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Chandigarh-Haryana News: अब बोर्ड-निगमों के एनपीएस कर्मचारियों को भी रिटायरमेंट व डेथ ग्रेच्युटी का लाभ
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अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। प्रदेश सरकार ने एक जनवरी 2006 के बाद सेवा में आए और न्यू डिफाइंड कॉन्ट्रिब्यूटरी पेंशन स्कीम (एनपीएस) के तहत आने वाले बोर्डों, निगमों, कंपनियों और सहकारी संस्थाओं के कर्मचारियों को भी मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपादान (डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी) का लाभ देने का निर्णय लिया है।
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की तरफ से राज्य के सभी बोर्डों, निगमों, कंपनियों और सहकारी संस्थाओं के प्रबंध निदेशकों, मुख्य प्रशासकों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को इसके लिए एक पत्र जारी किया गया है। पत्र में वित्त विभाग के 19 जनवरी 2017 के निर्देशों का हवाला देते हुए बताया गया है कि एनपीएस के तहत आने वाले राज्य सरकार के कर्मचारी उसी तरह रिटायरमेंट ग्रेच्युटी व डेथ ग्रेच्युटी प्राप्त करने के पात्र होंगे जिस तरह सीएसआर वॉल्यूम-2 के तहत कर्मचारी पात्र हैं। सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि मामलों की पूरी जांच और सत्यापन के बाद ही रिटायरमेंट व मृत्यु अनुदान प्रदान किया जाए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि अनुदान देने से बढ़ने वाला खर्च संबंधित बोर्ड, निगम या संस्था को अपने संसाधनों से वहन करना होगा।
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चंडीगढ़। प्रदेश सरकार ने एक जनवरी 2006 के बाद सेवा में आए और न्यू डिफाइंड कॉन्ट्रिब्यूटरी पेंशन स्कीम (एनपीएस) के तहत आने वाले बोर्डों, निगमों, कंपनियों और सहकारी संस्थाओं के कर्मचारियों को भी मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति उपादान (डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी) का लाभ देने का निर्णय लिया है।
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की तरफ से राज्य के सभी बोर्डों, निगमों, कंपनियों और सहकारी संस्थाओं के प्रबंध निदेशकों, मुख्य प्रशासकों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को इसके लिए एक पत्र जारी किया गया है। पत्र में वित्त विभाग के 19 जनवरी 2017 के निर्देशों का हवाला देते हुए बताया गया है कि एनपीएस के तहत आने वाले राज्य सरकार के कर्मचारी उसी तरह रिटायरमेंट ग्रेच्युटी व डेथ ग्रेच्युटी प्राप्त करने के पात्र होंगे जिस तरह सीएसआर वॉल्यूम-2 के तहत कर्मचारी पात्र हैं। सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि मामलों की पूरी जांच और सत्यापन के बाद ही रिटायरमेंट व मृत्यु अनुदान प्रदान किया जाए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि अनुदान देने से बढ़ने वाला खर्च संबंधित बोर्ड, निगम या संस्था को अपने संसाधनों से वहन करना होगा।
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