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Chandigarh-Haryana News: कई जिलों में 5 माह से एक भी रैड नहीं, स्लम बस्तियों में नवजात पंजीकरण गड़बड़
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- बैठक में स्वास्थ्य सचिव ने सुधार के लिए अधिकारियों को दी कड़ी चेतावनी
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। प्रदेश के कई जिलों में पिछले 4-5 माह से अवैध एमटीपी (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी) और पीएनडीटी (प्री-कॉन्सेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स) की जांच के लिए एक भी रैड नहीं की गई। बैठक में स्लम बस्तियों में विशेष कैंप लगाकर नवजात बच्चों का जन्म पंजीकरण व्यवस्थित न करने पर गहरी नाराजगी जताई है। वर्तमान में प्रदेश में लिंगानुपात 914 दर्ज किया गया जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 905 था। साल के अंत तक लिंगानुपात 920 तक पहुंचाने का लक्ष्य है। लिंगानुपात पर निगरानी रखने के लिए गठित स्पेशल टास्क फोर्स की सोमवार को चंडीगढ़ स्थित हरियाणा सचिवालय में अहम बैठक हुई।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए स्वास्थ्य विभाग के सचिव और नेशनल हेल्थ मिशन हरियाणा के मिशन डायरेक्टर रिपुदमन सिंह ढिल्लो ने प्रदेश के सभी सिविल सर्जनों को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने लापरवाही वाले जिलों में अधिकारियों को तत्काल रैड करने और सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए है। साथ ही निर्देश दिए कि संबंधित अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में तेजी लाएं और लिंगानुपात के लक्ष्य को हासिल करें। ढिल्लो ने लिंगानुपात में पिछड़ने वाले जिलों के सिविल सर्जन, नोडल अधिकारी और पुलिस विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि अवैध एमटीपी और पीएनडीटी के मामलों पर कड़ी नजर रखें और दोषियों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई करें।
तीन साल के कोर्ट केसों का ब्योरा मांगा
ढिल्लो ने कहा कि एफआईआर दर्ज करते समय सभी पहलुओं को ध्यान में रखें ताकि सबूतों की कमी के कारण दोषी कोर्ट से बच न पाए। किसी मामले में दोषी निचली अदालत से छूट गया है तो उस केस की अपील ऊपरी अदालत में अवश्य की जाए। पिछले तीन सालों के कोर्ट केसों का ब्योरा मांगा गया है ताकि यह पता चल सके कि चालान समय पर पेश हो रहे हैं या नहीं। ढिल्लो ने जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे पर पूरी तरह अमल करते हुए प्रदेश में कन्या भ्रूण हत्या पर पूर्ण रोक लगानी है और लिंगानुपात को समान स्तर तक लाना है।
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अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। प्रदेश के कई जिलों में पिछले 4-5 माह से अवैध एमटीपी (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी) और पीएनडीटी (प्री-कॉन्सेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स) की जांच के लिए एक भी रैड नहीं की गई। बैठक में स्लम बस्तियों में विशेष कैंप लगाकर नवजात बच्चों का जन्म पंजीकरण व्यवस्थित न करने पर गहरी नाराजगी जताई है। वर्तमान में प्रदेश में लिंगानुपात 914 दर्ज किया गया जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 905 था। साल के अंत तक लिंगानुपात 920 तक पहुंचाने का लक्ष्य है। लिंगानुपात पर निगरानी रखने के लिए गठित स्पेशल टास्क फोर्स की सोमवार को चंडीगढ़ स्थित हरियाणा सचिवालय में अहम बैठक हुई।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए स्वास्थ्य विभाग के सचिव और नेशनल हेल्थ मिशन हरियाणा के मिशन डायरेक्टर रिपुदमन सिंह ढिल्लो ने प्रदेश के सभी सिविल सर्जनों को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने लापरवाही वाले जिलों में अधिकारियों को तत्काल रैड करने और सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए है। साथ ही निर्देश दिए कि संबंधित अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में तेजी लाएं और लिंगानुपात के लक्ष्य को हासिल करें। ढिल्लो ने लिंगानुपात में पिछड़ने वाले जिलों के सिविल सर्जन, नोडल अधिकारी और पुलिस विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि अवैध एमटीपी और पीएनडीटी के मामलों पर कड़ी नजर रखें और दोषियों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई करें।
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तीन साल के कोर्ट केसों का ब्योरा मांगा
ढिल्लो ने कहा कि एफआईआर दर्ज करते समय सभी पहलुओं को ध्यान में रखें ताकि सबूतों की कमी के कारण दोषी कोर्ट से बच न पाए। किसी मामले में दोषी निचली अदालत से छूट गया है तो उस केस की अपील ऊपरी अदालत में अवश्य की जाए। पिछले तीन सालों के कोर्ट केसों का ब्योरा मांगा गया है ताकि यह पता चल सके कि चालान समय पर पेश हो रहे हैं या नहीं। ढिल्लो ने जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे पर पूरी तरह अमल करते हुए प्रदेश में कन्या भ्रूण हत्या पर पूर्ण रोक लगानी है और लिंगानुपात को समान स्तर तक लाना है।