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Karnal News: मिठाई में भी 3-डी तकनीक, एनडीआरआई ने विकसित की तकनीक - A
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देव शर्मा
करनाल। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल ने एक ऐसी उन्नत 3-डी प्रिंटिंग तकनीक विकसित की है, जिसके उपयोग के बाद कई पीढि़यों से हाथों से तैयार की जा रही दूध से बनी पारंपरिक मीठी बर्फी का तरीका बदल जाएगा। इसके साथ ही लोगों को ताजा और मनवांछित डिजाइन, शुगर और रंगीन फ्लेवर में बर्फी का स्वाद उपलब्ध हो सकेगा। संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस तकनीक को तैयार कर लिया है,लेकिन इसमें कैलोरी कम करने पर अनुसंधान चल रहा है, जिसके पूरा होते ही इसमें जोड़ दिया जाए। इसे डेयरी उत्पाद निर्माण में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।
आईसीएआर-एनडीआरआई करनाल के निदेशक एवं कुलपति डॉ. धीर सिंह ने इस 3-डी प्रिंटिंग स्वीट टेक्नोलॉजी के बारे में बताया कि यह नवाचार विरासत को आधुनिक परिशुद्धता के साथ जोड़ने वाली तकनीक है। जिससे बेजोड़ अनुकूलन, स्वच्छता और कलात्मक डिजाइन संभव हो सकेगा। इससे विशेष आयोजनों के लिए नाम, लोगो और जटिल डिजाइनों के साथ हाइपर-कस्टमाइजेशन किया जा सकेगा। इससे कम वसा, कम चीनी और प्रोटीनयुक्त विकल्पों के साथ पोषण संबंधी परिशुद्धता और स्वचालित उत्पादन संभव है। इससे बेहतर स्वच्छता, स्थिरता तो मिलेगी ही, न्यूनतम अपशिष्ट प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि भारतीय त्योहारों के दौरान अपनी समृद्ध बनावट और स्वाद के लिए लंबे समय से पसंद की जाने वाली बर्फी अब खाद्य-ग्रेड प्रिंटिंग पेस्ट के माध्यम से तैयार की जाएगी। अभी ये तकनीक नवोन्मेष, मिष्ठान विक्रेताओं के लिए है, शीघ्र ही घरों के लिए इसे तैयार किया जाएगा।
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कैलोरी कम करने पर चल रहा शोध
शोध परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. कौशिक खमरुई ने बताया कि अब तक देश में पारंपरिक सादे दूध की बर्फी ही बनती आ रही है। जिसे किसी न किसी व्यक्ति द्वारा बनाया जाता है। लेकिन अब 3-डी तकनीक में 3-डी फ्रूट एंड फूड प्रिंटर से जोड़ा जाएगा, इसमें तकनीक को अपलोड किया जाएगा। प्रिंटर में खोआ, चीनी व हाइड्रोकोलॉइड भरे जाएंगे। इसके साथ खास फ्लेवर के लिए गाजर, चुकंदर, आम, चाकलेट जैसी फूड इंक भरी जाएगी। इसके साथ ही जिस कनेक्ट कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल फोन से ये प्रिंटर संबद्ध (कनेक्ट) किया जाएगा, उसमें कितनी चीनी, कौन सा प्लेवर, कौन सी डिजाइन चाहिए, ये निर्देश देने होंगे। निर्देश मिलते ही 3-डी फूड प्रिंटर वैसी ही बर्फी बनाकर तैयार कर देगा। ये तुरंत तैयार होने के कारण ताजा होगी। किसी व्यक्ति का हाथ नहीं लगेगा, पूर्ण स्वच्छ होगी। बहुत से लोग कैलोरी बढ़ने की चिंता के कारण इच्छा होने के बावजूद बर्फी खाने से बचते हैं, उन्हें भी चिंता करने की जरूरत नहीं है, संस्थान के वैज्ञानिक कैलोरी कम करने पर अनुसंधान कर रहे हैं, शीघ्र ही कैलोरी कम करने की तकनीक को इसके साथ जोड़ दिया जाएगा, इसके बाद बर्फी कैलोरी भी नहीं बढ़ाएगी। चीनी कम करके इसमें बर्फी बना सकेंगे, इसके लिए मधुमेह से प्रभावित लोगों की भी बर्फी खाने की इच्छा पूरी हो सकेगी।
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पेड़ा और संदेश जैसी मिठाइयों के प्रिंट करने योग्य पेस्ट होंगे विकसित
एनडीआरआई के डेयरी प्रौद्योगिकी प्रभाग के प्रमुख डॉ. दीप नारायण यादव ने बताया कि डिजिटल ब्लूप्रिंट द्वारा निर्देशित, पेस्ट को माइक्रोन-स्तर की सटीकता के साथ परत-दर-परत जमा किया जाता है, जिससे जटिल आकार, व्यक्तिगत संदेश और पैटर्न बनते हैं जो कभी हाथ से असंभव थे। भविष्य में हम पेड़ा और संदेश जैसी अन्य लोकप्रिय दूध की मिठाइयों के लिए प्रिंट करने योग्य पेस्ट विकसित करने का प्रयास करेंगे। संपूर्ण भारतीय मिठाइयों की श्रेणी को वैश्वीकृत और आधुनिक बनाने की अपार संभावनाएं हैं।
