उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के पब्लिक स्कूलों में हिंदी के शिक्षक भाषा की गरिमा को बढ़ाने के साथ ही बच्चों को इस पर गर्व करने के लिए प्रेरित करते हैं। यही वजह है कि बोर्ड परीक्षाओं में भी विद्यार्थियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
भाषा और संस्कृति के बिना नहीं होगा विकास
आरपीएम एकेडमी की डॉ. शिखा सिंह ने बताया कि हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल में पढ़े, मगर यह समझने की जरूरत है कि अपनी भाषा और संस्कृति को छोड़कर हम कभी विकास नहीं कर सकते हैं। हिंदी भाषा के प्रति बच्चों की रुचि जागृत करने के लिए काव्य गोष्ठी, वाद-विवाद, भाषण प्रतियोगिताओं के माध्यम से हिंदी के प्रति अलख जगाते हैं।
सीखने की क्षमता के मुताबिक बच्चों को पढ़ाती हूं
सेंट जोसेफ स्कूल खोराबार की साधना पांडेय ने बताया कि कक्षा में हिंदी भाषा में बातचीत पर जोर दिया जाता है। भाषा में किसी गलती को तुरंत सुधारा जाता है। स्कूल प्रबंधन से भी हर संभव मदद मिलती है। हिंदी भाषा बेहद सरल और सहज है। इसकी लिपि सर्वाधिक वैज्ञानिक है। बच्चों के स्तर और उनकी क्षमता के मुताबिक उन्हें समझाने का प्रयास किया जाता है।
एबीसी पब्लिक स्कूल के अरुण कुमार ने बताया कि हिंदी भाषा पिछड़ेपन की निशानी नहीं है। तकनीक से लेकर सरकारी कामकाज और उच्च शिक्षा को हिंदी भाषा में लागू करने की जरूरत है। कक्षा में बच्चों को विषय की गहराई और उसकी हमारी संस्कृति से लगाव से जोड़कर पढ़ाता हूं। इससे बच्चों के अंदर मातृभाषा के प्रति सम्मान का भाव पैदा होता है।
समाज को जोड़ने का काम करती है भाषा
आर्मी पब्लिक स्कूल के बीके राय ने बताया कि भाषा समाज को जोड़ने का काम करती है। इसका विस्तार लोगों से ही होता है। विश्व की तीन हजार भाषाओं में हिंदी को उच्च स्थान प्राप्त है। कक्षा में हिंदी भाषा के उज्ज्वल स्वरूप को बताया जाता है। इसकी गुणवत्ता, शिल्प कौशल और सौंदर्य पर ध्यान देता हूं, जो बच्चों को बेहद रास आता है।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के पब्लिक स्कूलों में हिंदी के शिक्षक भाषा की गरिमा को बढ़ाने के साथ ही बच्चों को इस पर गर्व करने के लिए प्रेरित करते हैं। यही वजह है कि बोर्ड परीक्षाओं में भी विद्यार्थियों ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
भाषा और संस्कृति के बिना नहीं होगा विकास
आरपीएम एकेडमी की डॉ. शिखा सिंह ने बताया कि हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल में पढ़े, मगर यह समझने की जरूरत है कि अपनी भाषा और संस्कृति को छोड़कर हम कभी विकास नहीं कर सकते हैं। हिंदी भाषा के प्रति बच्चों की रुचि जागृत करने के लिए काव्य गोष्ठी, वाद-विवाद, भाषण प्रतियोगिताओं के माध्यम से हिंदी के प्रति अलख जगाते हैं।
सीखने की क्षमता के मुताबिक बच्चों को पढ़ाती हूं
सेंट जोसेफ स्कूल खोराबार की साधना पांडेय ने बताया कि कक्षा में हिंदी भाषा में बातचीत पर जोर दिया जाता है। भाषा में किसी गलती को तुरंत सुधारा जाता है। स्कूल प्रबंधन से भी हर संभव मदद मिलती है। हिंदी भाषा बेहद सरल और सहज है। इसकी लिपि सर्वाधिक वैज्ञानिक है। बच्चों के स्तर और उनकी क्षमता के मुताबिक उन्हें समझाने का प्रयास किया जाता है।