उच्च न्यायालय ने 2019 में सीएए-एनआरसी विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़काऊ भाषण देने और हिंसा भड़काने के आरोप में देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार जेएनयू छात्र शरजील इमाम की जमानत याचिका पर पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने पुलिस को मामले में अपना पक्ष रखने का निर्देश देते हुए सुनवाई 11 फरवरी 2022 तय की है। इमाम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय आर हेगड़े ने निचली अदालत के 22 अक्टूबर के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
याची ने तर्क रखा कि हिंसा के कारण कथित रूप से गिरफ्तार किए गए सभी सह-अभियुक्तों को इस मामले में जमानत दे दी गई है। याचिका में कहा गया है अभियोजन पक्ष के सबूतों को स्वीकार न करते हुए अदालत ने सभी सह-आरोपियों को जमानत प्रदान की है, जबकि उसे जमानत नहीं दी गई।
निचली अदालत ने यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि सांप्रदायिक शांति और सद्भाव की कीमत पर फ्री स्पीच का प्रयोग नहीं किया जा सकता। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 13 दिसंबर, 2019 को इमाम ने कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था। जिसके परिणामस्वरूप दो दिन बाद दंगे हुए जब 3,000 से अधिक लोगों से मिलकर भीड़ ने पुलिस कर्मियों पर हमला किया और दक्षिण दिल्ली के जामिया नगर इलाके में कई वाहनों में आग लगा दी।
निचली अदालत ने कहा था कि दंगाइयों को इमाम के भाषण से भड़काने के आरोपों के समर्थन में जो सबूत मिले और उसके बाद दंगाई पुलिस पार्टी पर हमला करने की घटनाओं में लिप्त हो गए। इमाम के खिलाफ पिछले वर्ष हुए दंगो का मामला भी दर्ज है।
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उच्च न्यायालय ने 2019 में सीएए-एनआरसी विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़काऊ भाषण देने और हिंसा भड़काने के आरोप में देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार जेएनयू छात्र शरजील इमाम की जमानत याचिका पर पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने पुलिस को मामले में अपना पक्ष रखने का निर्देश देते हुए सुनवाई 11 फरवरी 2022 तय की है। इमाम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय आर हेगड़े ने निचली अदालत के 22 अक्टूबर के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
याची ने तर्क रखा कि हिंसा के कारण कथित रूप से गिरफ्तार किए गए सभी सह-अभियुक्तों को इस मामले में जमानत दे दी गई है। याचिका में कहा गया है अभियोजन पक्ष के सबूतों को स्वीकार न करते हुए अदालत ने सभी सह-आरोपियों को जमानत प्रदान की है, जबकि उसे जमानत नहीं दी गई।
निचली अदालत ने यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि सांप्रदायिक शांति और सद्भाव की कीमत पर फ्री स्पीच का प्रयोग नहीं किया जा सकता। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 13 दिसंबर, 2019 को इमाम ने कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था। जिसके परिणामस्वरूप दो दिन बाद दंगे हुए जब 3,000 से अधिक लोगों से मिलकर भीड़ ने पुलिस कर्मियों पर हमला किया और दक्षिण दिल्ली के जामिया नगर इलाके में कई वाहनों में आग लगा दी।
निचली अदालत ने कहा था कि दंगाइयों को इमाम के भाषण से भड़काने के आरोपों के समर्थन में जो सबूत मिले और उसके बाद दंगाई पुलिस पार्टी पर हमला करने की घटनाओं में लिप्त हो गए। इमाम के खिलाफ पिछले वर्ष हुए दंगो का मामला भी दर्ज है।