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Delhi: एमसीडी के उपचुनाव में ठंडे प्रचार से मतदान को लगी सर्दी, इस बार राजनीतिक दल भी नहीं दिखे ज्यादा सक्रिय

विनोद डबास, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विजय पुंडीर Updated Tue, 02 Dec 2025 04:26 AM IST
सार

दिल्ली निगम के उपचुनाव में तीनों राजनीतिक पार्टियां भी पूरे जोर-शोर से चुनावी महौल को गरमा नहीं सकीं। निगम से निकलकर दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं रेखा गुप्ता बेशक कई वार्ड में सक्रिय रहीं, लेकिन आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का कोई बड़ा नेता मैदान में नहीं उतरा।  

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Voters show little interest in MCD by-elections, voter turnout doesn't even reach 40%
एमसीडी मुख्यालय - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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उपचुनावों में वोटिंग प्रतिशत कम होने के पैटर्न के साथ दिल्ली नगर निगम चुनाव में राजनीतिक दलों की दिलचस्पी भी खास नहीं दिखी। विधानसभा चुनाव के बाद नेताओं ने भी लोगों से अपनी थोड़ी दूरी बना ली, जिसका मिला-जुला असर यह रहा कि गिरते तापमान के बीच ठंडे प्रचार के बीच सियासी पारा ऊपर नहीं चढ़ सका।

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नतीजतन अधिकतर मतदाता घरों से नहीं निकले, जिसके चलते मतदान प्रतिशत 40 फीसदी तक भी नहीं पहुंचा। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि उपचुनावों में सामान्य पैटर्न आम चुनावों जैसा नहीं दिखता। इसमें कोई ऐसा मुद्दा भी नहीं होता कि जिसके आकर्षक से वोटर बूथ तक जाएं। इसकी वजह से लोगों में मतदान के प्रति उत्साह कम रहता है।
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फिर, दिल्ली निगम के उपचुनाव में तीनों राजनीतिक पार्टियां भी पूरे जोर-शोर से चुनावी महौल को गरमा नहीं सकीं। निगम से निकलकर दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं रेखा गुप्ता बेशक कई वार्ड में सक्रिय रहीं, लेकिन आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का कोई बड़ा नेता मैदान में नहीं उतरा।  

राजनीतिक दल कर रहे गुणा-गणित
भाजपा : कार्यकर्ता से लेकर नेता तक कम मतदान को अपने पक्ष में सकारात्मक संकेत मान रहे है। प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रवीन शंकर कपूर का कहना है कि उनका कमिटेड वोटर हर परिस्थिति में मतदान करता है और यही उनकी मजबूती है। सवाल यह भी है कि क्या वाकई भाजपा समर्थक उतनी संख्या में निकले, जितना पार्टी अनुमान लगा रही है? मतदान केंद्रों पर देखी गई सुस्ती इस दावे को पूरी तरह पुष्ट नहीं करती है।

कांग्रेस : पूर्व मेयर फरहाद सूरी का कहना है कि सत्ता पक्ष से नाराजगी के कारण मतदान कम हुआ। दरअसल मतदाता सीधे तौर पर असंतोष जताने में संकोच करते हैं, लेकिन मतदान से दूरी बनाना एक साइलेंट प्रोटेस्ट की तरह होता है। हालांकि कांग्रेस के एक अन्य नेता चौ. चतर सिंह ने आत्मस्वीकृति भी जताई कि दलों ने इस बार आक्रामक प्रचार नहीं किया। पूर्व सांसद चौ. तारीफ सिंह का कहना है कि जनता जनप्रतिनिधियों से नाराज थी, इसलिए मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंची।

कम मतदान के मुख्य कारण

  • उपचुनाव में रुचि कम रहना एक स्थायी पैटर्न है।
  • दल प्रचार में ढीले रहे, चुनावी ऊर्जा सीमित रही।
  • स्थानीय मुद्दों की तीव्रता उतनी
  • गहरी नहीं दिखी, जितनी आम चुनाव में होती है।
  • शहरी मतदाता पहले से ही चुनावों में कम हिस्सेदारी करता है और जब चुनाव छोटा हो तो मतदान और गिर जाता है।
  • नाराजगी दोनों तरफ मौजूद थी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं कि उसने किसे नुकसान पहुंचाया।

नगर निगम चुनाव में मतदान प्रतिशत
वर्ष        प्रतिशत
1997  41 प्रतिशत
2002  52 प्रतिशत
2007  42 प्रतिशत
2012  55 प्रतिशत
2017  54 प्रतिशत
2022  51 प्रतिशत

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