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Fatehabad News: पहली बार एक दिन में 30 पेपरलेस रजिस्ट्री
संवाद न्यूज एजेंसी, फतेहाबाद
Updated Mon, 01 Dec 2025 11:57 PM IST
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फतेहाबाद के ई-दिशा केंद्र में रजिस्ट्री संबंधित कार्य के लिए बैठे लोग। संवाद
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फतेहाबाद। राजस्व विभाग की ओर से शुरू की गई पेपरलेस रजिस्ट्री प्रक्रिया, जिसका उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और आमजन को सहूलियत देना था, लेकिन जागरूकता के अभाव और शुरुआती तकनीकी दिक्कतों के चलते एक माह के बाद रफ्तार पकड़ने लगी है।
नई प्रणाली लागू होने के बाद तहसीलों में होने वाली रजिस्ट्रियां की संख्या में भारी कमी आई थी, जिससे सरकार को रोजाना राजस्व का नुकसान हो रहा था। पहले एक दिन में औसतन 50 से 60 रजिस्ट्रियां होती थीं, वहीं पेपरलेस प्रक्रिया लागू होने के बाद यह संख्या काफी घट गई है। शुरुआत के हर रोज सिर्फ तीन ही रजिस्ट्रियां हो रही थी, सोमवार को करीब 30 हुई है। नवंबर माह में कुल 340 रजिस्ट्रियां हो पाई हैं।
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अभी जागरूकता का अभाव, डीड राइटरों पर निर्भरता
रजिस्ट्रियों की संख्या में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है, लेकिन अभी भी आमजन में ऑनलाइन प्रक्रिया को लेकर जागरूकता का अभाव है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग जटिलताओं को पूरी तरह समझ नहीं पा रहे हैं। इस कारण वे अभी भी पुराने डीड राइटरों के चक्कर में फंस रहे हैं, जो खुद भी नई तकनीक को पूरी तरह समझने में लगे हैं। लोगों को लगता है कि ऑनलाइन आवेदन के लिए उन्हें डीड राइटर की मदद की जरूरत है, जिससे वे बिचौलियों पर निर्भर हो जाते हैं।
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तकनीकी खामियां हो रही दूर
शुरुआत में पोर्टल पर कई तरह की तकनीकी खामियां भी सामने आईं थी, जिसने लोगों की परेशानी को और बढ़ा दिया। जैसे दस्तावेज अपलोड करने की सीमित क्षमता (10 एमबी) भी एक बड़ी समस्या थी। हालांकि, राजस्व विभाग ने बाद में इन दिक्कतों को दूर करते हुए (50 एमबी) रिवर्ट विद ऑब्जेक्शन का विकल्प जोड़ा है, जिससे आवेदन खारिज होने पर दोबारा फीस नहीं देनी पड़ेगी, और फाइल अपलोड करने की क्षमता भी बढ़ाई गई है।
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नई प्रणाली लागू होने के बाद तहसीलों में होने वाली रजिस्ट्रियां की संख्या में भारी कमी आई थी, जिससे सरकार को रोजाना राजस्व का नुकसान हो रहा था। पहले एक दिन में औसतन 50 से 60 रजिस्ट्रियां होती थीं, वहीं पेपरलेस प्रक्रिया लागू होने के बाद यह संख्या काफी घट गई है। शुरुआत के हर रोज सिर्फ तीन ही रजिस्ट्रियां हो रही थी, सोमवार को करीब 30 हुई है। नवंबर माह में कुल 340 रजिस्ट्रियां हो पाई हैं।
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अभी जागरूकता का अभाव, डीड राइटरों पर निर्भरता
रजिस्ट्रियों की संख्या में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है, लेकिन अभी भी आमजन में ऑनलाइन प्रक्रिया को लेकर जागरूकता का अभाव है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग जटिलताओं को पूरी तरह समझ नहीं पा रहे हैं। इस कारण वे अभी भी पुराने डीड राइटरों के चक्कर में फंस रहे हैं, जो खुद भी नई तकनीक को पूरी तरह समझने में लगे हैं। लोगों को लगता है कि ऑनलाइन आवेदन के लिए उन्हें डीड राइटर की मदद की जरूरत है, जिससे वे बिचौलियों पर निर्भर हो जाते हैं।
तकनीकी खामियां हो रही दूर
शुरुआत में पोर्टल पर कई तरह की तकनीकी खामियां भी सामने आईं थी, जिसने लोगों की परेशानी को और बढ़ा दिया। जैसे दस्तावेज अपलोड करने की सीमित क्षमता (10 एमबी) भी एक बड़ी समस्या थी। हालांकि, राजस्व विभाग ने बाद में इन दिक्कतों को दूर करते हुए (50 एमबी) रिवर्ट विद ऑब्जेक्शन का विकल्प जोड़ा है, जिससे आवेदन खारिज होने पर दोबारा फीस नहीं देनी पड़ेगी, और फाइल अपलोड करने की क्षमता भी बढ़ाई गई है।