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Hisar News: आखिर जागी पुलिस, नशा पीड़ित 2 युवकों को काउंसिलिंग के लिए भेजा

Amar Ujala Bureau अमर उजाला ब्यूरो
Updated Thu, 13 Nov 2025 01:00 AM IST
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Police finally wake up, send two drug-addicted youths for counseling
नशा मु​क्ति जागरूक पुलिस टीम के प्रभारी  हवा सिंह  युवाओं को  जागरूक करते हुए। 
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हिसार। पुलिस की नशा मुक्ति अभियान टीम ने बुधवार को विकास नगर एरिया में सर्च अभियान चलाया। एसआई हवा सिंह के नेतृत्व में पहुंची टीम ने करीब दो घंटे तक झाड़ियों और सुनसान इलाकों में तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान टीम ने दो नशा पीड़ित युवकों को पकड़कर काउंसिलिंग के लिए नागरिक अस्पताल भेजा।
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अमर उजाला ने बुधवार को विकास नगर की बदनाम झाड़ियों के काले सच की खबर को गडरिये के इशारे पर नशे का तंत्र...हुर्रर कहते ही दौड़ा आया तस्कर और थमा दी चिट्टे की पुड़िया... शीर्षक के साथ प्रकाशित किया था। इसके बाद ही पुलिस ने कार्रवाई की।
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टीम ने विकास नगर, सुंदर नगर और आंबेडकर बस्ती के आसपास की झाड़ियों में छिपे संदिग्धों की जांच की। पुलिस को देखकर कुछ लोग मौके से फरार हो गए। एसआई हवा सिंह ने बताया कि टीम को झाड़ियों में बैठे दो युवक नशे की हालत में मिले, जिन्हें काउंसिलिंग और उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया है। पुलिस ऐसे युवाओं की हरसंभव मदद करेगी ताकि वे नशे की दलदल से बाहर निकलकर सामान्य जीवन में लौट सकें।

अभियान के दौरान पुलिस टीम ने आंबेडकर बस्ती में जाकर लोगों को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया। युवाओं से कहा गया कि वे नशे के कारोबार से दूर रहें और किसी व्यक्ति के लत में फंसने पर उसकी मदद करें। स्थानीय लोगों ने पुलिस अधिकारियों से झाड़ियों को कटवाकर सफाई अभियान चलाने की मांग की ताकि इस क्षेत्र को नशे के अड्डों से मुक्त किया जा सके।

नजरबंद कानून में एक साल तक नहीं मिलती जमानत

स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ की अवैध तस्करी निरोधक अधिनियम (पीआईटीएनडीपीएस), 1988 के तहत नशे के अवैध व्यापार में शामिल व्यक्तियों को एक साल तक हिरासत में रखने का प्रावधान है। इस कानून के तहत आरोपी को खतरनाक गतिविधियों में शामिल होने से रोकने के लिए एक वर्ष तक बिना जमानत के जेल में रखा जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति पर नशे से जुड़े तीन या अधिक मामले दर्ज हैं, तो यह कानून उस पर लागू किया जा सकता है। हिसार की नशा मुक्ति अभियान टीम अब तक सात लोगों को इस अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर चुकी है। ऐसे मामलों में कार्रवाई से पहले गृह मंत्रालय से अनुमति लेना अनिवार्य होता है।







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