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Jhajjar-Bahadurgarh News: मरीज कराहते रहे, डॉक्टर
संवाद न्यूज एजेंसी, झज्जर/बहादुरगढ़
Updated Tue, 09 Dec 2025 02:42 AM IST
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-फोटो 58 : अपने बेटे को गोद में उठाकर एक्स-रे के लिए भटकती महिला। संवाद
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बहादुरगढ़। नागरिक अस्पताल में हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के बैनर तले अधिकांश डॉक्टर हड़ताल पर रहे। यह हड़ताल मंगलवार को भी रहेगी। सोमवार को हड़ताल के चलते मरीज कराहते रहे। आंखों के 10 ऑपरेशन, जनरल सर्जरी और आर्थो के दो-दो ऑपरेशन नहीं हो सके।
अस्पताल में पहुंचे मरीजों को भी बिना इलाज कराए ही वापस लौटना पड़ा। अस्पताल में 55 डॉक्टरों में से 40 डॉक्टर हड़ताल पर रहे। हालांकि कुछ डॉक्टर ड्यूटी पर लौट आए। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मालविका भी ड्यूटी पर आ गई, जिससे ओपीडी सुचारु हो गई, लेकिन तब तक काफी संख्या में मरीज वापस जा चुके थे।
बहादुरगढ़ के नागरिक अस्पताल में प्रतिदिन एक हजार से अधिक ओपीडी होती है। पोस्टमार्टम और डिलिवरी सेवाएं जारी रही। अस्पताल में बाहर से बुलाए गए डॉक्टरों ने मरीजों का इलाज किया। अस्पताल में प्रशासन की ओर से स्थिति को संभालने के लिए पीएचएसी से एनएचएम के डॉक्टरों के साथ गिरावड़ मेडिकल कॉलेज और ईएसआई अस्पताल से भी डॉक्टर बुलाए गए।
हड़ताल के बाद आने को कहा
विशेषज्ञ डॉक्टर न होने के कारण अस्पताल में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। मरीजों को डॉक्टरों की ओर से हड़ताल के बाद आने के लिए कहा गया। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने पुलिस बल भी तैनात किया था। ओपीडी और ट्रामा सेंटर क्षेत्र में 10 से 12 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी, जिनमें महिला पुलिसकर्मी भी शामिल रहीं।
अस्पताल के प्रबंधक अधिकारी डॉ. विनय देशवाल ने दावा किया कि हड़ताल का बहादुरगढ़ में कम ही असर रहा। सिर्फ इलेक्टिव सर्जरी नहीं हुई और इनका समय भी नहीं दिया गया था। लेबर रूम और पोस्टमार्टम सेवा सुचारु रही। वहीं डॉक्टरों ने एसएमओ की सीधी भर्ती पर रोक लगाने के साथ इन पदों पर केवल प्रमोशन से नियुक्ति की मांग की है।
मेरे चार वर्षीय बेटे प्रियांशु को पैर में फ्रैक्चर हो गया था। एक्स-रे करवाने के लिए आई थी, लेकिन यहां पता चला कि आज डॉक्टरों की हड़ताल है। मरीज को ट्रामा सेंटर भेज दिया गया। जहां काफी देर बाद जांच हो सकी। सुबह से दोपहर तक अलग-अलग कमरों में चक्कर लगाने पड़े और कोई डॉक्टर स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाया।
- ममता, निवासी सांखोल, बहादुरगढ़।
मुझे सांस की समस्या है। यहां पहुंचने पर पता चला कि आज हड़ताल है, लेकिन इलाज के बजाय उन्हें कभी ओपीडी में भेजा गया तो कभी ट्रामा सेंटर की दौड़ लगवाई गई। इंजेक्शन लगने के बावजूद उसे भर्ती नहीं किया गया और बार-बार कमरों के चक्कर काटने लगे। अनपढ़़ हूं। मुझे पता ही नहीं है कि कहां जाना है। किसी से पूछती हूं तो कोई जवाब नहीं देता।
- संतरा, टिकरी कलां, दिल्ली
मैं अपनी दादी को दवाई दिलाने के लिए लेकर आया। दादी को शुगर और बीपी की शिकायत है। उन्हें दवाई दिलवानी थी पता चला कि आज डॉक्टरों की हड़ताल है। अस्पताल की ओपीडी में डॉक्टर तो हैं, लेकिन विशेषज्ञ नहीं हैं। ऐसे में उन्हें बिना दवाई लिए ही वापस लौटना पड़ा।
