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Delhi NCR News: जेएनयू लाइब्रेरी तोड़फोड़ प्रकरण में छात्र नेताओं को नोटिस
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फेस रिकॉग्निशन सिस्टम हटाने के मामले में प्रॉक्टोरियल जांच तेज, छात्रों पर दबाव बनाने का आरोप
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की डॉ. बीआर आंबेडकर सेंट्रल लाइब्रेरी के प्रवेश द्वार से फेस रिकॉग्निशन सिस्टम उखाड़ फेंकने के मामले में प्रॉक्टोरियल जांच जारी है। छात्र संघ के नेतृत्व में 21 नवंबर को हुई इस तोड़फोड़ को लेकर छात्र संघ के महासचिव सुनील यादव ने बताया कि संघ के सभी पदाधिकारियों को जांच संबंधी नोटिस भेजा गया है। उनका आरोप है कि जांच के नाम पर छात्रों को डराया जा रहा है और उनके अधिकारों को दबाने की कोशिश हो रही है। शीघ्र ही चीफ प्रॉक्टर मैनुअल के खिलाफ आंदोलन शुरू किया जाएगा।
इसी बीच जेएनयू लाइब्रेरियन द्वारा कुलगुरु को भेजा गया एक पत्र सामने आया है, जिसमें तोड़फोड़ के लिए पांच छात्रों को जिम्मेदार बताया गया है। इनमें छात्र संघ के चारों पदाधिकारी शामिल हैं। पत्र में उल्लेख है कि फेस रिकॉग्निशन सिस्टम की कीमत करीब 20 लाख रुपये थी और छात्रों से कोई अतिरिक्त निजी डाटा नहीं मांगा गया, बल्कि दाखिले के समय दी गई जानकारी और फोटोग्राफ ही उपयोग किए गए। ईमेल के माध्यम से 1800 छात्रों ने अपना डाटा दिया है, जबकि करीब 500 छात्रों ने लाइव फोटो भी उपलब्ध कराई है।
सुरक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार विरोध प्रदर्शन में 12 छात्र शामिल थे। उन्होंने मशीनों के कैमरे और एक मशीन को बाहर फेंक दिया तथा सीसीटीवी कैमरे की तार को कैंची से काट दिया। तोड़फोड़ रोकने के दौरान दो महिला सुरक्षाकर्मियों की उंगलियां घायल हो गईं।
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अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की डॉ. बीआर आंबेडकर सेंट्रल लाइब्रेरी के प्रवेश द्वार से फेस रिकॉग्निशन सिस्टम उखाड़ फेंकने के मामले में प्रॉक्टोरियल जांच जारी है। छात्र संघ के नेतृत्व में 21 नवंबर को हुई इस तोड़फोड़ को लेकर छात्र संघ के महासचिव सुनील यादव ने बताया कि संघ के सभी पदाधिकारियों को जांच संबंधी नोटिस भेजा गया है। उनका आरोप है कि जांच के नाम पर छात्रों को डराया जा रहा है और उनके अधिकारों को दबाने की कोशिश हो रही है। शीघ्र ही चीफ प्रॉक्टर मैनुअल के खिलाफ आंदोलन शुरू किया जाएगा।
इसी बीच जेएनयू लाइब्रेरियन द्वारा कुलगुरु को भेजा गया एक पत्र सामने आया है, जिसमें तोड़फोड़ के लिए पांच छात्रों को जिम्मेदार बताया गया है। इनमें छात्र संघ के चारों पदाधिकारी शामिल हैं। पत्र में उल्लेख है कि फेस रिकॉग्निशन सिस्टम की कीमत करीब 20 लाख रुपये थी और छात्रों से कोई अतिरिक्त निजी डाटा नहीं मांगा गया, बल्कि दाखिले के समय दी गई जानकारी और फोटोग्राफ ही उपयोग किए गए। ईमेल के माध्यम से 1800 छात्रों ने अपना डाटा दिया है, जबकि करीब 500 छात्रों ने लाइव फोटो भी उपलब्ध कराई है।
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सुरक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार विरोध प्रदर्शन में 12 छात्र शामिल थे। उन्होंने मशीनों के कैमरे और एक मशीन को बाहर फेंक दिया तथा सीसीटीवी कैमरे की तार को कैंची से काट दिया। तोड़फोड़ रोकने के दौरान दो महिला सुरक्षाकर्मियों की उंगलियां घायल हो गईं।