कॉलेज ऑफ आट्र्स में बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (बीएफए) और मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स (एमएफए) ने इन पाठ्यक्रमो में प्रवेश के लिए अंबेडकर विवि के तहत दाखिला प्रक्रिया शुरू की है। डीयू केशिक्षकों ने अंबेडकर विवि के तहत इस दाखिला प्रक्रिया शुरू करने को लेकर विरोध शुरू कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि कॉलेज ऑफ आर्ट्स अभी भी दिल्ली विश्वविद्यालय का अभिन्न अंग है। डीयू के11 शिक्षकों ने मंगलवार को कुलपति प्रो योगेश सिंह को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
पत्र में उन्होंने शैक्षणिक सत्र 2021-22 और 2022-23 के लिए डीयू के अंतर्गत ही छात्रों को प्रवेश देने के कार्यकारी परिषद के निर्णय को लागू करने की मांग की है। यह 11 शिक्षक विवि के कार्यकारी परिषद (ईसी) और अकादमिक परिषद (एसी) के सदस्य भी हैं। पत्र में लिखा गया है कि इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण कार्रवाई दिल्ली विवि के अधिनियमों के विरोधाभासी है।
डीयू और दिल्ली सरकार के बीच इस कॉलेज को लेकर लंबे समय से गतिरोध जारी है। अब कॉलेज ऑफ आर्ट्स की संबद्धता को लेकर नया घटनाक्रम सामने आया है। वर्ष 2021 मार्च में दिल्ली सरकार ने घोषणा की थी कि कॉलेज को आंबेडकर विवि से संबद्ध किया जाएगा। आंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित संस्थान है। कॉलेज की संबद्धता को लेकर दिल्ली सरकार और डीयू केबीच जारी गतिरोध के कारण कॉलेज में पिछले शिक्षण सत्र में संबद्धता के विषय के कारण प्रवेश नहीं हो सके थे।
डीयू अकादमिक परिषद सदस्य डॉ आलोक पांडेय का कहना है कि आंबेडकर विवि ने हाल ही में एक बैठक की जिसमें घोषणा की गयी कि कॉलेज में दाखिले आंबेडकर विश्वविद्यालय के तहत शुरू होंगे। कॉलेज की ओर से इस संबंध में बीते सप्ताह एक नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है। डीयू कुलपति ने भी कॉलेज को दिल्ली विवि केतहत ही दाखिले शुरू करने को कहा है।
डूटा ने कार्यकारी परिषद की इमरजेंसी बैठक बुलाने की मांग की
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि वह इस कॉलेज को अंबेडकर विवि में विलय ना करें। साथ ही दाखिला प्रक्रिया को लेकर जारी किए गए नोटिफिकेशन को वापस लिया जाए। साथ ही यदि दिल्ली सरकार कॉलेज को फंड देना नहीं चाहती तो डीयू को कार्यकारी परिषद की इमरजेंसी बैठक बुलानी चाहिए और कॉलेज को अपने अधिकार में लेने के प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए।
कॉलेज ऑफ आट्र्स में बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (बीएफए) और मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स (एमएफए) ने इन पाठ्यक्रमो में प्रवेश के लिए अंबेडकर विवि के तहत दाखिला प्रक्रिया शुरू की है। डीयू केशिक्षकों ने अंबेडकर विवि के तहत इस दाखिला प्रक्रिया शुरू करने को लेकर विरोध शुरू कर दिया है। शिक्षकों का कहना है कि कॉलेज ऑफ आर्ट्स अभी भी दिल्ली विश्वविद्यालय का अभिन्न अंग है। डीयू के11 शिक्षकों ने मंगलवार को कुलपति प्रो योगेश सिंह को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
पत्र में उन्होंने शैक्षणिक सत्र 2021-22 और 2022-23 के लिए डीयू के अंतर्गत ही छात्रों को प्रवेश देने के कार्यकारी परिषद के निर्णय को लागू करने की मांग की है। यह 11 शिक्षक विवि के कार्यकारी परिषद (ईसी) और अकादमिक परिषद (एसी) के सदस्य भी हैं। पत्र में लिखा गया है कि इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण कार्रवाई दिल्ली विवि के अधिनियमों के विरोधाभासी है।
डीयू और दिल्ली सरकार के बीच इस कॉलेज को लेकर लंबे समय से गतिरोध जारी है। अब कॉलेज ऑफ आर्ट्स की संबद्धता को लेकर नया घटनाक्रम सामने आया है। वर्ष 2021 मार्च में दिल्ली सरकार ने घोषणा की थी कि कॉलेज को आंबेडकर विवि से संबद्ध किया जाएगा। आंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित संस्थान है। कॉलेज की संबद्धता को लेकर दिल्ली सरकार और डीयू केबीच जारी गतिरोध के कारण कॉलेज में पिछले शिक्षण सत्र में संबद्धता के विषय के कारण प्रवेश नहीं हो सके थे।
डीयू अकादमिक परिषद सदस्य डॉ आलोक पांडेय का कहना है कि आंबेडकर विवि ने हाल ही में एक बैठक की जिसमें घोषणा की गयी कि कॉलेज में दाखिले आंबेडकर विश्वविद्यालय के तहत शुरू होंगे। कॉलेज की ओर से इस संबंध में बीते सप्ताह एक नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है। डीयू कुलपति ने भी कॉलेज को दिल्ली विवि केतहत ही दाखिले शुरू करने को कहा है।
डूटा ने कार्यकारी परिषद की इमरजेंसी बैठक बुलाने की मांग की
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि वह इस कॉलेज को अंबेडकर विवि में विलय ना करें। साथ ही दाखिला प्रक्रिया को लेकर जारी किए गए नोटिफिकेशन को वापस लिया जाए। साथ ही यदि दिल्ली सरकार कॉलेज को फंड देना नहीं चाहती तो डीयू को कार्यकारी परिषद की इमरजेंसी बैठक बुलानी चाहिए और कॉलेज को अपने अधिकार में लेने के प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए।