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ट्रेन के सामने कूदकर दी जान: पत्नी के गहने गिरवी रख दिए रुपये उधार, मांगने पर मिलने लगी थी धमकी; उठाया ये कदम

संवाद न्यूज एजेंसी, जंगल कौड़िया Published by: गोरखपुर ब्यूरो Updated Tue, 02 Dec 2025 01:39 PM IST
सार

आलोक चार भाइयों में सबसे छोटे थे। तीनों बड़े भाई आरपीएफ में तैनात हैं। पिता सरकारी शिक्षक रह चुके हैं। करीब पांच वर्ष पहले आलोक की शादी हुई थी, लेकिन अभी संतान नहीं थी। शांत और मिलनसार व्यवहार के कारण वह गांव में सभी के प्रिय थे।

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Troubled by financial loss in contracting, a young man committed suicide by jumping in front of a train.
आलोक की फाइल फोटो
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विस्तार
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आर्थिक तंगी और मानसिक प्रताड़ना से परेशान एक युवक ने चिलुआताल थाना क्षेत्र के महुआतर रेलवे क्रॉसिंग के पास रविवार शाम ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। मृतक के भाई की तहरीर पर पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने समेत गंभीर धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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मृतक की पहचान चिलुआताल इलाके के ग्राम बिशुनपुर टोला मारवाड़ी कोठी निवासी आलोक कुमार (30) के रूप में हुई। पुलिस ने साथ में ठेकेदारी करने वाले शिवकांत चौधरी, ऋषभ सिंह और चंदन सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
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पिता परिजात के अनुसार, आलोक कई वर्षों से शिवकांत चौधरी, ऋषभ सिंह और चंदन सिंह के साथ अंडरग्राउंड पाइप-नाली एवं इंटरलॉकिंग की ठेकेदारी करता था। काम के दौरान जरूरत पड़ने पर आलोक ने पत्नी के गहने गिरवी रखकर पांच लाख रुपये शिवकांत चौधरी को उधार दिए थे।

आरोप है कि उधार दिए रुपये वापस मांगने पर तीनों आरोपियों ने उन्हें धमकाना और मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।

परिजनों का कहना है कि लगातार हो रही प्रताड़ना के चलते आलोक पिछले कई महीनों से तनाव में थे। रविवार शाम आलोक ने सुसाइड नोट लिखकर महुआतर रेलवे क्रॉसिंग के पास ट्रेन के सामने कूदकर खुदकुशी कर ली। सूचना पाकर चिलुआताल पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। सोमवार को अंतिम संस्कार किया गया।

थाना प्रभारी सूरज सिंह ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। मामले की जांच की जा रही है।

शिक्षक नहीं बन पाए तो ठेकेदारी करने लगे आलोक
आलोक ने 2015 में बीएड किया था और शिक्षक बनने की तैयारी भी की, लेकिन सफलता न मिलने पर ठेकेदारी को रोजगार बना लिया। शुरुआत में काम ठीक चला, पर पिछले एक साल से भुगतान नहीं होने और उधार दिए रुपये वापस न मिलने से आर्थिक स्थिति बिगड़ गई।

आलोक चार भाइयों में सबसे छोटे थे। तीनों बड़े भाई आरपीएफ में तैनात हैं। पिता सरकारी शिक्षक रह चुके हैं। करीब पांच वर्ष पहले आलोक की शादी हुई थी, लेकिन अभी संतान नहीं थी। शांत और मिलनसार व्यवहार के कारण वह गांव में सभी के प्रिय थे।

धमकी या प्रताड़ना का कोई मामला हो तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। जीवन बहुमूल्य है। आत्महत्या का विचार मन में आने न दें: अनुराग सिंह, सीओ कैंपियरगंज
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