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कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट: तथागत की धरा पर अतिथियों को उपहार में दिया जाएगा 'बुद्ध का महाप्रसाद'
अमर उजाला ब्यूरो, गोरखपुर।
Published by: vivek shukla
Updated Tue, 19 Oct 2021 01:00 PM IST
सार
कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह में अतिथियों कोकाला नमक चावल का गिफ्ट हैंपर दिया जाएगा। बता दें कि विलुप्त हो रहे धान की इस खास प्रजाति को ओडीओपी में लाकर प्रदेश सरकार ने संरक्षित किया है।
काला नमक चावल का गिफ्त हैंपर।
- फोटो : अमर उजाला।
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कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह में 20 अक्तूबर को तथागत बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली पर आ रहे बौद्ध अतिथियों को ‘बुद्ध का महाप्रसाद ’ कालानमक चावल उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ‘बुद्धा राइस’ की पैकिंग पर, ‘इस चावल की विशिष्ट महक हमेशा लोगों को मेरी (महात्मा बुद्ध की) याद दिलाएगी’ भी अंकित की गई है।
भगवान बुद्ध के जन्मस्थल क्षेत्र से जुड़े सिद्धार्थनगर जिले के विशिष्ट उत्पाद, स्वाद, सुगंध और पोषण के मामले में बेजोड़ कालानमक चावल को बुद्ध ने प्रसाद रूप में ग्रहण कर अपने शिष्यों को भी इससे तृप्त किया था। कालानमक धान की इस प्रजाति के संरक्षण और संवर्धन के लिए योगी सरकार ने महत्वाकांक्षी एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल कर वैश्विक पहचान दिलाई है। माना जा रहा कि देश-विदेश से आ रहे प्रमुख बौद्ध अनुयायियों और अन्य मेहमानों को गिफ्ट करने से इसकी ग्लोबल ब्रांडिंग और मजबूत होगी।
खास बात यह है कि बुद्ध का महाप्रसाद पूर्णिमा की तिथि को गिफ्ट किया जाएगा। पूर्णिमा की तिथि सनातन और बौद्ध मतावलंबियों के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। बौद्ध अनुयायी इस दिन विशेष पूजन में लीन रहते हैं। आश्विन पूर्णिमा की पावन तिथि (20 अक्तूबर) को कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इसी दिन पहली इंटरनेशनल फ्लाइट के रूप में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के विमान की लैंडिंग एवं टेकऑफ होगा। उनके साथ 25 सदस्यीय प्रतिनधिमंडल व 100 बौद्ध भिक्षु भी होंगे।
कई बौद्ध देशों के राजदूत भी एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे। समारोह ‘महात्मा बुद्ध का प्रसाद’ के रूप में प्रतिष्ठित एक जिला एक उत्पाद ‘कालानमक चावल’ की ब्रांडिंग का भी बड़ा अवसर होगा।
सरकार का साथ पाकर कालानमक चावल के संवर्धन को लेकर सक्रिय संस्था पीआरडीएफ के वैज्ञानिक डॉ रामचेत चौधरी कहते हैं कि इससे अकेले सिद्धार्थनगर ही नहीं बल्कि कालानमक धान के लिए भौगोलिक संपदा (जीआई) घोषित समान जलवायु वाले जनपदों गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, बस्ती, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा और श्रावस्ती के कालानमक की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध कराने का मंच भी बनेगा।
कालानमक धान की उपज को बढ़ाने, उसके प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे सिद्धार्थनगर का ओडीओपी घोषित किया है। सरकार 12 करोड़ रुपये की लागत से सीएफसी (कॉमन फैसिलिटी सेंटर ) भी बना रही है। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने कालानमक धान को सिद्धार्थनगर के साथ ही बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर और संतकबीरनगर का एक जिला एक उत्पाद घोषित किया है।
‘बुद्ध का महाप्रसाद’ प्रमुख बौद्ध देशों दक्षिण कोरिया, चीन, जापान, म्यांमार, कंबोडिया, मंगोलिया, वियतनाम, थाईलैंड, श्रीलंका, भूटान तक पहुंचाने में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अलावा अपर मुख्य सचिव डॉ. नवनीत सहगल भी लगे हैं। उनकी कोशिशों से कालानमक ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध है। कालानमक सिद्धार्थनगर और गोरखपुर जिले से सिंगापुर और नेपाल को एक्सपोर्ट किया जा रहा है।
कालानमक चावल का गौतम बुद्ध से ऐतिहासिक जुड़ाव
कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामचेत चौधरी के मुताबिक कालानमक धान सिद्धार्थनगर के बजहा गांव में गौतम बुद्ध के कालखंड से पैदा होता आ रहा। मान्यता है कि महात्मा बुद्ध ने हिरण्यवती नदी के तट पर इसी चावल की खीर ग्रहण कर उपवास तोड़ा था। खीर श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिया। भगवान बुद्ध ने कालानमक का दाना किसानों को देकर इसकी खेती करने की सलाह दी।
