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Panchkula News: फेयर प्राइज शॉप मालिकों की याचिका पर केंद्र व पंजाब सरकार को नोटिस
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चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत काम करने वाले फेयर प्राइस शॉप मालिकों और पंजाब स्टेट ग्रेंस प्रोक्योरमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड में काम करने वाले सेल्समैन के बीच सैलरी में बराबरी की मांग वाली याचिका पर केंद्र व पंजाब सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।
एनएफएसए डिपो होल्डर्स वेलफेयर एसोसिएशन संगरूर ने याचिका दाखिल करते हुए पनग्रेन सेल्समैन के बराबर वेतन करने और तय न्यूनतम वेतन से कम न होना सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने की अपील है। याची ने कहा कि पंजाब सरकार फेयर प्राइस शॉप के मालिकों का मार्जिन तय करने में विफल रही है। इस चूक की वजह से उनका काम करना आर्थिक रूप से मुश्किल हो गया है, ज्यादातर दुकान मालिक महीने में 4 हजार रुपये से भी कम कमाते हैं। यह रकम मुश्किल से दुकान का किराया ही निकाल पाती है जिससे उनके पास इनकम के तौर पर कुछ नहीं बचता। यह संविधान के अनुच्छेद 23 के अनुसार जबरदस्ती मजदूरी के बराबर है। फेयर प्राइस शॉप मालिकों को ऐसी हालत में काम करते रहने के लिए मजबूर किया जाता है जिससे गुजारे लायक मजदूरी भी नहीं मिल रही।
संविधान के आर्टिकल 43 का हवाला देते हुए एसोसिएशन ने तर्क दिया कि गुजारे लायक मजदूरी के अधिकार में न सिर्फ खाना, कपड़ा और रहने की जगह के लिए, बल्कि बुनियादी सुविधाओं, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा के लिए भी काफी मजदूरी का अधिकार शामिल है। याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य को हर सही कीमत वाली दुकान के लिए सही संख्या में राशन कार्ड पक्का करने की जरूरत थी लेकिन पंजाब सरकार के मार्जिन की समीक्षा किए बिना, हर दुकान को 200 राशन कार्ड देने के फैसले ने इस काम को मुमकिन नहीं बनाया।
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एनएफएसए डिपो होल्डर्स वेलफेयर एसोसिएशन संगरूर ने याचिका दाखिल करते हुए पनग्रेन सेल्समैन के बराबर वेतन करने और तय न्यूनतम वेतन से कम न होना सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने की अपील है। याची ने कहा कि पंजाब सरकार फेयर प्राइस शॉप के मालिकों का मार्जिन तय करने में विफल रही है। इस चूक की वजह से उनका काम करना आर्थिक रूप से मुश्किल हो गया है, ज्यादातर दुकान मालिक महीने में 4 हजार रुपये से भी कम कमाते हैं। यह रकम मुश्किल से दुकान का किराया ही निकाल पाती है जिससे उनके पास इनकम के तौर पर कुछ नहीं बचता। यह संविधान के अनुच्छेद 23 के अनुसार जबरदस्ती मजदूरी के बराबर है। फेयर प्राइस शॉप मालिकों को ऐसी हालत में काम करते रहने के लिए मजबूर किया जाता है जिससे गुजारे लायक मजदूरी भी नहीं मिल रही।
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संविधान के आर्टिकल 43 का हवाला देते हुए एसोसिएशन ने तर्क दिया कि गुजारे लायक मजदूरी के अधिकार में न सिर्फ खाना, कपड़ा और रहने की जगह के लिए, बल्कि बुनियादी सुविधाओं, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा के लिए भी काफी मजदूरी का अधिकार शामिल है। याचिका में यह भी कहा गया कि राज्य को हर सही कीमत वाली दुकान के लिए सही संख्या में राशन कार्ड पक्का करने की जरूरत थी लेकिन पंजाब सरकार के मार्जिन की समीक्षा किए बिना, हर दुकान को 200 राशन कार्ड देने के फैसले ने इस काम को मुमकिन नहीं बनाया।