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Rewari News: छात्रों ने बनाया विशेष सेंसर, कूड़ा उठते ही नप कार्यालय में बजेगा अलार्म

Rohtak Bureau रोहतक ब्यूरो
Updated Tue, 02 Dec 2025 01:37 AM IST
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Students have created a special sensor that will trigger an alarm at the municipal office as soon as garbage is collected.
फोटो 02 अपना प्रोजेक्ट दिखाते छात्र संजय व गौरव। संवाद
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अरविन्द तक्षक
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नारनौल। इलेक्ट्रीशियन ट्रेड से आईटीआई कर रहे छात्र संजय छुट्टी के दिन अपने घर पर बैठा था। इसी दौरान घर घर कूड़ा उठान वाली गाड़ी आई तो उसने देखा कि गांव में कुछेक लोग ही गाड़ी में कूड़ा डाल रहे थे। ऐसे में उसके दिमाग में एक विचार आया कि क्यों न एक ऐसा उपकरण बनाया जाए जिससे नप कार्यालय को स्वत: ही पता चल जाए कि कब व कहां से कूड़ा उठान करना है। ऐसे में सरकारी पैसे व समय की बचत भी हो पाए।
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी
संजय पहले वर्ष में पढ़ाई कर रहा है और उक्त विचार आने के बाद उसने अपनी ही कक्षा में पढ़ने वाले गौरव से इस संबंध में बात की। इसके बाद दोनों ही इसका हल निकालने में जुट गए। आखिरकार संजय को विचार आया कि वार्ड में नप की ओर से रखे गए कूड़ादान में एक ऐसा सेंसर लगाया जाए जिसके भरने के बाद इसका पता सीधे नप कार्यालय को चल सके।
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अनुदेशक ने की सराहना
दोनों छात्रों ने इस संबंध में जब अनुदेशक मुकेश रघुनाथपुरा को बताया तो उन्होंने बच्चों की सराहना की और इस पर काम करने व उनकी हरसंभव मदद का भरोसा दिया। बस फिर क्या था, दोनों ही छात्र अपने इस प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने में जुट गए। छात्रों ने 2 लिथीयम बैटरी, आईआर सेंसर, कृशर मोटर, लाइट व अलार्म से वेस्ट मैनेजमेंट नामक प्रोजेक्ट बना दिया। इसमें उन्हें 2 से 3 दिन का समय व 500 रुपये का खर्चा आया।
ऐसे करेगा काम
प्रोजेक्ट के माध्यम से छात्रों ने दर्शाया कि शहर व गांवों में वार्ड वाइज लगे कूड़ेदान में एक सेंसर लगाया जाए और इसका सारा कंट्रोल नप कार्यालय में फिट किया जाए। इसके बाद जैसे ही कूड़ादान भरता है तो सेंसर वार्ड वाइज अलार्म बजाने लगता है और कर्मचारी कूड़ा उठान करने पहुंच सकते हैं। ऐसे में समय व पैसा दोनों की बचत हो सकती है।
कूड़े को रीसाइकिल कर बनाई जा सकती है सड़क
छात्रों ने बताया कि कूड़ेदान में गीला व सूखा कूड़ा डालने की अलग से व्यवस्था हाेती है। ऐसे में सूखे कूड़े में प्लास्टिक से भरपूर सामान अधिक होने के कारण उन्हें रीसाइकिल कर सड़कें बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसा कि पंजाब, दिल्ली व जयपुर में हो भी रहा है। इसके अलावा गीले कचरे को बायोगैस प्लांट में डालकर बिजली का उत्पादन किया जा सकता है और बिजली उत्पादन के बाद बचे अवशेष को बतौर खाद प्राकृतिक खेती में प्रयुक्त किया जा सकता है।
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