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‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ सुनकर मंगल सिंह में आज भी भर जाता है जोश

Rohtak Bureau रोहतक ब्यूरो
Updated Sun, 14 Aug 2022 11:06 PM IST
Hearing 'You give me blood, I will give you freedom' fills Mangal Singh with enthusiasm even today.
स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह। - फोटो : Rewari
कोसली। स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर आजाद हिंद फौज के सिपाही गांव कोसली निवासी 103 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह ने अमर उजाला से खास बातचीत में अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान उन्होंने बताया कि भारत और भारतीयों को गाली देने पर उन्होंने बर्मा के सेंट्रल जेल में एक अंग्रेज अफसर को पीट दिया था। जेलर मौके पर पहुंचा और उनको माफी मांगने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इस पर उन्हें एक सप्ताह तक भूखे रहने की सजा दी गई थी। इसके बाद भी उनका हौसला कम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि आज भी नेताजी का स्लोगन ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ सुनकर जोश भर जाता है। वे नेताजी को याद कर भावुक हो जाते हैं। उनकी आंखों से पानी छलक आया।

उन्होंने मौजूदा हालात पर भी बेबाकी से बात रखी। मंगल सिंह शारीरिक रूप से कमजोर दिखाई दिए, लेकिन जैसे ही उनके सामने आजाद हिंद फौज और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम आया तो उनकी आंखों में चमक आ गई। सूरत सिंह के परिवार में तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े मंगल सिंह गांव में लोगों से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम सुनते थे तभी से उन्होंने सेना में भर्ती होने का मन बना लिया था। 5 साल बर्मा की जेल में रहे। उन्होंने बताया कि उस समय ब्रिटिश सेना में भर्ती होना आसान था। इसलिए नेताजी तक पहुंचने के लिए अगस्त 1940 में वह ब्रिटिश सेना में शामिल हो गए। इसी दौरान अंग्रेजों की जापान के साथ युद्ध शुरू हो गया। उन्हें अन्य साथियों के साथ सिंगापुर से बर्मा की सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया। करीब 5 साल जेल में बंद रहने के दौरान अन्य कैदियों के साथ मिलकर बगावत कर दी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस उनसे मिलने गए और सभी को जेल से रिहा करवाया। जेल में ही नेता जी के साथ देश के लिए आजादी कि लड़ाई में अपना योगदान करने की इच्छा जताई इसके बाद से नेताजी के साथ आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए।

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आजादी के बाद पाकिस्तान और चीन से लिया लोहा
मंगल सिंह ने बताया कि देश की आजादी के बाद वर्ष 1948 में वे भारतीय सेना में भर्ती हो गए। करीब 25 साल तक देश की सेवा की। इस दौरान पाकिस्तान और चीन से युद्ध में भाग लिया। 1976 में सेना से सेवानिवृत्त हो गए।
उन्हाेंने सरकार से अपील की कि वह युवाओं को रोजगार दे। युवा ही देश का भविष्य हैं। उन्हें अपनी ऊर्जा देश के निर्माण में लगानी चाहिए। रोजगार के अभाव में देश का युवा पथभ्रष्ट हो रहा है।
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चीन को मुंहतोड़ जवाब देना जरूरी
मंगल सिंह ने कहा कि नेताओं ने देश की हालत खराब कर दी है। ओछी राजनीति होने के कारण राजनेता देश सेवा की और कम ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन चुप रहने को कमजोरी समझता है। सरकार अपना कार्य कर रही है, लेकिन चीन को मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए।
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