कालानमक का जिक्र चीनी यात्री फाह्यान के यात्रा वृत्तांत में भी मिलता है। यह चावल सुगंध, स्वाद और सेहत से भरपूर है। सिद्धार्थनगर का बर्डपुर ब्लॉक इसका गढ़ है। एक समय तक इसकी खेती का रकबा 10 हजार हेक्टेयर से भी कम रह गया था, लेकिन राज्य सरकार के प्रयासों से यह बढ़कर 50 हजार हेक्टेयर से अधिक हो गया है।
विस्तार
कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह में 20 अक्तूबर को तथागत बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली पर आ रहे बौद्ध अतिथियों को ‘बुद्ध का महाप्रसाद ’ कालानमक चावल उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ‘बुद्धा राइस’ की पैकिंग पर, ‘इस चावल की विशिष्ट महक हमेशा लोगों को मेरी (महात्मा बुद्ध की) याद दिलाएगी’ भी अंकित की गई है।
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भगवान बुद्ध के जन्मस्थल क्षेत्र से जुड़े सिद्धार्थनगर जिले के विशिष्ट उत्पाद, स्वाद, सुगंध और पोषण के मामले में बेजोड़ कालानमक चावल को बुद्ध ने प्रसाद रूप में ग्रहण कर अपने शिष्यों को भी इससे तृप्त किया था। कालानमक धान की इस प्रजाति के संरक्षण और संवर्धन के लिए योगी सरकार ने महत्वाकांक्षी एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल कर वैश्विक पहचान दिलाई है। माना जा रहा कि देश-विदेश से आ रहे प्रमुख बौद्ध अनुयायियों और अन्य मेहमानों को गिफ्ट करने से इसकी ग्लोबल ब्रांडिंग और मजबूत होगी।
खास बात यह है कि बुद्ध का महाप्रसाद पूर्णिमा की तिथि को गिफ्ट किया जाएगा। पूर्णिमा की तिथि सनातन और बौद्ध मतावलंबियों के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। बौद्ध अनुयायी इस दिन विशेष पूजन में लीन रहते हैं। आश्विन पूर्णिमा की पावन तिथि (20 अक्तूबर) को कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इसी दिन पहली इंटरनेशनल फ्लाइट के रूप में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के विमान की लैंडिंग एवं टेकऑफ होगा। उनके साथ 25 सदस्यीय प्रतिनधिमंडल व 100 बौद्ध भिक्षु भी होंगे।
कई बौद्ध देशों के राजदूत भी एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे। समारोह ‘महात्मा बुद्ध का प्रसाद’ के रूप में प्रतिष्ठित एक जिला एक उत्पाद ‘कालानमक चावल’ की ब्रांडिंग का भी बड़ा अवसर होगा।
सरकार का साथ पाकर कालानमक चावल के संवर्धन को लेकर सक्रिय संस्था पीआरडीएफ के वैज्ञानिक डॉ रामचेत चौधरी कहते हैं कि इससे अकेले सिद्धार्थनगर ही नहीं बल्कि कालानमक धान के लिए भौगोलिक संपदा (जीआई) घोषित समान जलवायु वाले जनपदों गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, बस्ती, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा और श्रावस्ती के कालानमक की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध कराने का मंच भी बनेगा।
सिद्धार्थनगर में बन रही 12 करोड़ से सीएफसी
कालानमक धान की उपज को बढ़ाने, उसके प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे सिद्धार्थनगर का ओडीओपी घोषित किया है। सरकार 12 करोड़ रुपये की लागत से सीएफसी (कॉमन फैसिलिटी सेंटर ) भी बना रही है। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने कालानमक धान को सिद्धार्थनगर के साथ ही बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर और संतकबीरनगर का एक जिला एक उत्पाद घोषित किया है।
‘बुद्ध का महाप्रसाद’ प्रमुख बौद्ध देशों दक्षिण कोरिया, चीन, जापान, म्यांमार, कंबोडिया, मंगोलिया, वियतनाम, थाईलैंड, श्रीलंका, भूटान तक पहुंचाने में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अलावा अपर मुख्य सचिव डॉ. नवनीत सहगल भी लगे हैं। उनकी कोशिशों से कालानमक ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध है। कालानमक सिद्धार्थनगर और गोरखपुर जिले से सिंगापुर और नेपाल को एक्सपोर्ट किया जा रहा है।
कालानमक चावल का गौतम बुद्ध से ऐतिहासिक जुड़ाव
कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामचेत चौधरी के मुताबिक कालानमक धान सिद्धार्थनगर के बजहा गांव में गौतम बुद्ध के कालखंड से पैदा होता आ रहा। मान्यता है कि महात्मा बुद्ध ने हिरण्यवती नदी के तट पर इसी चावल की खीर ग्रहण कर उपवास तोड़ा था। खीर श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिया। भगवान बुद्ध ने कालानमक का दाना किसानों को देकर इसकी खेती करने की सलाह दी।
कालानमक का जिक्र चीनी यात्री फाह्यान के यात्रा वृत्तांत में भी मिलता है। यह चावल सुगंध, स्वाद और सेहत से भरपूर है। सिद्धार्थनगर का बर्डपुर ब्लॉक इसका गढ़ है। एक समय तक इसकी खेती का रकबा 10 हजार हेक्टेयर से भी कम रह गया था, लेकिन राज्य सरकार के प्रयासों से यह बढ़कर 50 हजार हेक्टेयर से अधिक हो गया है।
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