद्ध नगर