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Kaithal News: दिसंबर में आठ बसें होंगी जर्जर, घटेगा रोडवेज का बेड़ा
संवाद न्यूज एजेंसी, कैथल
Updated Thu, 13 Nov 2025 01:54 AM IST
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संवाद न्यूज एजेंसी
कैथल। रोडवेज डिपो का बस बेड़ा दिसंबर के पहले सप्ताह में और घटने जा रहा है। डिपो की आठ बसें अपने निर्धारित 10 वर्ष पूरे कर जर्जर हो जाएंगी, जिन्हें रूटों से हटा दिया जाएगा। वर्तमान में कैथल डिपो में 174 बसें संचालित हो रही हैं, लेकिन इन बसों के हटने के बाद संख्या घटकर 166 रह जाएगी।
रोडवेज सूत्रों के अनुसार, कैथल डिपो में जनसंख्या के अनुपात से 250 बसों का बेड़ा होना चाहिए, जबकि अब 84 बसों की कमी रह जाएगी। अभी डिपो में
विभाग की 197 बसें हैं, जिनमें से 23 बसें किलोमीटर स्कीम (लीज) पर चल रही हैं।
अधिकारी बताते हैं कि इनमें से लगभग 52 बसें पानीपत, झज्जर, रोहतक, भिवानी और रेवाड़ी से आई पुरानी बसें हैं, जो अक्सर रूट पर खराब हो जाती हैं। इससे यात्रियों को परेशानी के साथ-साथ चालक और परिचालक को भी दिक्कत उठानी पड़ती है। नई बसों की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।
सबसे अधिक असर ग्रामीण रूटों पर पड़ेगा, क्योंकि जर्जर होने वाली अधिकतर बसें विद्यालय और कॉलेज आने-जाने वाले विद्यार्थियों के लिए चलाई जा रही हैं।
एसडीएम कार्यालय के अनुसार, बसों के 10 वर्ष पूरे होने पर मुख्यालय की तकनीकी टीम निरीक्षण करती है, और रिपोर्ट के आधार पर बसों को रूट से हटा दिया जाता है।
यात्रियों ने बताई परेशानी
यात्रियों रणधीर, रामकिशन और मनोज ने कहा कि रोडवेज की अधिकांश बसें पुरानी और खटारा हो चुकी हैं। ये बसें बीच रास्ते रुक जाती हैं। सफर के दौरान कई बार बसें बंद हो जाती हैं तो यात्रियों को बहुत दिक्कतें होती हैं। उन्होंने मांग की कि नई बसें खरीदी जाएं, क्योंकि जिले की जनसंख्या हर महीने बढ़ रही है और बसों की संख्या भी उसी अनुपात में बढ़नी चाहिए।
दिसंबर के महीने में आठ बसें अपने 10 वर्ष रूट पर चलने के पूरे कर लेगी। इसके बाद बस कंडम हो जाती है। यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जा रही है। सभी रूटों पर बसों का संचालन किया जा रहा है। किसी को बस संबंधित दिक्कत है, तो रोडवेज विभाग में संपर्क कर सकते हैं। -अनिल कुमार, वर्कशाप मैनेजर, रोडवेज कैथल
इन रूटों पर चल रही हैं पुरानी जर्जर बसें
करनाल, जींद, गुहला चीका, कुरुक्षेत्र और असंध रूटों पर कई पुरानी बसें चलाई जा रही हैं। जर्जर हालत के कारण ये बसें बीच रास्ते खराब हो जाती हैं। दो दिन पहले असंध रूट पर भी एक बस खराब हुई थी, जिसे विभाग की क्रेन से डिपो लाया गया। विभाग मरम्मत के प्रयास करता है, लेकिन इंजन, क्लच प्लेट और अन्य तकनीकी खराबियों के कारण बार-बार दिक्कत आती है।
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कैथल। रोडवेज डिपो का बस बेड़ा दिसंबर के पहले सप्ताह में और घटने जा रहा है। डिपो की आठ बसें अपने निर्धारित 10 वर्ष पूरे कर जर्जर हो जाएंगी, जिन्हें रूटों से हटा दिया जाएगा। वर्तमान में कैथल डिपो में 174 बसें संचालित हो रही हैं, लेकिन इन बसों के हटने के बाद संख्या घटकर 166 रह जाएगी।
रोडवेज सूत्रों के अनुसार, कैथल डिपो में जनसंख्या के अनुपात से 250 बसों का बेड़ा होना चाहिए, जबकि अब 84 बसों की कमी रह जाएगी। अभी डिपो में
विभाग की 197 बसें हैं, जिनमें से 23 बसें किलोमीटर स्कीम (लीज) पर चल रही हैं।
अधिकारी बताते हैं कि इनमें से लगभग 52 बसें पानीपत, झज्जर, रोहतक, भिवानी और रेवाड़ी से आई पुरानी बसें हैं, जो अक्सर रूट पर खराब हो जाती हैं। इससे यात्रियों को परेशानी के साथ-साथ चालक और परिचालक को भी दिक्कत उठानी पड़ती है। नई बसों की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।
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सबसे अधिक असर ग्रामीण रूटों पर पड़ेगा, क्योंकि जर्जर होने वाली अधिकतर बसें विद्यालय और कॉलेज आने-जाने वाले विद्यार्थियों के लिए चलाई जा रही हैं।
एसडीएम कार्यालय के अनुसार, बसों के 10 वर्ष पूरे होने पर मुख्यालय की तकनीकी टीम निरीक्षण करती है, और रिपोर्ट के आधार पर बसों को रूट से हटा दिया जाता है।
यात्रियों ने बताई परेशानी
यात्रियों रणधीर, रामकिशन और मनोज ने कहा कि रोडवेज की अधिकांश बसें पुरानी और खटारा हो चुकी हैं। ये बसें बीच रास्ते रुक जाती हैं। सफर के दौरान कई बार बसें बंद हो जाती हैं तो यात्रियों को बहुत दिक्कतें होती हैं। उन्होंने मांग की कि नई बसें खरीदी जाएं, क्योंकि जिले की जनसंख्या हर महीने बढ़ रही है और बसों की संख्या भी उसी अनुपात में बढ़नी चाहिए।
दिसंबर के महीने में आठ बसें अपने 10 वर्ष रूट पर चलने के पूरे कर लेगी। इसके बाद बस कंडम हो जाती है। यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जा रही है। सभी रूटों पर बसों का संचालन किया जा रहा है। किसी को बस संबंधित दिक्कत है, तो रोडवेज विभाग में संपर्क कर सकते हैं। -अनिल कुमार, वर्कशाप मैनेजर, रोडवेज कैथल
इन रूटों पर चल रही हैं पुरानी जर्जर बसें
करनाल, जींद, गुहला चीका, कुरुक्षेत्र और असंध रूटों पर कई पुरानी बसें चलाई जा रही हैं। जर्जर हालत के कारण ये बसें बीच रास्ते खराब हो जाती हैं। दो दिन पहले असंध रूट पर भी एक बस खराब हुई थी, जिसे विभाग की क्रेन से डिपो लाया गया। विभाग मरम्मत के प्रयास करता है, लेकिन इंजन, क्लच प्लेट और अन्य तकनीकी खराबियों के कारण बार-बार दिक्कत आती है।