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Karnal News: फेफड़े हुए कमजोर... निमोनिया की चपेट में आ रहे बच्चे

संवाद न्यूज एजेंसी, करनाल Updated Wed, 12 Nov 2025 01:52 AM IST
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Lungs weakened... children are falling prey to pneumonia
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संवाद न्यूज एजेंसी
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करनाल। बच्चों के फेंफड़े कमजोर हो रहे हैं और वे निमोनिया की जद में आ रहे हैं। पांच साल से कम उम्र के बच्चे अधिक प्रभावित हैं। जिला नागरिक अस्पताल की ओपीडी में निमोनिया से प्रभावित बच्चों की संख्या बढ़ी है। चिकित्सकों का कहना है कि सर्दियों में बच्चों का अधिक ध्यान रखना चाहिए। कम तापमान से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। वायरस और बैक्टीरिया के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
जिले में पांच वर्ष तक के 77 बच्चों में अप्रैल से अब तक निमोनिया मिल चुका है। हर साल देश में करीब 10 लाख बच्चों की मौत निमोनिया से होती है। बच्चों को निमोनिया के प्रदेश में लगभग पांच लाख केस दर्ज किए जाते हैं। इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जिले में 12 से 28 फरवरी 2026 तक सांस कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है। इसका शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ. पूनम चौधरी की ओर से बुधवार को जिला नागरिक अस्पताल से किया जाएगा।
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उप-सिविल सर्जन डॉ. शशि गर्ग ने बताया कि इस कार्यक्रम में रोकथाम, पहचान और उपचार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। बच्चों को निमोनिया से बचाव के लिए तीन चरणों में टीकाकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभिभावक घरेलू उपचार में समय न गंवाएं, बल्कि जैसे ही बच्चे में तेज बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखें, तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

- निमोनिया नहीं तो बचपन सही
सीएमओ डॉ. पूनम चौधरी ने बताया कि सांस अभियान कार्यक्रम ‘निमोनिया नहीं तो बचपन सही’ नारे के साथ चलाया जाएगा। गांव-गांव जाकर एएनएम और आशा कार्यकर्ता अभिभावकों को निमोनिया की जल्द पहचान और उपचार के बारे में बताएंगी। उन्होंने कहा कि सर्दियों में बच्चों को गर्म कपड़े पहनाना, घर में धुआं न होने देना और हाथों की सफाई रखना बहुत जरूरी है। बच्चों को समय पर टीका लगवाएं और छह महीने तक केवल मां का दूध ही पिलाएं ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहे।

फेफड़ों में संक्रमण और सूजनजिला नागरिक अस्पताल से वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुलबीर ने बताया कि निमोनिया मुख्य रूप से बैक्टीरिया, वायरस या फंगस जैसे रोगाणुओं के कारण होता है। ये फेफड़ों में संक्रमण और सूजन पैदा करते हैं। फेफड़ों में हवा की छोटी-छोटी थैलियों (एल्वियोली) को प्रभावित करते हैं। इनमें तरल पदार्थ भर जाता है और सांस लेना मुश्किल हो जाता है।


प्रमुख कारण
ठंड के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना
बंद माहौल में वायरस व बैक्टीरिया का फैलना
मधुमेह और फेफड़ों की बीमारी से खतरा बढ़ी
फ्लू या सर्दी-जुकाम से फेफड़ों का कमजोर होना
धूम्रपान से श्वसन प्रणाली को नुकसान पहुंचना
बचाव के उपाय
बार-बार हाथ धोएं और खांसते-छींकते समय मुंह ढंकें
धूम्रपान से बचें, यह फेफड़ों को कमजोर करता है
फ्लू और निमोनिया के टीके लगवाएं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को
संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखें
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