- संदीप कुमार, लाइनपार, बहादुरगढ़।
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अस्पताल में पहुंचे मरीजों को भी बिना इलाज कराए ही वापस लौटना पड़ा। अस्पताल में 55 डॉक्टरों में से 40 डॉक्टर हड़ताल पर रहे। हालांकि कुछ डॉक्टर ड्यूटी पर लौट आए। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मालविका भी ड्यूटी पर आ गई, जिससे ओपीडी सुचारु हो गई, लेकिन तब तक काफी संख्या में मरीज वापस जा चुके थे।
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बहादुरगढ़ के नागरिक अस्पताल में प्रतिदिन एक हजार से अधिक ओपीडी होती है। पोस्टमार्टम और डिलिवरी सेवाएं जारी रही। अस्पताल में बाहर से बुलाए गए डॉक्टरों ने मरीजों का इलाज किया। अस्पताल में प्रशासन की ओर से स्थिति को संभालने के लिए पीएचएसी से एनएचएम के डॉक्टरों के साथ गिरावड़ मेडिकल कॉलेज और ईएसआई अस्पताल से भी डॉक्टर बुलाए गए।
हड़ताल के बाद आने को कहा
विशेषज्ञ डॉक्टर न होने के कारण अस्पताल में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। मरीजों को डॉक्टरों की ओर से हड़ताल के बाद आने के लिए कहा गया। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने पुलिस बल भी तैनात किया था। ओपीडी और ट्रामा सेंटर क्षेत्र में 10 से 12 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी, जिनमें महिला पुलिसकर्मी भी शामिल रहीं।
अस्पताल के प्रबंधक अधिकारी डॉ. विनय देशवाल ने दावा किया कि हड़ताल का बहादुरगढ़ में कम ही असर रहा। सिर्फ इलेक्टिव सर्जरी नहीं हुई और इनका समय भी नहीं दिया गया था। लेबर रूम और पोस्टमार्टम सेवा सुचारु रही। वहीं डॉक्टरों ने एसएमओ की सीधी भर्ती पर रोक लगाने के साथ इन पदों पर केवल प्रमोशन से नियुक्ति की मांग की है।
मेरे चार वर्षीय बेटे प्रियांशु को पैर में फ्रैक्चर हो गया था। एक्स-रे करवाने के लिए आई थी, लेकिन यहां पता चला कि आज डॉक्टरों की हड़ताल है। मरीज को ट्रामा सेंटर भेज दिया गया। जहां काफी देर बाद जांच हो सकी। सुबह से दोपहर तक अलग-अलग कमरों में चक्कर लगाने पड़े और कोई डॉक्टर स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाया।
- ममता, निवासी सांखोल, बहादुरगढ़।
मुझे सांस की समस्या है। यहां पहुंचने पर पता चला कि आज हड़ताल है, लेकिन इलाज के बजाय उन्हें कभी ओपीडी में भेजा गया तो कभी ट्रामा सेंटर की दौड़ लगवाई गई। इंजेक्शन लगने के बावजूद उसे भर्ती नहीं किया गया और बार-बार कमरों के चक्कर काटने लगे। अनपढ़़ हूं। मुझे पता ही नहीं है कि कहां जाना है। किसी से पूछती हूं तो कोई जवाब नहीं देता।
- संतरा, टिकरी कलां, दिल्ली
मैं अपनी दादी को दवाई दिलाने के लिए लेकर आया। दादी को शुगर और बीपी की शिकायत है। उन्हें दवाई दिलवानी थी पता चला कि आज डॉक्टरों की हड़ताल है। अस्पताल की ओपीडी में डॉक्टर तो हैं, लेकिन विशेषज्ञ नहीं हैं। ऐसे में उन्हें बिना दवाई लिए ही वापस लौटना पड़ा।
- संदीप कुमार, लाइनपार, बहादुरगढ़।

-फोटो 58 : अपने बेटे को गोद में उठाकर एक्स-रे के लिए भटकती महिला। संवाद

-फोटो 58 : अपने बेटे को गोद में उठाकर एक्स-रे के लिए भटकती महिला। संवाद

-फोटो 58 : अपने बेटे को गोद में उठाकर एक्स-रे के लिए भटकती महिला। संवाद

-फोटो 58 : अपने बेटे को गोद में उठाकर एक्स-रे के लिए भटकती महिला। संवाद