West Bengal: देश में महंगाई की मार इतनी बढ़ रही है कि अब स्कूली बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से पश्चिम बंगाल के स्कूलों में मिड डे मील परोसना भी मुश्किल हो रहा है। राज्य के विभिन्न जिलों के स्कूल अधिकारियों के अनुसार, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में लगातार हो रहे इजाफे के कारण पश्चिम बंगाल के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में छात्रों को मिड डे मील वितरित करना भी मुश्किल हो रहा है।
शिक्षक बोले- कई बार जेब से देना पड़ रहा खर्च
पुरबा मेदिनीपुर जिले के एक उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक आनंद हांडा ने एसोसिएशन की ओर से मीडिया से कहा कि महामारी का दौर समाप्त होने के बाद परिसरों के खुलने के बाद बड़ी संख्या में छात्र स्कूलों में आ रहे हैं जिसके कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। हांडा ने कहा हमें पहले के मुकाबले सप्ताह में एक दिन अंडा करी या उबला अंडा परोसने जैसे मेनू को हटाना होगा। हालांकि, कई स्कूल दाल, सोयाबीन, मिश्रित सब्जी, उबले आलू का आहार ही देना चाहते हैं क्योंकि वे बच्चों के स्वास्थ्य के मुद्दे पर समझौता नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि संकट की स्थिति में शिक्षकों को कई बार अपनी जेब से खर्च देना पड़ता है।
शिक्षकों ने रखी ये मांगें
शिक्षकों ने कह कि मिड डे मील योजना के नियमानुसार, एक बच्चे को रोज 150 ग्राम चावल तथा मासिक तौर पर तीन किलो प्रति माह आवंटन करने का प्रावधान है। यदि एक बच्चे के लिए प्रतिदिन 150 ग्राम चावल आवंटित किया जाता है, तो तीन किलो प्रति माह आवंटन कैसे होगा। यदि प्रतिदिन 150 ग्राम चावल एक बच्चे के लिए अपर्याप्त है, तो तीन किलो प्रति माह आवंटन बेहद कम है। इस हिसाब से शिक्षकों द्वारा हर बच्चे के लिए कम से कम 50 से 100 रुपये बजट बढ़ाने की मांग की गई है।
शिक्षा अधिकारियों ने नकारी समस्या
मिड डे मील उपलब्ध कराने को लेकर हो रही परेशानी के मुद्दे पर अधिकारी ने बताया कि राज्य में 1,15,82,658 छात्रों वाले 83,945 स्कूल हैं। इन्हें हर दिन मुफ्त मिड डे मील उपलब्ध कराया जाता है। हाल ही में दो महीने पहले स्कूल दो साल के ब्रेक के बाद फिर से शुरू हुए हैं। इसलिए योजना प्रभावित नहीं हो रही। उन्होंने आगे कहा कि पिछले दो वर्षों में, महामारी की वजह से, चावल, सोयाबीन, दाल के पैकेट सप्ताह के एक विशेष दिन पर संबंधित स्कूलों के छात्रों के द्वारा माता-पिता को भी वितरित किए जाते थे।
कक्षा में बच्चों की संख्या ज्यादा बताने को मजबूर शिक्षक
मालदा के एक स्कूल के शिक्षक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि हमें उपस्थित छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए मजबूर किया जाता है। मान लीजिए कि एक कक्षा में कुल 100 छात्र हैं और आमतौर पर 80 उपस्थित हैं। तो हमें बच्चों की संख्या के भोजन का कोटा 90 छात्र बताने के लिए मजबूर किया जाता हैं।
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West Bengal: देश में महंगाई की मार इतनी बढ़ रही है कि अब स्कूली बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से पश्चिम बंगाल के स्कूलों में मिड डे मील परोसना भी मुश्किल हो रहा है। राज्य के विभिन्न जिलों के स्कूल अधिकारियों के अनुसार, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में लगातार हो रहे इजाफे के कारण पश्चिम बंगाल के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में छात्रों को मिड डे मील वितरित करना भी मुश्किल हो रहा है।