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B.Sc पास बना महाठग: ऑनलाइन गेमिंग की आड़ में करोड़ों की ठगी, फ्लैट में था ऑफिस; एक महिला समेत आठ पकड़े

माई सिटी रिपोर्टर, ग्रेटर नोएडा Published by: अनुज कुमार Updated Fri, 14 Nov 2025 05:02 PM IST
सार

Noida Cyber Fraud Case: थाना बिसरख पुलिस ने फर्जी गेमिंग एप के जरिए रोज 8-10 लाख की ठगी करने वाले संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया। आरोपियों के पास से 8 लैपटॉप, 56 मोबाइल, फर्जी दस्तावेज और सिम बरामद हुए।

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विस्तार
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थाना बिसरख पुलिस ने ऑनलाइन गैमिंग एप के नाम पर ठगी करने वाले एक बड़े संगठित गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में एक महिला भी शामिल है। इनके कब्जे से भारी मात्रा में कूटरचित बैंक पासबुक, चेकबुक, फर्जी एटीएम कार्ड, प्री-एक्टिवेटेड सिम, 8 लैपटॉप, 56 मोबाइल फोन सहित अन्य उपकरण बरामद हुए हैं। यह पूरा गिरोह “विनबुज” नामक ऑनलाइन गैमिंग/बैटिंग एप के माध्यम से लोगों को झांसा देकर रोज 8 से 10 लाख रुपये तक की ठगी करने का धंधा चला रहा था। 

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ऑनलाइन गेमिंग एप के नाम पर जाल
घटना का खुलासा तब हुआ जब पुलिस को सूचना मिली कि एक समूह फ्लैट में बैठकर लैपटॉप और मोबाइल के जरिए ऑनलाइन गेमिंग के बहाने लोगों से धोखाधड़ी कर रहा है। आरोपियों ने बताया कि वे विनबुज नाम से एक ऑनलाइन गेमिंग एप चलाते हैं। जिसमें क्रिकेट, कैसिनो, एविएटर, रूलेट और “हरालाल नंबरिंग गेम” जैसे खेलों की आड़ में बेंटिंग कराते हैं। 
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गिरोह सबसे पहले सोशल मीडिया इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि पर गेमिंग विज्ञापन चलवा कर लोगों को लालच देता था। इनके नेटवर्क में “लियो” नाम का व्यक्ति लिंक उपलब्ध कराता था। जिसके जरिए लोग उनकी फर्जी वेबसाइट पर पहुंचते थे। इसके बाद आरोपी उनसे गेम खेलने के लिए पैसे जमा कराने के नाम पर धनराशि लेते थे और उनके अकाउंट में काल्पनिक प्वाइंट व करेंसी डालते थे। शुरू में छोटी राशि जिता कर यूजर को लालच में डाला जाता था, ताकि वह दोबारा और अधिक पैसा लगाए। जैसे ही लोग बड़ी रकम लगाने लगते, एप में उन्हें लगातार हारने पर मजबूर किया जाता और उनकी पूरी राशि डूबा दी जाती। इस तरह आरोपी रोज 8–10 लाख रुपये तक की ठगी कर रहे थे।

फर्जी बैंक खाते प्री-एक्टिवेटेड सिम
पूछताछ में सामने आया कि गिरोह फर्जी आईडी के आधार पर बैंक खाते खुलवाता था। इसके लिए वे दूसरों की आईडी लेकर उसी नाम पर फर्जी सिम कार्ड खरीदते और फिर उसी सिम पर बैंक खाता खुलवाते। इन खातों का उपयोग केवल ठगी की रकम मंगाने और आगे ट्रांसफर करने में किया जाता था। आरोपियों के पास से बरामद सभी सिम कार्ड प्री-एक्टिवेटेड और किसी अन्य के नाम से जारी किए गए मिले हैं। गिरोह एक आईडी पर करीब 3,000 क्लाइंट्स जोड़ लेता था। जिन खातों में 50 हजार रुपये से अधिक जमा हो जाते थे उन्हें तुरंत इनएक्टिव कर दिया जाता ताकि पकड़ में न आएं। पैसे को अलग-अलग खातों में घुमा-फिरा कर वे लियो द्वारा बताये खाते में ट्रांसफर कर देते और एटीएम/डेबिट कार्ड के माध्यम से निकाल लेते।

फ्लैट में बैठा था पूरा ऑनलाइन फ्रॉड मॉड्यूल
डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि टीम ने फ्लैट नंबर 2101 टॉवर-1 ला रेजीडेंसिया सोसायटी में रेड की। अंदर एक टेबल पर लैपटॉप, मोबाइल, सिम कार्ड, बैंक पासबुक और चेकबुक का ढेर लगा हुआ था। कई आरोपी लैपटॉप पर लाइव गेमिंग और बेंटिंग की कमांड्स चला रहे थे और लोग फोन पर हार-जीत की बाजी लगा रहे थे। पुलिस ने सभी आठ आरोपियों को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान अंकित सिंह (24), हिमांशु (20), चिराग जैन  (21), प्रथम मिश्रा (22) . हर्षित वर्मा, (23), अंश वर्मा  (20), नितिन बाबू (22), कीर्ति  (23)  रूप में हुई है। सभी आरोपी इटावा जिले के रहने वाले हैं और लगभग तीन महीने से नोएडा के इस फ्लैट में बैठकर बड़े पैमाने पर ऑनलाइन ठगी का खेल चला रहे थे।सभी आरोपियों ने पुलिस को बताया वे लियो नाम के शख्स के साथ मिलकर फर्जी ऑनलाइन गेमिंग/बैटिंग का नेटवर्क चला रहे थे। रोजाना 8–10 लाख रुपये तक की ठगी करते थे। फर्जी आईडी, प्री-एक्टिवेटेड सिम और कूटरचित बैंक खातों का इस्तेमाल करते थे। यूजर्स को पहले जीतते दिखाकर लालच में डालते, फिर भारी रकम डुबो देते। रकम जमा करने वाले खातों को कुछ ही दिनों में इनएक्टिव कर नया खाता एक्टिव कर देते, ताकि ट्रैकिंग मुश्किल हो। ठगे हुए पैसे को कई लेयर्स में ट्रांसफर कर एटीएम से निकाल लेते थे। 

मुख्य आरोपी अंकित सिंह ने बताया कि वह बीएससी पास है और पहले सिंचाई विभाग, इटावा में संविदा पर कार्यरत था। नौकरी छोड़कर पत्नी के साथ इस ठगी का काम कर रहा था। आरोपियों के पास से 159 फर्जी बैंक पासबुक,  95 कूटरचित चेकबुक, 321 फर्जी/कूटरचित एटीएम–डेबिट कार्ड, 48 प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड, 8 लैपटॉ, 1 टैब, 56 मोबाइल फोन बरामद हुआ है।  बरामद सामान से स्पष्ट है कि यह गिरोह देशभर के सैकड़ों लोगों को ठग चुका था।

उपनिरीक्षक मनेन्द्र प्रताप सिंह की तहरीर पर थाना बिसरख में संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस अब लियो की पहचान, बैंकिंग नेटवर्क, डिजिटल ट्रांजैक्शन्स और ठगे गए पैसों की ट्रेल खंगाल रही है। साइबर सेल के साथ मिलकर गिरोह से जुड़े अन्य लिंक और संभावित बड़े नेटवर्क तक पहुंचने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

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