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करनाल। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल ने एक ऐसी उन्नत 3-डी प्रिंटिंग तकनीक विकसित की है, जिसके उपयोग के बाद कई पीढि़यों से हाथों से तैयार की जा रही दूध से बनी पारंपरिक मीठी बर्फी का तरीका बदल जाएगा। इसके साथ ही लोगों को ताजा और मनवांछित डिजाइन, शुगर और रंगीन फ्लेवर में बर्फी का स्वाद उपलब्ध हो सकेगा। संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस तकनीक को तैयार कर लिया है,लेकिन इसमें कैलोरी कम करने पर अनुसंधान चल रहा है, जिसके पूरा होते ही इसमें जोड़ दिया जाए। इसे डेयरी उत्पाद निर्माण में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।
आईसीएआर-एनडीआरआई करनाल के निदेशक एवं कुलपति डॉ. धीर सिंह ने इस 3-डी प्रिंटिंग स्वीट टेक्नोलॉजी के बारे में बताया कि यह नवाचार विरासत को आधुनिक परिशुद्धता के साथ जोड़ने वाली तकनीक है। जिससे बेजोड़ अनुकूलन, स्वच्छता और कलात्मक डिजाइन संभव हो सकेगा। इससे विशेष आयोजनों के लिए नाम, लोगो और जटिल डिजाइनों के साथ हाइपर-कस्टमाइजेशन किया जा सकेगा। इससे कम वसा, कम चीनी और प्रोटीनयुक्त विकल्पों के साथ पोषण संबंधी परिशुद्धता और स्वचालित उत्पादन संभव है। इससे बेहतर स्वच्छता, स्थिरता तो मिलेगी ही, न्यूनतम अपशिष्ट प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि भारतीय त्योहारों के दौरान अपनी समृद्ध बनावट और स्वाद के लिए लंबे समय से पसंद की जाने वाली बर्फी अब खाद्य-ग्रेड प्रिंटिंग पेस्ट के माध्यम से तैयार की जाएगी। अभी ये तकनीक नवोन्मेष, मिष्ठान विक्रेताओं के लिए है, शीघ्र ही घरों के लिए इसे तैयार किया जाएगा।
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कैलोरी कम करने पर चल रहा शोध
शोध परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. कौशिक खमरुई ने बताया कि अब तक देश में पारंपरिक सादे दूध की बर्फी ही बनती आ रही है। जिसे किसी न किसी व्यक्ति द्वारा बनाया जाता है। लेकिन अब 3-डी तकनीक में 3-डी फ्रूट एंड फूड प्रिंटर से जोड़ा जाएगा, इसमें तकनीक को अपलोड किया जाएगा। प्रिंटर में खोआ, चीनी व हाइड्रोकोलॉइड भरे जाएंगे। इसके साथ खास फ्लेवर के लिए गाजर, चुकंदर, आम, चाकलेट जैसी फूड इंक भरी जाएगी। इसके साथ ही जिस कनेक्ट कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल फोन से ये प्रिंटर संबद्ध (कनेक्ट) किया जाएगा, उसमें कितनी चीनी, कौन सा प्लेवर, कौन सी डिजाइन चाहिए, ये निर्देश देने होंगे। निर्देश मिलते ही 3-डी फूड प्रिंटर वैसी ही बर्फी बनाकर तैयार कर देगा। ये तुरंत तैयार होने के कारण ताजा होगी। किसी व्यक्ति का हाथ नहीं लगेगा, पूर्ण स्वच्छ होगी। बहुत से लोग कैलोरी बढ़ने की चिंता के कारण इच्छा होने के बावजूद बर्फी खाने से बचते हैं, उन्हें भी चिंता करने की जरूरत नहीं है, संस्थान के वैज्ञानिक कैलोरी कम करने पर अनुसंधान कर रहे हैं, शीघ्र ही कैलोरी कम करने की तकनीक को इसके साथ जोड़ दिया जाएगा, इसके बाद बर्फी कैलोरी भी नहीं बढ़ाएगी। चीनी कम करके इसमें बर्फी बना सकेंगे, इसके लिए मधुमेह से प्रभावित लोगों की भी बर्फी खाने की इच्छा पूरी हो सकेगी।
पेड़ा और संदेश जैसी मिठाइयों के प्रिंट करने योग्य पेस्ट होंगे विकसित
एनडीआरआई के डेयरी प्रौद्योगिकी प्रभाग के प्रमुख डॉ. दीप नारायण यादव ने बताया कि डिजिटल ब्लूप्रिंट द्वारा निर्देशित, पेस्ट को माइक्रोन-स्तर की सटीकता के साथ परत-दर-परत जमा किया जाता है, जिससे जटिल आकार, व्यक्तिगत संदेश और पैटर्न बनते हैं जो कभी हाथ से असंभव थे। भविष्य में हम पेड़ा और संदेश जैसी अन्य लोकप्रिय दूध की मिठाइयों के लिए प्रिंट करने योग्य पेस्ट विकसित करने का प्रयास करेंगे। संपूर्ण भारतीय मिठाइयों की श्रेणी को वैश्वीकृत और आधुनिक बनाने की अपार संभावनाएं हैं।