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Chandigarh-Haryana News: सहकारिता से खुले स्वरोजगार के द्वार, 25 हजार महिलाएं दूध की आपूर्ति से बनीं सशक्त
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दूध से बदली किस्मत : 25 हजार महिलाएं बनीं सहकारिता की ताकत
प्रदेश में 3300 दुग्ध सहकारी समितियां सक्रिय, 1870 समूहों की कमान महिलाओं के हाथ में; छह वीटा मिल्क प्लांट तक 75 हजार लोग कर रहे आपूर्ति
अरुण शर्मा
चंडीगढ़। हरियाणा में सहकारिता विभाग ने ग्रामीण परिवारों के आर्थिक हालात बदलने की सबसे मजबूत राह खोल दी है। खासकर महिलाओं के लिए यह मॉडल आत्मनिर्भरता का सबसे सफल उदाहरण बन गया है। हरियाणा डेयरी डेवलपमेंट को-ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड (एचडीडीसीएफ) के छह वीटा मिल्क प्लांट तक आज 75 हजार महिला-पुरुष नियमित रूप से दूध की आपूर्ति कर रहे हैं। इनमें लगभग 25 हजार महिलाएं हैं जो घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ आर्थिक मजबूती की पहचान बन चुकी हैं। राज्य में 3300 दुग्ध सहकारी समितियां सक्रिय हैं, जिनमें 1870 समूहों का संचालन केवल महिलाएं कर रही हैं।
महिलाओं ने थामा नेतृत्व, डेयरी से बदली जिंदगी
फेडरेशन के अनुसार, प्रदेशभर में करीब 3000 गांव इन दुग्ध समितियों से जुड़े हुए हैं। इन समितियों में कुल ढाई लाख सदस्य पंजीकृत हैं, जिनमें से 75 हजार सदस्य प्रतिदिन दूध आपूर्ति करते हैं। जींद, अंबाला, रोहतक, बल्लभगढ़, सिरसा और कुरुक्षेत्र स्थित वीटा प्लांट 9.45 लाख लीटर प्रतिदिन प्रसंस्करण क्षमता वाले हैं। सर्दी में औसतन 8.50 लाख लीटर और गर्मियों में 4 लाख लीटर दूध की सप्लाई इन समितियों से होती है।
फेडरेशन के चेयरमैन डॉ. रामअवतार गर्ग का कहना है कि सरकार की ओर से दूध आपूर्ति करने वाले पशुपालकों को समय पर भुगतान, अनुदान और अन्य प्रोत्साहन योजनाएं दी जा रही हैं। इससे गांवों में रोजगार, आय और सामाजिक सशक्तिकरण की नई राह बनी है।
एक भैंस से की शुरुआत, आज 8 भैंसों की डेयरी यूनिट
जींद के अमरहेड़ी गांव की सोनिया बताती हैं कि उन्होंने 2007 में एक भैंस से शुरुआत की थी। सहकारी समिति और वीटा से जुड़ने का सबसे बड़ा लाभ समय पर भुगतान है। समिति में 80 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले बच्चों को छात्रवृत्ति और बेटियों के जन्म पर 11 हजार रुपये तक फिक्स डिपाॅजिट जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं। सोनिया कहती हैं, आज हमारे पास 8 भैंसें हैं और पूरा परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है। इसी तरह अंबाला के गणेशपुर की बलविंदर कौर और जींद की सुमन देवी बताती हैं कि डेयरी से जुड़ने के बाद उनके परिवारों की आमदनी स्थायी हुई है और वे आत्मनिर्भर बन पाई हैं।
अनुदान, बीमा और पारदर्शी भुगतान सीधे लाभ पशुपालकों को
मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन योजना के तहत दूध की आपूर्ति करने वालों को 3 से 10 रुपये प्रति लीटर तक का अनुदान सीधे खातों में भेजा जाता है। दुर्घटना बीमा योजना सहित अन्य लाभ भी दिए जाते हैं।
पिछले वर्ष प्रतिदिन 5 लाख लीटर औसत मूल्य निर्धारित रहा और वर्षभर में 18.50 करोड़ लीटर दूध समितियों के माध्यम से प्लांट तक पहुंचा। इस पर समितियों को 8.78 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ। प्लांटों तक पहुंचा दूध दूध उत्पादों के निर्माण में उपयोग होता है और विद्यालयों में मिड-डे मील के लिए भी सप्लाई की जाती है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में यह सहकारिता मॉडल एक मजबूत स्तंभ बन चुका है।
