दिल्ली विश्वविद्यालय से 1857 के गदर की दर्दनाक यादें भी जुड़ी हैं। विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस के पास स्थित कमला नेहरू रिज में फ्लैग स्टाफ टॉवर इतिहास की कहानी समेटे हुए हैं।
इस टॉवर में 11 मई 1857 को भारतीय सेनानियों की घेराबंदी के दौरान कई अंग्रेज और उनके परिवार वालों ने शरण ली थी। आजादी के परवानों से बचने के लिए अंग्रेज टॉवर की ओर भागे थे। बताते हैं कि वे यहां कम से कम तीन महीने रहे। इसी दौरान भारतीय जांबाजों और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों के बीच घमासान लड़ाई हुई।
इसमें काफी सैनिक व अन्य लोग मारे गए। उन्हें टॉवर के पीछे बहने वाली झील में मारकर फेंक दिया गया था। इतने शवों के फेंके जाने के कारण झील का पानी लाल हो गया, इसलिए इसे खूनी झील भी कहा जाता है। बताया जाता है कि फ्लैग स्टाफ टॉवर ब्रिटिश भारतीय सेना द्वारा बनाई गई इमारत थी। अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा करने के लिए इसे अपनी छावनी बनाया था।
अंग्रेज सैनिकों ने भारतीय सेनानियों से बचने के लिए इस टॉवर में शरण ली थी। यह हिस्सा अब उत्तरी रिज का हिस्सा है। अब यह इमारत एएसआई संरक्षित हैं। डीयू के इस इलाके में म्यूटनी मेमोरियल भी स्थित है, जिसे अब अजीतगढ़ के नाम से जाना जाता है। वहीं, यहां अंग्रेजों की शिकारगाह (हंटिग लॉज) भी है।
2014 में कराई जाती थी हेरिटेज वॉक
लंबे समय तक डीयू अर्काइव से जुड़ी रहीं डॉ अमृत कौर बसरा बताती हैं कि डीयू स्थित इस इलाके में 2014 तक हेरिटेज वॉक कराई जाती थी ताकि छात्रों को यहां के इतिहास से परिचित कराया जा सके। यह जगह अब ऐतिहासिक टूरिज्म के लिए जानी जाती है। विदेशी छात्रों को भी यहां की यात्रा कराई गई है। अब डीयू की ओर से इस इलाके में हैरिटेज वॉक नहीं कराई जाती।
आज 60 वर्ष का हो जाएगा एसओएल
मएक मई को दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना के सौ साल पूरेे होने के बाद बृहस्पतिवार को स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग की स्थापना के 60 वर्ष पूरे हो जाएंगे। एसओएल डायमंड जुबली वर्ष के तहत पांच मई से विधिवत जश्न की शुरुआत होने जा रही है।
इस अवसर पर बृहस्पतिवार को डीयू के बहुद्देशीय हॉल में एक समारोह आयोजित किया जा रहा है। इसमें भारत की महिला हॉकी टीम की कप्तान सीता गोसाईं मुख्य अतिथि के रूप में व सम्मानित अतिथि के रुप में डीयू के कुलसचिव डॉ. विकास गुप्ता उपस्थित रहेंगे।
वर्ष 1962 में मुक्त विद्यालयीय संस्थान अस्तित्व में आया था। समारोह में बीते पांच साल के पहले, दूसरे व तीसरे स्थान पर रहे करीब 170 छात्रों को भी व एसओएल के सेवानिवृत्त करीब 250 स्टॉफ को भी सम्मानित किया जाएगा। डायमंड जुबली वर्ष का यह जश्न पूरे साल चलेगा।
इस दौरान कई सांस्कृतिक व खेल से जुड़ी गतिविधियां भी आयोजित की जाएंगी।
विस्तार
दिल्ली विश्वविद्यालय से 1857 के गदर की दर्दनाक यादें भी जुड़ी हैं। विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस के पास स्थित कमला नेहरू रिज में फ्लैग स्टाफ टॉवर इतिहास की कहानी समेटे हुए हैं।
इस टॉवर में 11 मई 1857 को भारतीय सेनानियों की घेराबंदी के दौरान कई अंग्रेज और उनके परिवार वालों ने शरण ली थी। आजादी के परवानों से बचने के लिए अंग्रेज टॉवर की ओर भागे थे। बताते हैं कि वे यहां कम से कम तीन महीने रहे। इसी दौरान भारतीय जांबाजों और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों के बीच घमासान लड़ाई हुई।
इसमें काफी सैनिक व अन्य लोग मारे गए। उन्हें टॉवर के पीछे बहने वाली झील में मारकर फेंक दिया गया था। इतने शवों के फेंके जाने के कारण झील का पानी लाल हो गया, इसलिए इसे खूनी झील भी कहा जाता है। बताया जाता है कि फ्लैग स्टाफ टॉवर ब्रिटिश भारतीय सेना द्वारा बनाई गई इमारत थी। अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा करने के लिए इसे अपनी छावनी बनाया था।
अंग्रेज सैनिकों ने भारतीय सेनानियों से बचने के लिए इस टॉवर में शरण ली थी। यह हिस्सा अब उत्तरी रिज का हिस्सा है। अब यह इमारत एएसआई संरक्षित हैं। डीयू के इस इलाके में म्यूटनी मेमोरियल भी स्थित है, जिसे अब अजीतगढ़ के नाम से जाना जाता है। वहीं, यहां अंग्रेजों की शिकारगाह (हंटिग लॉज) भी है।
2014 में कराई जाती थी हेरिटेज वॉक
लंबे समय तक डीयू अर्काइव से जुड़ी रहीं डॉ अमृत कौर बसरा बताती हैं कि डीयू स्थित इस इलाके में 2014 तक हेरिटेज वॉक कराई जाती थी ताकि छात्रों को यहां के इतिहास से परिचित कराया जा सके। यह जगह अब ऐतिहासिक टूरिज्म के लिए जानी जाती है। विदेशी छात्रों को भी यहां की यात्रा कराई गई है। अब डीयू की ओर से इस इलाके में हैरिटेज वॉक नहीं कराई जाती।
आज 60 वर्ष का हो जाएगा एसओएल
मएक मई को दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना के सौ साल पूरेे होने के बाद बृहस्पतिवार को स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग की स्थापना के 60 वर्ष पूरे हो जाएंगे। एसओएल डायमंड जुबली वर्ष के तहत पांच मई से विधिवत जश्न की शुरुआत होने जा रही है।
इस अवसर पर बृहस्पतिवार को डीयू के बहुद्देशीय हॉल में एक समारोह आयोजित किया जा रहा है। इसमें भारत की महिला हॉकी टीम की कप्तान सीता गोसाईं मुख्य अतिथि के रूप में व सम्मानित अतिथि के रुप में डीयू के कुलसचिव डॉ. विकास गुप्ता उपस्थित रहेंगे।
वर्ष 1962 में मुक्त विद्यालयीय संस्थान अस्तित्व में आया था। समारोह में बीते पांच साल के पहले, दूसरे व तीसरे स्थान पर रहे करीब 170 छात्रों को भी व एसओएल के सेवानिवृत्त करीब 250 स्टॉफ को भी सम्मानित किया जाएगा। डायमंड जुबली वर्ष का यह जश्न पूरे साल चलेगा।
इस दौरान कई सांस्कृतिक व खेल से जुड़ी गतिविधियां भी आयोजित की जाएंगी।