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Delhi NCR News: एमसीडी सदन में कामकाज की सुस्ती और शिक्षा समिति की अनदेखी पर हंगामा
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विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के पार्षदों ने भी प्रशासन की कार्यशैली पर उठाए गंभीर सवाल
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। एमसीडी सदन की मंगलवार की बैठक में विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के पार्षदों ने प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया। पार्षदों ने कामकाज में सुस्ती और शिक्षा समिति को दरकिनार कर मनमाने फैसले लेने का आरोप लगाया।
इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी के पार्षद दिनेश भारद्वाज ने कहा कि निगम में कोई ठोस काम नहीं हो रहा है। पार्षदों को सिर्फ बजट की एक किस्त दी गई है, जिससे क्षेत्र में विकास कार्य कर पाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हम सुबह से शाम तक झूठ बोल-बोलकर परेशान हो चुके हैं और यह स्थिति सभी पार्षदों की है। भारद्वाज ने दावा किया कि यदि सत्ता पक्ष के पार्षदों से भी ईमानदारी से पूछा जाए, तो वे भी यही दिक्कतें बताएंगे।
उधर, भाजपा पार्षद और शिक्षा समिति के अध्यक्ष योगेश वर्मा ने अधिकारियों पर समिति की अनदेखी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वैधानिक समिति होने के बावजूद 71 निजी स्कूलों को बिना अनुमोदन के मान्यता प्रदान कर दी गई, जबकि यह अधिकार शिक्षा समिति के पास है। इसे समिति का अपमान और वैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन बताते हुए वर्मा ने मांग की कि इन 71 स्कूलों की मान्यता तत्काल रद्द की जाए और भविष्य में किसी भी निर्णय से पहले समिति की स्वीकृति अनिवार्य की जाए।
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अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। एमसीडी सदन की मंगलवार की बैठक में विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के पार्षदों ने प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया। पार्षदों ने कामकाज में सुस्ती और शिक्षा समिति को दरकिनार कर मनमाने फैसले लेने का आरोप लगाया।
इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी के पार्षद दिनेश भारद्वाज ने कहा कि निगम में कोई ठोस काम नहीं हो रहा है। पार्षदों को सिर्फ बजट की एक किस्त दी गई है, जिससे क्षेत्र में विकास कार्य कर पाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हम सुबह से शाम तक झूठ बोल-बोलकर परेशान हो चुके हैं और यह स्थिति सभी पार्षदों की है। भारद्वाज ने दावा किया कि यदि सत्ता पक्ष के पार्षदों से भी ईमानदारी से पूछा जाए, तो वे भी यही दिक्कतें बताएंगे।
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उधर, भाजपा पार्षद और शिक्षा समिति के अध्यक्ष योगेश वर्मा ने अधिकारियों पर समिति की अनदेखी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वैधानिक समिति होने के बावजूद 71 निजी स्कूलों को बिना अनुमोदन के मान्यता प्रदान कर दी गई, जबकि यह अधिकार शिक्षा समिति के पास है। इसे समिति का अपमान और वैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन बताते हुए वर्मा ने मांग की कि इन 71 स्कूलों की मान्यता तत्काल रद्द की जाए और भविष्य में किसी भी निर्णय से पहले समिति की स्वीकृति अनिवार्य की जाए।