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प्रदेश में 3300 दुग्ध सहकारी समितियां सक्रिय, 1870 समूहों की कमान महिलाओं के हाथ में
अरुण शर्मा
चंडीगढ़। हरियाणा में सहकारिता विभाग ने ग्रामीण परिवारों के आर्थिक हालात बदलने की सबसे मजबूत राह खोल दी है। खासकर महिलाओं के लिए यह मॉडल आत्मनिर्भरता का सबसे सफल उदाहरण बन गया है। हरियाणा डेयरी डेवलपमेंट को-ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड (एचडीडीसीएफ) के छह वीटा मिल्क प्लांट तक आज 75 हजार महिला-पुरुष नियमित रूप से दूध की आपूर्ति कर रहे हैं। इनमें लगभग 25 हजार महिलाएं हैं जो घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ आर्थिक मजबूती की पहचान बन चुकी हैं। राज्य में 3300 दुग्ध सहकारी समितियां सक्रिय हैं, जिनमें 1870 समूहों का संचालन केवल महिलाएं कर रही हैं।
महिलाओं ने थामा नेतृत्व, डेयरी से बदली जिंदगी
फेडरेशन के अनुसार, प्रदेशभर में करीब 3000 गांव इन दुग्ध समितियों से जुड़े हुए हैं। इन समितियों में कुल ढाई लाख सदस्य पंजीकृत हैं, जिनमें से 75 हजार सदस्य प्रतिदिन दूध आपूर्ति करते हैं। जींद, अंबाला, रोहतक, बल्लभगढ़, सिरसा और कुरुक्षेत्र स्थित वीटा प्लांट 9.45 लाख लीटर प्रतिदिन प्रसंस्करण क्षमता वाले हैं। सर्दी में औसतन 8.50 लाख लीटर और गर्मियों में 4 लाख लीटर दूध की सप्लाई इन समितियों से होती है।
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फेडरेशन के चेयरमैन डॉ. रामअवतार गर्ग का कहना है कि सरकार की ओर से दूध आपूर्ति करने वाले पशुपालकों को समय पर भुगतान, अनुदान और अन्य प्रोत्साहन योजनाएं दी जा रही हैं। इससे गांवों में रोजगार, आय और सामाजिक सशक्तिकरण की नई राह बनी है।
एक भैंस से की शुरुआत, आज 8 भैंसों की डेयरी यूनिट
जींद के अमरहेड़ी गांव की सोनिया बताती हैं कि उन्होंने 2007 में एक भैंस से शुरुआत की थी। सहकारी समिति और वीटा से जुड़ने का सबसे बड़ा लाभ समय पर भुगतान है। समिति में 80 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले बच्चों को छात्रवृत्ति और बेटियों के जन्म पर 11 हजार रुपये तक फिक्स डिपाॅजिट जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं। सोनिया कहती हैं, आज हमारे पास 8 भैंसें हैं और पूरा परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है। इसी तरह अंबाला के गणेशपुर की बलविंदर कौर और जींद की सुमन देवी बताती हैं कि डेयरी से जुड़ने के बाद उनके परिवारों की आमदनी स्थायी हुई है और वे आत्मनिर्भर बन पाई हैं।
अनुदान, बीमा और पारदर्शी भुगतान सीधे लाभ पशुपालकों को
मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन योजना के तहत दूध की आपूर्ति करने वालों को 3 से 10 रुपये प्रति लीटर तक का अनुदान सीधे खातों में भेजा जाता है। दुर्घटना बीमा योजना सहित अन्य लाभ भी दिए जाते हैं।
पिछले वर्ष प्रतिदिन 5 लाख लीटर औसत मूल्य निर्धारित रहा और वर्षभर में 18.50 करोड़ लीटर दूध समितियों के माध्यम से प्लांट तक पहुंचा। इस पर समितियों को 8.78 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ। प्लांटों तक पहुंचा दूध दूध उत्पादों के निर्माण में उपयोग होता है और विद्यालयों में मिड-डे मील के लिए भी सप्लाई की जाती है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में यह सहकारिता मॉडल एक मजबूत स्तंभ बन चुका है।