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बिना मंजूर काडर पद पर एडिशनल व डिप्टी कमिश्नरों की नियुक्ति, जवाब दे सरकार : हाईकोर्ट
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-2015 से अभी तक करोड़ों रुपये का मनमानी के जरिए भुगतान करने का आरोप
-हरियाणा में मौजूद दो म्यूनिसिपल एक्ट को अब एक में बदलने की सरकारी की तैयारी
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा की विभिन्न म्यूनिसिपल बॉडी में एडिशनल और डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नरों का काडर पद न होने के बावजूद इन पर नियुक्ति करने को जनता के पैसे का दुरुपयोग बताते हुए दाखिल जनहित याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। सुनवाई में सरकार ने बताया कि प्रदेश में मौजूद एमसी के 1973 और 1994 के एक्ट को मर्ज करके अब एक एक्ट बनाने की तैयारी की जा रही है।
यमुनानगर निवासी श्याम सुंदर शर्मा ने हाईकोर्ट को बताया कि किसी भी नियुक्ति के लिए स्वीकृत काडर पद होना अनिवार्य होता है। हरियाणा म्यूनिसिपल एक्ट के अनुसार हरियाणा में म्यूनिसिपल बॉडी में एडिशनल और डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर काडर का कोई मंजूर पद नहीं है। मंजूर पद के अभाव में इन पर नियुक्ति करना सीधे तौर पर जनता के पैसे का दुरुपयोग है। कोर्ट को बताया गया कि प्रमोशन के नाम पर इन पदों को भरकर हर महीने करीब 2 लाख रुपये के वेतन का भुगतान किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा ताे सरकार ने बताया कि इन पदों को भरने के लिए ड्राफ्ट नियम तैयार किए गए थे। इन नियमों को किसी तरह से अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था। हालांकि इन पदों को भरने के लिए आवश्यक मंजूरियां ली जा चुकी थीं। सरकार से हाईकोर्ट ने पूछा कि यह अंतिम रूप देने की प्रक्रिया कितना समय लेगी। सरकार ने कहा कि उन्हें मोहलत दी जाए। हाईकोर्ट ने दो माह की मोहलत देते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
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चंडीगढ़। हरियाणा की विभिन्न म्यूनिसिपल बॉडी में एडिशनल और डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नरों का काडर पद न होने के बावजूद इन पर नियुक्ति करने को जनता के पैसे का दुरुपयोग बताते हुए दाखिल जनहित याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। सुनवाई में सरकार ने बताया कि प्रदेश में मौजूद एमसी के 1973 और 1994 के एक्ट को मर्ज करके अब एक एक्ट बनाने की तैयारी की जा रही है।
यमुनानगर निवासी श्याम सुंदर शर्मा ने हाईकोर्ट को बताया कि किसी भी नियुक्ति के लिए स्वीकृत काडर पद होना अनिवार्य होता है। हरियाणा म्यूनिसिपल एक्ट के अनुसार हरियाणा में म्यूनिसिपल बॉडी में एडिशनल और डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर काडर का कोई मंजूर पद नहीं है। मंजूर पद के अभाव में इन पर नियुक्ति करना सीधे तौर पर जनता के पैसे का दुरुपयोग है। कोर्ट को बताया गया कि प्रमोशन के नाम पर इन पदों को भरकर हर महीने करीब 2 लाख रुपये के वेतन का भुगतान किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा ताे सरकार ने बताया कि इन पदों को भरने के लिए ड्राफ्ट नियम तैयार किए गए थे। इन नियमों को किसी तरह से अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था। हालांकि इन पदों को भरने के लिए आवश्यक मंजूरियां ली जा चुकी थीं। सरकार से हाईकोर्ट ने पूछा कि यह अंतिम रूप देने की प्रक्रिया कितना समय लेगी। सरकार ने कहा कि उन्हें मोहलत दी जाए। हाईकोर्ट ने दो माह की मोहलत देते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
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